भारत समेत दुनियाभर के बाजार में बड़ी गिरावट देखी गई है। बजट के ठीक पहले दलाल स्ट्रीट का इस मूड ने सभी को चिंता में डाल दिया है। वैसे माना जा रहा है कि अमेरिका में ब्याज दरों में बढ़ोतरी इसका सबसे बड़ा कारण है। कहा जा रहा है कि अभी कुछ और बड़ी गिरावट देखने को मिल सकती है। यानी निवेशकों के लिए मुश्किल दौर बना रहेगा। कोरोना महामारी भी बाजार के सेंटिमेंट्स को बिगाड़ रही है। अमेरिका और रूस के बीच तनातनी भी आग में घी का काम कर रही है। यहां जानिए एक्सपर्ट्स की राय कि आगे क्या करना चाहिए। वहीं गिरावट की बड़ी बजह क्या हैं
Stock Markets Crashed: गिरावट की दो बड़ी वजह
1. महंगा होता क्रूड बिगाड़ेगा सरकार का बजटीय गणित: सरकार के बजटीय गणित पर सबसे ज्यादा परोक्ष असर महंगे होते क्रूड का पड़ेगा। वर्ष 2022 में क्रूड की कीमतें 14 प्रतिशत बढ़कर 88.17 डालर प्रति बैरल हो गई हैं। पिछले सात वर्षों में यह सबसे ज्यादा है। यह ठीक है कि तेल कंपनियां पेट्रोल और डीजल की कीमत नहीं बढ़ा रही हैं, लेकिन अगर क्रूड की कीमतें ऐसी ही बनी रहीं तो पांच राज्यों के चुनाव खत्म होने के बाद एकमुश्त कीमतें बढ़ाई जा सकती हैं। इसका व्यापक असर महंगाई पर पड़ सकता है। ऐसे में यह देखना होगा कि वित्त मंत्री जनता को फिर से महंगे पेट्रोल डीजल के एक नए दौर में डालती हैं या फिर उन्हें राहत देने के लिए पेट्रोल- डीजल पर उत्पाद शुल्क में पहले ही कटौती करेंगी। केंद्र सरकार के पास एक और उपाय है कि वह राज्यों को पेट्रो उत्पादों को जीएसटी के दायरे में लाने के लिए नए सिरे से बात करे और उन्हें तैयार करे। महंगे क्रूड का प्रभाव देश के चालू खाते में घाटे (निर्यात से होने वाली विदेशी मुद्रा की कमाई व आयात पर होने वाले विदेशी मुद्रा के खर्चे का अंतर) पर भी दिखाई देगा
2. महंगाई का दौर लौटने की आशंका भी बड़ी वजह: शेयर बाजार की गिरावट के लिए एक दूसरी बड़ी वजह अमेरिका और दूसरी अर्थव्यवस्था में महंगाई के दौर के लौटने को माना जा रहा है। इसकी वजह से अमेरिका के केंद्रीय बैंक फेडरल रिजर्व की तरफ से ब्याज दरों को बढ़ाने का एलान होने वाला है। इसका भारत पर असर होने की बात कही जा रही है। सबसे पहले तो अमेरिकी शेयर बाजार के आकर्षक होने से विदेशी संस्थागत निवेशक (एफआइआइ) भारत से पैसा निकाल कर वहां निवेश करेंगे। ऐसे में देखना होगा कि एफआइआइ को पैसा निकालने से रोकने के लिए आम बजट 2022-23 में कोई कदम उठाया जाता है या नहीं। इसका असर विदेशी मुद्रा भंडार और घरेलू बांड्स पर दिखेगा।
Stock Markets Crashed: जानिए आगे क्या करें
जियोजित फाइनेंशियल सर्विसेज के चीफ इन्वेस्टमेंट स्ट्रैटेजिस्ट वीके विजयकुमार के मुताबिक, अभी निवेशकों को थोड़ा सतर्क रहना होगा, क्योंकि पिछले सप्ताह अमेरिका के तकनीकी शेयरों में भारी गिरावट ने पूरी दुनिया के बाजार को प्रभावित किया है। रूस-यूक्रेन सीमा विवाद और फेडरल बैंक की तरफ से दरों में बढ़ोतरी से इस गिरावट को और मजबूती मिली है।
इसी तरह इक्विटी सलाहकार देवांग मेहता का कहना है कि बाजार चार-पांच दिनों से विकसित देशों में ब्याज दरों में बढ़ोतरी को लेकर सहमा हुआ है। ओमिक्रोन वैरिएंट के खतरनाक नहीं होने के बावजूद इससे प्रभावित मरीजों की संख्या सोचने को मजबूर कर रही है।










































