भोपाल। भोपाल रेल मंडल से गुजरने वाली ट्रेनों को रोकने की घटनाएं बीते दो साल में कम हो गई है। इसकी वजह ट्रेन रोकने वाले यात्रियों को दी जाने वाली समझाइश और उन पर की गई कार्रवाई है। मतलब पहले की तरह अब ट्रेनों को चेन पुलिंग करके कम रोका जा रहा है तो वही ट्रैक पार करके ट्रेनों की गति प्रभावित करने वालों की संख्या भी कम हो गई है। यह स्थिति भोपाल रेल मंडल में चेन पुलिंग और ट्रैक पास करने से जुड़े प्रकरणों का अध्ययन करने से पता चली है।बता दें कि साल 2018 में 2500 से अधिक बार ट्रेनों को जबरन रोका गया। इसके लिए जंजीर खींची गई। ऐसा भोपाल, हबीबगंज, इटारसी, हरदा, बीना, गुना, संत हिरदाराम नगर समेत मंडल के अन्य स्टेशनों के आउटरों पर हुआ। इस वजह से ट्रेनों में यात्रा करने वाले दूसरे यात्रियों को परेशान होना पड़ा। एक बार ट्रेन की जंजीर खींचने से ट्रेन के रुकने और दोबारा चलने में 15 से 20 मिनट का समय लगता है। इस तरह कई घंटे ट्रेन रोककर बर्बाद किए गए। ऐसा उन लोगों ने किया जो जल्दी उतरने की फिराक में थे या फिर ट्रेन प्लेटफार्म पर रुकी लेकिन नहीं उतर पाए और जब ट्रेन चलने लगी तो जंजीर खींच दी। रेलवे में साल 2016 और 2017 में कम प्रकरण सामने आए थे लेकिन 2018 में एकदम से बढ़ गए। अब 2019 में ऐसे मामलों में गिरावट आई है।
इसी तरह रेलवे ट्रैक पार करके रेल यात्रा को प्रभावित करने वाले लोगों की संख्या भी घटी है। 2018 में 1100 लोग रेलवे ट्रैक पार करते समय पकड़े गए थे 2019 व 2020 में यह संख्या कम हो गई है।आरपीएफ ने चलाया अभियानभोपाल रेल मंडल के सीनियर कमांडेंट बी राम कृष्णा बताते हैं कि ऐसे मामलों में गिरावट लाने के लिए लोगों को समझाइश दे रहे हैं। ट्रेनों के अंदर और रेलवे स्टेशनों पर नुक्कड नाटक किए जा रहे हैं। जंजीर खींचकर ट्रेनों को रोकने के नुकसान बता रहे हैं। ट्रैक पार न करने की लगातार समझाइश दी जा रही है, जो लोग नहीं मानते हैं उन्हें चिन्हित करके कार्रवाई कर रहे हैं इसलिए ऐसे मामलों में गिरावट आ रही है। आम यात्री भी पहले की तुलना में अब मदद करने के लिए आगे आ रहे हैं।