शासन प्रशासन की अनदेखी का शिकार हो रहे साइकिल रेस के खिलाड़ी

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बालाघाट(पदमेश न्यूज़)। टेक्नोलॉजी के इस दौर में मानव समाज भले ही कितने ही तरक्की क्यों न कर ले, लेकिन बचपन से लेकर जवानी और बुढ़ापे तक कहीं ना कहीं उसका ताल्लुक साइकिल से जरूर रहता है।साइकिल एक सरल, सस्ता, विश्वसनीय, स्वच्छ और पर्यावरण के अनुकूल टिकाऊ परिवहन साधन है, जो पर्यावरण संरक्षण और स्वास्थ्य को बढ़ावा देता है।साइकिल की इसी विशिष्टता, और बहुमुखी प्रतिभा को स्वीकार करते हुए प्रतिवर्ष 3 जून के दिन को विश्व साइकिल दिवस के रूप में मनाया जाता है।वही इस दिन विशेष को ध्यान में रखते हुए प्रतिवर्ष समय समय पर राष्ट्रीय स्तर तक साइकिल रेस की बड़े पैमाने पर प्रतियोगिता भी आयोजित की जाती है।लेकिन इस प्रतियोगिता में भाग लेने वाले खिलाड़ी शासन की अनदेखी लगातार शिकार हो रहे है। ना तो शासन प्रशासन द्वारा साइकिल रेस के खिलाड़ियों के लिए मैदान उपलब्ध कराया जाता है और ना ही अन्य खेलों की तरह साइकिल रेस खिलाड़ियों के लिए साधन व उपकरण उपलब्ध कराए जाते हैं।जिसका खामियाजा का इस खेल से जुड़े खिलाड़ियों को भुगतना पड़ता है। बावजूद इसके भी इस खेल से जुड़े बालाघाट के खिलाड़ी राज्य स्तर पर बालाघाट का नाम रोशन करके आए हैं। जहां कई प्रतियोगिताओं में अपने खेल का उत्कृष्ट प्रदर्शन करने वाले खिलाड़ियों और जिला साइकिल संघ सचिव द्वारा शासन प्रशासन से अन्य खेलों की तरह साइकिल रेस प्रतियोगिता के खिलाड़ियों पर भी ध्यान दिए जाने की मांग की गई है।

अन्य खेलो की तरह साइकिल रेस के खिलाड़ियों पर नही दिया जा रहा ध्यान
बात अगर बालाघाट जिले की करे तो साइकिल रेस प्रतियोगिता से जुड़े खिलाड़ियों के बुरे हाल है।क्यो की शासन स्तर से इन खिलाड़ियों को मदद नहीं मिल रही है। बालाघाट साइकिल एसोसिएशन के पदाधिकारियो के अनुसार शासन स्तर से खेल विभाग के द्वारा खो-खो, कबड्डी, फुटबाल, क्रिकेट सहित अन्य खेलों के लिए भरपूर बजट दिया जाता है, और करोड़ों खर्च किए जाते है, लेकिन साइकिलिंग प्रतियोगिता के लिए कोई भी बजट नहीं दिया जाता है, इतना ही नहीं खिलाड़ियों को साइकिल तक उपलब्ध नहीं कराई जाती है। इतना ही नहीं बालाघाट के खिलाड़ियों के लिए अभ्यास के लिए मैदान तक नहीं है, ये खिलाड़ी रोजाना डेंजर रोड में यातायात के आवागमन के बीच साइकिलिंग का अभ्यास कर अपनी जान जोखिम में डाल रहे हैं। कई बार प्रतियोगिता में जिले का नाम रोशन करने के बावजूद भी इन खिलाड़ियों को उनकी पहचान नहीं मिल पाई है और ना ही शासन स्तर से इन खिलाड़ियों की मदद के लिए कोई पहल की गई है। जिसके चलते खिलाड़ियों के साथ-साथ संगठन भी शासन प्रशासन से खासा नाराज है।

शासन प्रशासन की अनदेखी का खिलाड़ी भुगत रहे खामियाजा
एक आधिकारिक जानकारी के मुताबिक बालाघाट जिले के साइकिलिंग के खिलाड़ी जिला व राज्य स्तर पर तो बेहतर प्रदर्शन कर रहे है, और राष्ट्रीय स्तर पर भी शामिल हो रहे है, लेकिन उचित संसाधन के अभाव में ये खिलाड़ी राष्ट्रीय पर थोड़ा पीछे रहे जा रहे है। जिसका प्रमुख कारण उनकी साइकिल को माना जा रहा है। यहां राष्ट्रीय स्तर पर शामिल होने वाले अन्य राज्यों के खिलाड़ियों के पास दस से 15 लाख की लागत तक की साइकिल होती है, जिससे वे बेहतर प्रदर्शन में आगे निकल रहे है, और बालाघाट के खिलाड़ियों के पास डेढ़ से दो लाख की लागत की है साइकिलें है, जो उनके लिए समस्या कारण बन रही है। कुल मिलाकर कहा जाए तो इस प्रतियोगिता के खिलाड़ी शासन प्रशासन की अनदेखी का खामियाजा भुगत रहे हैं। जिस पर अब तक उचित ध्यान नहीं दिया गया है।

