तालिबान ने बंदूक के दम पर अफगानिस्तान पर कब्जा तो कर लिया, लेकिन अब सरकार नहीं बना पा रहा है। ताजा खबर यह है कि सत्ता को लेकर अब वहां तालिबान और हक्कानी नेटवर्क के बीच संघर्ष शुरू हो गया है। अफगानिस्तान के अखबार ‘पंजशीर ऑब्जर्वर’ की रिपोर्ट के मुताबिक, दोनों गुटों के बीच गोलीबारी होने लगी है। ऐसे ही एक घटनाक्रम में तालिबान का को-फाउंडर मुल्ला बरादर घायल हो गया है। हालांकि सत्ता के लिए खूनी संघर्ष की कहीं पुष्टि नहीं हुई है। बता दें, मुल्ला बरादर चाहता है कि वह सभी पक्षों को शामिल करते हुए सरकार का गठन करे, लेकिन हक्कानी नेटवर्क ऐसी किसी साझेदारी के खिलाफ है।
सिराजुद्दीन के नेतृत्व में हक्कानी और उसके आतंकवादी समूह किसी के साथ सत्ता साझा नहीं करना चाहते हैं। कहा जा रहा है कि हक्कानी को पाकिस्तान का मौन समर्थन हासिल है। हक्कानी इस्लामिक नियमों पर आधारित एक शुद्ध तालिबान सरकार के पक्ष में हैं। तालिबान और हक्कानी नेटवर्क की इसी खींचतान के कारण अफगानिस्तान में सरकार नहीं बन पा रहा है। तालिबान और मुल्ला बरादर के लिए मुश्किल है, क्योंकि दोहा में उन्होंने जिन देशों के साथ वार्ता की है, उनसे यही कहा है कि वे सभी पक्ष को मिलाकर सरकार बनाएंगे।
ईरान ने तालिबान को दिया झटका, राष्ट्रपति बोले- चुनी हुई सरकार बने
तालिबान भले ही कह रहा हो कि वह ईरान की तर्ज पर शासन चलाएगा, लेकिन ईरान के राष्ट्रपति ने अपने ताजा बयान में तालिबान को तगड़ा झटका दिया है। ईरान के राष्ट्रपति इब्राहिम रायसी ने अफगानिस्तान में चुनाव का आह्वान किया है। रायसी ने कहा कि उन्हें उम्मीद है कि अफगानिस्तान में शांति लौटेगी क्योंकि अमेरिकी सैनिक चले गए हैं और तालिबान ने नियंत्रण कर लिया है। अफगानिस्तान के लोगों को जल्द से जल्द अपनी सरकार निर्धारित करने के लिए मतदान करना चाहिए। वहां एक सरकार बनाई जानी चाहिए जो वोटों और लोगों की इच्छा से चुनी गई हो।
पंजशीर में तालिबान के साथ लड़ रहे पाकिस्तानी सैनिक
अफगानिस्तान में तालिबान का कब्जा होने के बाद से पाकिस्तान खुश है। अब तो पाकिस्तान वहां सरकार गठन में भी मदद कर रहा है। ताजा खबर यह है कि पंजशीर पर कब्जा करने में भी पाकिस्तान, तालिबान की मदद कर रहा है। दोनों तरफ से हुई गोलीबारी में जब एक तालिबानी लड़ाका मारा गया तो उसके पास से पाकिस्तानी सेना का आईडी कार्ड मिला।