नगर में घूमने वाले आवारा मवेशियों को लेकर नगरपालिका प्रशासन काफी सख्त दिखाई दे रहा है नगरपालिका में बैठी नई परिषद द्वारा शुरुआत से ही नगर में सड़कों पर आवारा घूमने वाले मवेशियों को पकड़कर कांजीहाउस में भेजने की कार्यवाही की जा रही है। बुधवार को भी करीब 21 मवेशियों को पकड़कर कांजीहाउस में बंद करवाया गया। एक तरफ जहां नगरपालिका प्रशासन द्वारा मवेशियों को पकड़कर कांजीहाउस ले जाने की कार्यवाही की जा रही है, वही दूसरी ओर मवेशी मालिक कांजीहाउस की व्यवस्थाओं को लेकर खासे नाराज दिखाई दे रहे हैं। बुधवार की दोपहर में कांजीहाउस पहुंचे गौपालको द्वारा कांजीहाउस की व्यवस्था को देखकर नगरपालिका प्रशासन के खिलाफ नाराजगी व्यक्त की गई।
कांजीहाउस पहुंचे गौपालको ने बताया कि नगरपालिका प्रशासन द्वारा मवेशियों को पकड़कर कांजीहाउस में ले जाया जा रहा है लेकिन कांजीहाउस में मवेशियों को रखने व्यवस्थाएं नहीं है, शेड नहीं होने से मवेशी ठंडी के कारण परेशान हो रहे है यहां तक कि उनके लिए न हीं चारे की व्यवस्था है ना ही पानी की। नगरपालिका प्रशासन द्वारा मवेशी पकड़े जाने पर एक निश्चित फाइन लेने के बाद छोड़ दिया जाना चाहिए लेकिन उनसे 1000 से 5000 रुपये तक मांगे जाते हैं जबकि मवेशियों को छुड़ाने के लिए 2 से ढाई सौ रुपये का फाइन लगता है। साथ ही यह भी कहा कि पूरे देश भर में लंपी वायरस के कारण कई गायों की मृत्यु हो रही है जिसके चलते कलेक्टर द्वारा भी निर्देश दिया गया है मवेशियों को समूह में ना रखा जाए, इसके बावजूद भी कांजीहाउस में सभी मवेशी एक साथ समूह में रखा गया है जिससे इन मवेशियों को भी लंपी वायरस होने का खतरा बना हुआ है।
बुधवार को कांजीहाउस में एक वृद्ध महिला ताराबाई भी पहुंचे जिसे अपनी गाय को कांजीहाउस में बंद पाकर रोना आ गया। वृद्ध महिला ताराबाई ने बताया कि वह बहुत ही गरीब है उसका पालन पोषण करने वाला कोई नहीं है गुजारा करने के लिए एक मात्र साधन गाय है जिसका दूध बेचकर वह गुजारा करती है। अभी नगरपालिका प्रशासन द्वारा उनकी गाय को पकड़कर कांजीहाउस में ला लिया गया है जिसके कारण वह कैसे गुजारा करेगी, यह सोचकर बहुत परेशान है।
वही इसके संबंध में मोबाइल पर चर्चा करने पर कांजीहाउस प्रभारी उपयंत्री प्रीति घरते ने बताया कि कांजीहाउस में सेड की व्यवस्था की जा रही है। कांजीहाउस में जितनी भी गाय है नगरपालिका प्रशासन द्वारा पकड़ी जाती है तथा उसे कांजीहाउस में ले जाकर छोड़ा जाता है। सभी मवेशियों का स्वास्थ्य परीक्षण किया जा चुका है सभी गाय फिट है, कलेक्टर के आदेश होने के बाद ही मवेशियों को छोड़ा जाता है हम अपनी तरफ से कोई भी गाय नहीं छोड़ रहे हैं। जहां तक फाइन की बात है तो यह कलेक्टर साहब द्वारा ही निश्चित किया जाता है गायों को छोड़ना है या नहीं या कितना फाइन लिया जाना है।
आपको बताये कि यह बात बिल्कुल सही है मवेशियों को अगर नगरपालिका प्रशासन द्वारा पकड़कर कांजीहाउस में ले जाया जाता है तो कांजीहाउस में पर्याप्त व्यवस्थाएं भी होनी चाहिए, कांजीहाउस में व्यवस्था नहीं होने से गौपालको को निराशा तो होगी ही। वहीं दूसरी ओर नगरपालिका प्रशासन का भी कहना सही है कि जब गौपालको को उनके मवेशियों को कांजीहाउस में ले जाये जाने की चिंता है तो फिर गौपालको द्वारा अपने मवेशियों को नगर में आवारा घूमने के लिए क्यों छोड़ा जाता है। बार-बार हिदायत देने के बाद भी मवेशी मालिको द्वारा निर्देश का पालन नहीं करने और मवेशी शहर में आवारा घूमते पाए जाने के कारण नगरपालिका प्रशासन को मवेशियों को कांजीहाउस भेजने की कार्यवाही करनी पड़ती है।