सफेदी की चमकार…! : उमेश बागरेचा

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By : उमेश बागरेचा

सत्ता का दुरुपयोग करने का सबसे आसान रास्ता नगरपालिका की ओर जाता है। जहां नियम कायदे कानून कोई मायने नहीं रखते। आप सफेदी के रिश्तेदार हो, करीबी हो तो, नगरपालिका ऐसी जगह है जहां आपकी मनोकामना पूरी हो जायेगी । नगरपालिका की माली हालत कैसी भी हो लेकिन आपके हालात बेहतर हो जायेंगे। उदाहरण के लिए हम यहां नगरपालिका परिषद बालाघाट द्वारा संचालित महात्मा गांधी उच्चतर माध्यमिक शाला की बात कर लेते हैं । स्कूल 15 अतिथि शिक्षकों की नियुक्ति का निरंतर दबाव झेल रहा है जिसके चलते करीब 2 लाख रुपये प्रतिमाह वेतन का अतिरिक्त भार नगर पालिका परिषद पर आता है। स्कूल को इन अतिथि शिक्षको की आवश्यकता नहीं है, तो भी लेना इसलिए जरूरी है क्योंकि प्रेशर पॉलीटिक्स है, सफेदी की चमकार की सिफारिश है । प्राप्त जानकारी के अनुसार इस स्कूल में किसी वक्त लगभग 1000 की संख्या में छात्र अध्यनरत होते थे, जो आज मात्र 200 छात्र ही रह गए हैं । इस स्थिति में अतिथि शिक्षको की भारी भरकम फौज की नियुक्ति करना कहां तक नियम सम्मत है! स्कूल में अभी रेगुलर प्राचार्य भी नहीं है। श्री बाजपेई जो व्याख्याता हैं वही प्रभारी प्राचार्य है। इनके अतिरिक्त 3 उच्च श्रेणी शिक्षक 1 सहायक शिक्षक है । 5 अन्य स्थाई कर्मी क्लर्क, चपरासी आदि के रूप में है। मस्टर रोल में भी 5 कर्मी है । ये कुल मिलाकर 15 लोग है। अब इनके अतिरिक्त हम उन 15 अतिथि शिक्षकों की बात कर रहे हंै, जिनकी कल 30 जून तक नियुक्ति थी । अब जबकि वर्तमान में स्कूल बंद है तब क्या इन अतिथि शिक्षकों की स्कूल को आवश्यकता है या सिर्फ सफेदी की सिफारिश पर स्कूल पर अनावश्यक 2 लाख रुपया बोझ हर महीने डालना आवश्यक है । यहां यह भी उल्लेखनीय है कि इन अतिथि शिक्षकों की नियुक्ति में नियमों का पालन तो होता ही नही है । इनकी नियुक्ति एक अवधि तक के लिए अर्थात सत्र के 10 माह के लिए ही होती है, लेकिन इन्हे 10 माह बाद भी निरंतर सेवा में रखा जाता है। नियम के अनुसार हर सत्र के पहले संविदा शिक्षकों की आवश्यकता की सूचना का अखबार में प्रकाशन होना चाहिए, लेकिन पिछले कई वर्षो से सूचना का प्रकाशन ही नहीं किया गया । मतलब गुप चुप अपने लोगो को संविदा में लगा दिया , योग्यता तथा अधिक अंक का कोई महत्व नहीं । अभी 30 जून को संविदा शिक्षकों की नियुक्ति का समय समाप्त हो गया है ,स्कूल बंद है ,अब यह देखना होगा कि बगैर आवश्यकता के कितने लोगो को अतिथि शिक्षक के रूप में पुन: नियुक्ति दी जाती है और क्या ये नियुक्ति नियमानुसार विज्ञापन निकालकर होती है या फिर सफेदी की चमकार की सिफारिश पर ?

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