सिर्फ दुकानें बंद करा देना समस्या का समाधान नही΄

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उमेश बागरेचा
बालाघाट (पद्मेश न्यूज)। जिले में कोरोना संक्रमण अब तेजी से अपने पैर पसार रहा है। अब तक हुए पॉजीटिव्ह मरीजों की संख्या ८०० हो चुकी है, जिनमें से लगभग ५०० मरीज स्वस्थ्य हो गए है लगभग ३०० मरीजों का उपचार जारी है साथ ही दु:ख का विषय यह भी है कि लगभग १ दर्जन व्यक्ति इस बीमारी के चलते अंतिम सांसे ले चुके हैं। हालांकि सरकारी आंकड़ा अभी तक ०३ का है लेकिन बालाघाट के कोरोना मरीजों का गोंदिया, नागपुर, रायपुर आदि शहरों में जो निधन हुआ है उसकी गिनती बालाघाट के रिकार्ड में नहीं आती है।
इस बीमारी के विस्तार को रोकने में सरकार विफल होकर जवाबदेही से पीछे हट गई और सीधे जनता के पाले में बीमारी का वायरस आ गया है अब जनता इस वायरस को स्वयं से कितना दूर रख पाती है उस पर निर्भर है। इसके लिए जनता को ही जागरूक रहना पड़ेगा, उसके लिए जो प्रारंभिक सुझाव सरकार ने दिए हैं, उसमें मास्क पहनना, हाथों को बार-बार धोना या सेनेटाइज कर, लोगों से 6 फिट की दूरी बनाए रखना, बगैर जरूरी काम के बाहर नहीं निकलना, आयुर्वेदिक नुस्खा काढ़ा या फिर गिलाये, तुलसी, अश्वगंधा का सेवन करना आदि को अपनी दीनचर्या का हिस्सा बनाना पड़ेगा। आपका आत्मबल कमजोर नहीं पडऩा चाहिए।
लॉकडाउन का वक्त समाप्त हो जाने से आवागमन काफी बढ़ गया है बाजार भी पूर्व की भांति खुल गए हैं कुछ लोग तो कोरोना से बहुत डरे दिखाई दे रहे हैं तो वहीं दूसरी ओर कुछ लोग निडर होकर ऐसे घूम रहे हैं जैसे कोरोना नाम की कोई बीमारी हमारे आस-पास है ही नहीं। लोग बिना काम के यहां वहां आ जा रहे हंै। कहा जाता है कि बालाघाट जिले के ग्रामीण क्षेत्रों में एक लाख से अधिक मजदूर कोरोना प्रभावित अतिसंवेदनशील जिलों से लौटे थे उसके बावजूद हम देख रहे है कि बालाघाट के ग्रामीण क्षेत्र में कोरोना का प्रभाव लगभग नहीं के बराबर, किन्तु शहरी क्षेत्र में कोरोना दिन दूनी रात चौगुनी तरक्की कर रहा है, इसका कारण भी शहरी लोग है क्योंकि वे नागपुर, रायपुर, भोपाल, इंदौर, हैदराबार आदि बड़े शहर जहां कोरोना का ज्यादा प्रभाव है वहां से लगातार आना-जाना कर रहे हैं और आने के बाद वे घरों में कोरोन्टाइन रहने की जवाबदेही पूरी नहीं कर रहे हैं बल्कि बालाघाट जिले में आते ही बिंदास घूम-घूम कर कोरोना फैलाकर कोरोना कैरियर बन रहे हैं।
शहर में बढ़ रहे कोरोना संक्रमण से चिंतित सतपुड़ा चेम्बर ऑफ कामर्स ने व्यापारी वर्ग से सहमति लेकर २१, २२ एवं २३ को व्यापार बंद का निर्णय लिया था, किन्तु बालाघाट चेम्बर ऑफ कामर्स के अध्यक्ष अभय सेठिया के विरोध के चलते सतपुड़ा चेम्बर ने बंद का आव्हान वापस ले लिया था। कपड़ा व्यापारी संघ ने भी बैठककर सात दिन बंद का निर्णय लिया था किंतु उन्होने भी बंद का निर्णय वापस ले लिया। इस बीच कपड़ा रेडीमेड हेण्डलूम रिटेल एसोसिएशन का भी गठन हो गया, जो अब बाजार बंद करने की बात कर रहे हैं।
लेकिन अब म.प्र. के मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान ने भी प्रदेश के समस्त जिला कलेक्टरों को अधिकार दे दिया है कि वे व्यापारी वर्ग से सहमति बनाकर सप्ताह में दो दिन का लॉक डाऊन आवश्यकता पडऩे पर कर सकते है।
मुख्यमंत्री के इस आदेश ने पुन: समय सीमा तक दुकाने बंद होने की उम्मीदें बढ़ा दी है। किन्तु प्रश्र यह है कि क्या सिर्फ कुछ समय के लिए दुकाने बंद कर देने भर से कोरोना संक्रमण बढऩे से रूक जाएगा? आवागमन पूर्व की तरह सुचारू रहेगा, लोगो का एक जिले से दूसरे जिले में तथा एक प्रदेश से दूसरे प्रदेश में आना-जाना शुरू रहेगा, शेष सभी सेवाएं पूर्ववत सुचारू रूप से चलती रहेगी, ऐसे में कोरोना संक्रमण पर लगाम नहीं लग पाएगी। यदि प्रशासन बंद कराना चाहता है तो उसे सप्ताह में दो दिन पूर्ण लॉकडाऊन (पहले लॉकडाउन की तरह) करना पड़ेगा। सिर्फ दुकानें बंद करा देना समस्या का समाधान नहीं हो सकता।

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