नगर में 16 दिसंबर को सकल जैन समाज के तत्वाधान में दिगंबर जैन मंदिर से रैली निकालकर नायब तहसीलदार प्रतिभा पटेल को राष्ट्रपति के नाम पांच सूत्रीय मांगों का ज्ञापन सौंपकर 20 जैन तीर्थ कारों और अनंत संतों की मोक्षस्थल श्री सम्मेद शिखर जी पारसनाथ पर्वतराज को पर्यटन सूची से बाहर किए जाने की मांग की गई है। ज्ञापन में उल्लेखित है कि 20 जैन तीर्थकरों और अनंत संतो के मुख्य स्थल श्री सम्मेद शिखर जी पारसनाथ पर्वतराज गिरिडिह झारखंड की स्वतंत्र पहचान पवित्रता और संरक्षण हेतु विश्व जैन संगठन द्वारा देशव्यापी श्री सम्मेद शिखरजी बचाओ आंदोलन के समर्थन में विशाल सभा व रैली निकालकर ज्ञापन के माध्यम से मांग की जा रही है कि पारसनाथ पर्वत राज को वन्य जीव अभ्यारण पर्यावरण पर्यटन के लिए घोषित इको सेंसेटिव जोन के अंतर्गत जोनल मास्टर प्लान व पर्यटन मास्टर प्लान पर्यटन धार्मिक पर्यटन सूची से बाहर किया जाये। पारसनाथ पर्वतराज को बिना जैन समाज की सहमति के इको सेंसेटिव जोन के अंतर्गत वन्य जीव अभ्यारण का एक भाग और तीर्थ माना जाता है लिखकर तीर्थराज की स्वतंत्र पहचान व पवित्रता नष्ट करने वाली झारखंड सरकार की अनुशंसा पर केंद्रीय वन मंत्रालय द्वारा जारी अधिसूचना को अविलंब रदद किया जाये। पारसनाथ पर्वत राज और मधुबन को मांस मदिरा बिक्री मुक्त पवित्र जैन तीर्थ स्थल घोषित किया जाये पर्वतराज की वंदना मार्ग अतिक्रमण वाहन संचालन व अभक्ष्य सामग्री विक्रय मुक्त कर यात्री पंजीकरण सामान जांच हेतु सीआरपीएफ व स्केनर सीसीटीवी कैमरे सहित दो चेकपोस्ट चिकित्सा सुविधा सहित बनाए जाये। वहां पेड़ों का अवैध कटान पत्थरों का अवैध खनन और महुआ के लिए आग लगाना प्रतिबंधित हो।
क्योंकि 2 अगस्त 2019 को तत्कालीन झारखंड सरकार की अनुसंशा पर केंद्रीय वन मंत्रालय द्वारा झारखंड में गिरिडिह जिले के मधुबन में स्तिथ सर्वोच्च जैन शास्वत तीर्थ श्री सम्मेद शिखर जी ‘पारसनाथ पर्वतराज’ को वन्य जीव अभ्यारण्य का एक भाग घोषित कर इको सेंसिटिव जोन के अंतर्गत पर्यावरण पर्यटन व अन्य गैर धार्मिक गतिविधियों की अनुमति दे वाली अधिसूचना क्र. 2795 (ई) बिना जैन समाज से आपत्ति या सुझाव लिए जारी की थी। 20 जैन तीर्थकरों और अनंत संतो की मोक्ष स्थली होने के कारण श्री सम्मेद शिखर जी का कण-कण प्रतिएक जैन के लिए पूजनीय है। जिसको लेकर 17 मार्च 2022 को केंद्रीय वन मंत्रालय और झारखण्ड सरकार को इसे रद्द करने हेतु याचिका भेजी गयी। परन्तु मंत्रालय द्वारा कोई भी कार्यवाही न करने पर देशव्यापी शांतिपूर्ण विरोध देश भर से जैन संस्थाओं और जैन बंधुओं द्वारा किया गया और आपको पत्र लिखकर कार्यवाही हेतु निवेदन किया गया लेकिन याचिकाओं पर आज तक कोई कार्यवाही नही की गयी। गत 15 जनवरी 2022 को पारसनाथ पर्वतराज पर हजारो लोगों की भीड़ चढ़ी लेकिन पर्वतराज की सुरक्षा और पवित्रता हेतु स्थानीय पुलिस व प्रशासन की कोई व्यवस्था नही थी जिसके कारण अजैन लोगो ने पवित्र जैन तीर्थकर मोक्षस्थलियो पर जूते चप्पल के साथ बैठकर उनका अपमान किया, जिसकी विडियो वायरल होने पर सकल जैन समाज में आक्रोश पैदा हुआ। इसको लेकर विश्व जैन संगठन के साथ अनेको जैन संस्थाओं ने मांस- मदिरा बिक्री मुक्त पारसनाथ पर्वतराज व मधुबन को पवित्र “जैन तीर्थ स्थल” घोषित किये जाने और पर्वत पर जाने वाले यात्रियों के पंजीकरण, सीसीटीवी कैमरे, यात्रियों के सामान की जांच हेतु स्कैनर व सीआरपीएफ के साथ दो चेक पोस्ट स्थापित किये जाने, पर्वत की वंदना मार्ग को अतिक्रमण मुक्त कराने और शुद्ध पेयजल व चिकित्सा आदि सुविधाएँ उपलब्ध कराने हेतु याचिका भेजी गयी लेकिन जैन समाज की मांगो पर आज तक कोई कार्यवाही नही की गयी और यह अल्पसंख्यक जैन समाज के साथ घोर अन्याय है। शास्वत जैन तीर्थराज श्री सम्मेद शिखर जी के संरक्षण, पवित्रता और स्वतंत्र पहचान की मांग हेतु 11 दिसम्बर 2022 से नई दिल्ली के रामलीला मैदान और सम्पूर्ण भारत में जारी देशव्यापी श्री सम्मेद शिखर जी बचाओ आन्दोलन किये जा रहे है। जिसके समर्थन में हमारे द्वारा विशाल रैली और विरोध सभा का आयोजन किया गया और सर्वसम्मति से उपरोक्त विषय में लिखित मांगो पर कार्यवाही किये जाने हेतु प्रस्ताव पारित किया गया। जिस पर तुरंत कार्यवाही के आदेश देकर देश में सबसे अधिक टैक्स देने और रोजगार देकर जीडीपी बढ़ाने वाले अल्पसंख्यक जैन समाज के साथ न्याय करें। इस अवसर पर बड़ी संख्या में जैन समाज के पदाधिकारी सदस्य मौजूद रहे।