सुविधाए नही फिर भी जिले के खिलाड़ी राष्ट्र स्तर पर नाम कर रहे रौशन
साइकिलिंग के क्षेत्र में बालाघाट के खिलाड़ी न सिर्फ जबलपुर संभाग के लिए उपयोगी साबित होते है, बल्कि उत्कृष्ट प्रदर्शन कर राष्ट्रीय प्रतियोगिता के लिए मध्यप्रदेश की टीम का नेतृत्तव भी कर रहे हैं। बावजूद इसके शासन स्तर से साइकिल खिलाड़ियों के लिए सुविधा व संसाधन उपलब्ध नहीं हो पा रहे है। जिससे खिलाड़ियों के साथ ही इस खेल संगठन का मनोबल तो कम हो रहा है, फिर भी वे खेल के प्रति अपने जुनून को कायम रखे हुए हैं, राष्ट्र स्तर पर मध्यप्रदेश का डंका बजा रहे है।

मैदान नहीं होने से जान जोखिम में डालकर प्रैक्टिस कर रहे खिलाड़ी
आपको बताए कि बालाघाट जिले के करीब 50 खिलाड़ी रोजाना ही साइकिलिंग प्रतियोगिता की तैयारी के लिए कोच के नेतृत्व रोजाना अभ्यास कर रहे है, लेकिन ये अभ्यास खिलाड़ी मैदान में कर सके इसके लिए बालाघाट साइकिल एसोसिएशन लंबे समय से एक 600 मीटर के ट्रक के लिए प्रयासरत है, लेकिन उनका ये प्रयास भी सफल नहीं हो पा रहा हैं। जहां मैदान ना होने के चलते खिलाड़ी अपनी जान जोखिम में डालकर ट्रैफिक के बीच इस खेल की प्रेक्टिस करने के लिए मजबूर हैं।

जिले के 17 खिलाड़ी राष्ट्रीय प्रतियोगिता में दिखा चुके हैं जलवा
जिला साइकिल संघ पदाधिकारियो के अनुसार
कुछ माह पूर्व हुई राज्य स्तरीय प्रतियोगिता में बालाघाट जिले से कुल 38 खिलाड़ी शामिल हुए थे। जिसके बाद जब मध्यप्रदेश की टीम का चयन किया गया तो, यहां इंदौर, भोपाल,जबलपुर, रीवा जैसे बड़े जिले होने के बाद भी 24 सदस्यीय टीम में उत्कृष्ट प्रदर्शन के चलते बालाघाट के 17 खिलाड़ी शामिल किया गया था। जो पटना बिहार में आयोजित राष्ट्रीय प्रतियोगिता में शामिल हुए थे और उत्कृष्ट प्रदर्शन कर प्रदेश का नाम रौशन किए थे। इतना ही नहीं बालाघाट जिले के ही तीन खिलाडी फेडरेशन आफ इंडिया द्वारा आयोजित राष्ट्रीय प्रतियोगिता में शामिल हुए थे जो उड़ीसा में आयोजित हुई थी। राष्ट्रीय स्तर पर बालाघाट का नाम रोशन करने के बावजूद भी शासन प्रशासन ने इन खिलाड़ियों की तरफ कोई ध्यान नहीं दिया है। जिसका खामियाजा इस खेल से जुड़े खिलाड़ियों को भुगतना पड़ रहा है।

सबसे ज्यादा परेशानी मैदान की- उपवंशी
विश्व सायकिल दिवस के अवसर पर दूरभाष पर की गई चर्चा के दौरान बालाघाट जिला साइकिलिंग संघ सचिव मनोज उपवंशी ने बताया कि मप्र की टीम का नेतृत्व करते हुए बालाघाट के खिलाड़ियों ने राष्ट्रीय स्कूल गेम्स फेडरेशन में पांचवा स्थान हासिल किया गया है। वहीं तीन बार खिलाड़ी मध्यप्रदेश का नेतृत्व भी कर चुके है। बेहतर साइकिल के अभाव के चलते खिलाड़ी राष्ट्रीय स्तर पर वैसा प्रदर्शन नहीं कर पा रहे है, जैसा वे कर सकते है। वहीं मैदान के अभाव में भी खिलाड़ियों को अभ्यास करने में दिक्कत हो रही है। हमें सबसे ज्यादा परेशानी मैदान की है। यदि मैदान उपलब्ध हो जाए और संसाधन प्राप्त हो जाए तो बालाघाट जिले के खिलाड़ी राष्ट्र स्तर पर उत्कृष्ट प्रदर्शन कर जिले व पूरे प्रदेश का नाम रोशन कर सकते हैं।

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