सीईओ विवेक कुमार के दौरे की घबराहट को बताई जा रही अटैक की घटना !

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 जिला पंचायत में सीईओ का पद सम्भालते ही अपर कलेक्टर विवेक कुमार ग्रामीण क्षेत्रों का दौरा कर वहां की व्यवस्था दूरस्थ कर रहे है। इस दौरान उनके द्वारा कार्य मे लापरवाही बरतने वाले कर्मचारियों पर वैधानिक कार्यवाही भी की जा रही है। लेकिन सूत्रों की बातों पर यकीन किया जाए तो जिला पंचायत सीईओ की कार्यप्रणाली से पूरे जिले के पंचायती कर्मचारी बहुत अधिक मानसिक तनाव से गुजर रहे हैं।

इसी कड़ी मे जिला पंचायत सीईओ विवेक कुमार का बुधवार को बिरसा जनपद क्षेत्र में दौरा था।जहा सीईओ विवेक कुमार के दौरे की घबराहट समें एक  संविदा उपयंत्री को   सुबह फिल्ड पर जाते समय रास्ते अटैक आ गया।

जिसे प्राथमिक उपचार के तुरन्त बाद गम्भीर हालात में  गोंदिया हास्पिटल में रेफर किया गया है।

प्राप्त  जानकारी के अनुसार जनपद पंचायत बिरसा आज सीईओ विवेक कुमार का बिरसा जनपद क्षेत्र में दौरा था। इसे लेकर विभिन्न विभागों के अधिकारी कर्मचारियों को सुबह 9 बजे पहुंचने के लिए कहा गया था। इसी आपाधापी के बीच घबराहट में अपने कार्य क्षेत्र बिरसा जनपद पंचायत से निकले संविदा उपयंत्री रविशंकर मेश्राम को बिठली के पास अटैक आ गया। जहां  वह कई घंटे तक बेसुध पड़ा रहा। जिसे बाद में सूचना पर पहुंचे परिजनों ने उपचार के लिए केयर हास्पीटल में भर्ती कराया। लेकिन कोई सुधार नहीं होने और क्रिटिकल स्थिति को देखते हुए गोंदिया के सहयोग हास्पीटल में रेफर किया गया। जहा उनका उपचार जारी है।जिनकी हालत नाजुक बताई गई है।

आपको बता दें कि जिला पंचायत सीईओ विवेक कुमार द्वारा जिस तरह से पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग के कर्मचारी अधिकारियों से कार्य किया जा रहा है वह बेहद ही चर्चा का विषय बना हुआ है सुबह होते ही पहले 8:00 बजे फील्ड पर पहुंच जाएं वहां से जियो टैगिंग फोटो खींचकर नेट पर अपलोड करें और फिर ऑनलाइन होने वाली मीटिंग में वही से शामिल हो जाए कार्य के बारे में जानकारी दें घर आए खाना खाएं और फिर काम के लिए निकल जाए हो सके तो शाम को 5 बजे के बाद मीटिंग में उपस्थित हो जाएं सप्ताह में एक बार 8 घंटे की होने वाली जमब्बो मीटिंग में शामिल रहे काम बेहतर नहीं तो वेतन कटना तय। इस बीच छुट्टी का कोई प्रावधान नहीं और शासकीय अवकाश के दिन मीटिंग की पूरी व्यवस्था जिला पंचायत सीईओ विवेक सिंह द्वारा की जाती है ऐसा नहीं है कि पद्मेश न्यूज़ में इस बात की खबर पहले नहीं दिखाई दिखाई जरूर लेकिन कार्रवाई नहीं हूं जिले के जनप्रतिनिधि खामोश बैठे रहे इसी बात की परेशानी ग्रामीण एवम पंचायत विकास विभाग के कर्मचारी अधिकारियों को भी है कि कोई सुनता नहीं किसे बताएं कहां अपनी फरियाद लगाएं नतीजा जिला पंचायत सीईओ की तानाशाही बढ़ती गई और स्थिति यहां तक पहुंच गई कि कर्मचारियों को अटैक जैसी नौबत आ गई।

ऐसा नहीं कि इस बात की जानकारी पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग कर्मचारी संघ द्वारा जिले के जनप्रतिनिधि को नहीं दी गई बावजूद इसके कोई भी जिला पंचायत सीईओ विवेक सिंह की इस कार्यप्रणाली पर थोड़ा भी अंकुश लगाने की कोशिश नहीं कर रहा नतीजा आज पूरे जिले के कर्मचारी परेशान है इस बात की बानगी कर्मचारी मानसिक तनाव से गुजर रहे हैं कर्मचारियों के बीच से निकलकर आई बात पर गौर किया जाए तो बीते 1 महीने के दौरान 2 दर्जन से अधिक कर्मचारी मानसिक तनाव की परेशानी को लेकर नागपुर तक चक्कर लगा चुके हैं नतीजा गुरुवार को बिरसा जनपद पंचायत के अंतर्गत कार्यरत संविदा उपयंत्री को अटैक आना भी इसी कड़ी में जोड़ कर देखा जा रहा है।

आपको बता दें कि मध्यप्रदेश शासन द्वारा पूर्ण संक्रमण काल को देखते हुए 31 मार्च 2022 तक के लिए शनिवार और रविवार का अवकाश घोषित किया गया है लेकिन पिछले 2 महीने के रिकॉर्ड को खंगाला तो यह बात सामने आ जाएगी कि जिले के सभी आला अधिकारी शनिवार और रविवार को जम्बो मीटिंग लेते हैं। यह बात तो दूर पिछले दिनों बिरसा मुंडा जयंती हो या फिर गुरु नानक जयंती दोनों ही अवकाश के दिन जिला मुख्यालय में दिनभर मीटिंग का दौर चलता रहा है ऐसा नहीं है कि इस बात की जानकारी जनप्रतिनिधियों को नहीं है आपको बता दें कि रिकॉर्ड के अनुसार इनमें से कई मीटिंग में जिले के जनप्रतिनिधि भी शामिल हुए हैं।

जब सैंया भए कोतवाल तो साहब को डर किस बात का यही कहावत इन दिनों जिले में चरितार्थ हो रही है नतीजा मैदानी कर्मचारी अमला पूरी तरह से परेशान है और अधिकारी उन पर तानाशाही करने से बाज नहीं आ रहे।

मरता क्या न करता की तर्ज पर कर्मचारी चुपचाप अपने वरिष्ठओं की यातनाओं को सहना करना ही अपनी मजबूरी और नियति समझ बैठा है।

सूत्रों की बातों पर यकीन किया जाए तो आखिर कब तक कि अधिकारियों का चाबुक कर्मचारियों पर पढ़ता रहेगा या तो आने वाला समय बताएगा लेकिन यह चाबुक ऐसा ही चलता रहा तो निश्चित है कि कर्मचारी बगावत की राह पर आ जाएंगे और इसका परिणाम जिले से लेकर प्रदेश की राजनीति तक पढ़ना तय माना जा रहा है।

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