कोरोना संक्रमण काल में छात्रों को कोविड महामारी से बचाने के लिए मध्यप्रदेश शासन स्कूल शिक्षा विभाग से लेकर उच्च शिक्षा विभाग द्वारा वैकल्पिक व्यवस्था के तहत ऑनलाइन पढ़ाई शुरू करवाई गई है, लेकिन यह कितनी कारगर है, इस बात का अनुमान इसी से लगाया जा सकता है कि इससे ना तो छात्र खुश है ना उनके परिजन।
छात्र तो यहां तक कह रहे हैं कि उन्हें क्लास में पढ़ने की आदत है मोबाइल में तो बस खानापूर्ति हो रही है ऐसे में यदि आगामी दिनों में परीक्षा हुई तो उनका पास होना भी मुश्किल है यह हालात स्कूल से लेकर कॉलेज की पढ़ाई कर रहे छात्रों के साथ एक समान दिखाई दे रहे हैं।
छात्रों के परिजन बताते हैं कि मोबाइल की पढ़ाई के दौरान शिक्षक अपनी मन की बात बता देते हैं लेकिन छात्रों को क्या परेशानी हो रही है यह छात्र नहीं बता पाते नतीजा छात्र कथा की तरह पाठ तो पढ़ लेते हैं लेकिन समझ कुछ नहीं आता उन्हें अपने बच्चों का भविष्य अंधकार में दिखाई दे रहा है।
निश्चित ही यह शिक्षा विभाग और छात्र दोनों की मजबूरी है कि वह कोविड की महामारी को देखते हुए मोबाइल पर ऑनलाइन पढ़ाई कर रहे हैं। इस बात को शिक्षा विभाग भी जानता है की प्रत्यक्ष रूप से पढ़ाई करना और ऑनलाइन पढ़ाई कराने में कितना अंतर है। लेकिन दोनों की अपनी मजबूरी है इसीलिए अभी यह कहा नहीं जा सकता कि छात्रों कब तक इसी तरह पढ़ाई करनी पड़ेगी।