सवा सौ साल पहले शुरू हुआ था भोपाल में पहला अस्पताल, अब हर वर्ष 45 लाख से ज्यादा मरीजों को मिल रहा इलाज

0

शहर में चिकित्सा सुविधा का दायरा बढ़ रहा है। यहां देश के कई राज्यों से सस्ता और बेहतर इलाज है। ट्रांसप्लांट जैसी जटिल सर्जरी, रोबोटिक आर्म जैसे अत्याधुनिक उपकरण, अनुभवी डाक्टर और ई-मेडिकल जैसी सुविधाओं की वजह से राजधानी तेजी से मेडिकल हब बनने की दिशा में बढ़ रहा है। मालूम हो कि शहर में 1890 में लेडी लैंस डाउन वुमन हास्पिटल के रूप में पहले अस्‍पताल की नींव रखी गई थी। अब करीब 125 साल बाद शहर में हर साल 45 लाख से ज्यादा मरीजों का इलाज किया जा रहा है। यह कहना सही होगा कि आने वाले समय में भोपाल शहर मेडिकल टूरिज्म का हब बन सकती है। वर्तमान में शहर में बड़े -छोटे मिलाकर लगभग 400 अस्पताल हैं। जीएमसी, एम्स के अलावा शहर में चार निजी मेडिकल कॉलेज भी हैं। जिनसे चिकित्सा शिक्षा की गुणवत्ता भी बेहतर हो रही है। जेनेटिक लैब से कैंसर जैसी गंभीर बीमारियों की आधुनिक जांच व नैक्सट जनरेशन सीक्वेंस से जैनेटिक बीमारियों का इलाज एम्स में मौजूद है।

दूसरे देशों से भी इलाज कराने आ रहे मरीजबांग्लादेश के 58 वर्षीय मो, इस्लाम का लिवर खराब हो गया था। दोस्त के कहने पर इलाज के लिए दिल्ली आए लेकिन खर्च ज्यादा था इसलिए भोपाल आ गए। निजी अस्पताल में सफल लिवर ट्रांसप्लांट किया गया। इसी तरह प्रयागराज के रहने वाले रोहन शर्मा किडनी ट्रांसप्लांट के लिए तुर्किये जाना चाहते थे, लेकिन वहां इलाज कराना काफी कठिन है। ऐसे में उन्होंने भोपाल में संपर्क किया और एक साल में ट्रासंप्लांट हो गया। दरअसल, राजधानी के मेडिकल कालेजं और बड़े निजी अस्पतालों के आंकड़ों को देखें तो हर साल दूसरे राज्यों से आने वाले मरीजों की संख्या बढ़ती जा रही है। मरीज ज्यादातर ट्रांसप्लांट सर्जरी, नी और हिप रिप्लेसमेंट, दंत चिकित्सा के साथ कास्मेटिक सर्जरी के लिए यहां आते हैं क्योंकि बड़े राज्यों के मुकाबले यहां उपचार की लागत बहुत कम है।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here