कुम्हार अपनी कलाकारी से जिंदगी का विस्तार करने के लिये मेहनत कर रहे है पर उनका जीवन निस्तार तक ही सिमट कर रहे गया हैं। समस्या यह है कि वह कुम्हार जो मिट्टी को घड़कर अपने परिवार को आगे बढ़ाने के लिए लगा रहता था वह अब वारासिवनी क्षेत्र से पलायन कर नागपुर हैदराबाद अपनी रोजी रोटी कमाने के लिए चले गए हैं।
वही आज भी क्षेत्र में कुछ कुम्हार अपने पुश्तैनी कार्य को लेकर लगे पड़े हैं किंतु शासन की उदासीनता कहे या नजर अंदाजी ने उनकी कमर तोड़ दी है।
देखने में आता है कि शासन सभी वर्गों को समान नजरिया से देखकर अंत्योदय की योजना बनाने का दावा करती है परंतु क्षेत्र के सैकड़ों कुम्हार के आगे शासन का यह दावा शून्य समझ आता है क्योंकि आज भी कुम्हार मिट्टी की खदान और किफायती दाम पर लकड़ी प्राप्त करने के लिए शासन प्रशासन से गुहार लगाते नजर आ रहे हैं।










































