शासकीय माध्यमिक शाला में शिक्षकों का टोटा

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शासन शिक्षा की गुणवत्ता को और अधिक बेहतर करने के सिर्फ वादे ही कर रहा है। यथार्थ के धरातल पर उसके यह वादे झूठे साबित होते दिख रहे है। जिसका एक उदाहरण ग्राम पंचायत सावंगी स्थित शासकीय माध्यमिक शाला में दिखाई दे रहा है जहां दो शिक्षक व एक नेत्र दिव्यांग शिक्षिका के द्वारा हर कक्षा में होने वाले ६ – ६ विषयों को पढ़ाया जा रहा है। ऐसे में कभी कोई शिक्षक अगर छुट्टी पर रहा तो बच्चे मैदान में खेलते हुये नजर आयेंगे। यह आलम अकेले सावंगी शासकीय माध्यमिक शाला का नही जिलें के अधिकांशता हिस्से के हालत ऐसे ही है। ऐसे में शिक्षा ग्रहण करने वाले विद्यार्थियों को कैसी शिक्षा प्राप्त हो रही है यह अंदाजा लगाया जा सकता है।

कम से कम २ शिक्षकों की खल रही कमी – अमृतलाल

ग्रामीण अमृतलाल ठाकरे ने पद्मेश से चर्चा में बताया की उनके ग्राम सावंगी शासकीय माध्यमिक विद्यालय में मात्र दो पुरूष व एक महिला जो नेत्र दिव्यांग है वे ही अपनी सेवा दे रहे है। ऐसे में कई मर्तबा शिक्षक अगर छुट्टी या फिर किसी शासकीय मिटिंग पर चले गये तो इनकी पढ़ाई पूरी तरह से ठप्प पड़ जाती है। अधिकांशता बच्चे गरीब परिवार से ताल्लुक रखते है। वे प्राईवेट स्कूल में अध्यन करने में मजबूर है। हम चाहते है की हमारे ग्राम में कम से कम दो शिक्षकों को शासन प्रशासन और नियुक्त करे ताकि पढ़ाई का स्तर अच्छा बना रहे।

१ शिक्षक को अन्यत्र स्थान पर किया गया है अटेच – प्रधानाचार्य

वही शासकीय माध्यमिक शाला के प्रधानाचार्य सावंगी जेके कटरे ने पद्मेश को बताया की उनके स्कूल से एक शिक्षक को इसी ग्राम के अन्यत्र स्कूल में अटेच किया गया है। जिसकी वजह से पढ़ाई व्यवस्था में थोड़ा सा व्यवधान उत्पन्न हो रहा है। वही हम दो शिक्षक व एक नेत्र दिव्यांग महिला शिक्षिका है। जिनके द्वारा बच्चों को शिक्षा दी जा रही है। यह शिक्षिका अपने साथ एक सर्पोटर को लाती है जो शिक्षिका बोलती है तो ब्लेक बोर्ड पर सर्पोटर उसे लिख देते है। श्री कटरे ने बताया की वे चाहते है की जो शिक्षक को अन्यत्र स्थान पर अटेच किया गया है अगर उनकी ही इस स्कूल में पुन: नियुक्ति हो जाये तो हम लोगों को काफी राहत मिलेगी। श्री कटरे ने बताया की हम तीनों ही शिक्षक प्रतिदिन ६ वी से ८ वी तक पढ़ाये जा रहे ६ विषयों की पढ़ाई छात्र छात्राओं को करवा रहे है।

दर्ज संख्या के हिसाब से रहते है स्कूलों में शिक्षक

इस मामलें में जब दूरभाष पर जिला शिक्षाधिकारी अश्विन उपाध्याय से चर्चा की गई तो उन्होने बताया की बच्चों की संख्या के हिसाब से शिक्षक नियुक्त किये जाते है। जिस स्कूल में कम बच्चे होंगे तो निश्चित ही है उस स्कूल में शिक्षक शिक्षिकाऐं भी कम ही होगी। यह शासन के दिशा निर्देश है हमारा इसमें कोई हस्तक्षेप नही रहता।

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