जिले के भीतर सीएम राइज स्कूल के अधिकांश मामलों में जो फेरबदल किया गया है सब पर आरोपों की झड़ी लग रही है। चाहे मामला लालबर्रा से लेंडेझरी मराइस स्कूल करने का हो या फिर जिला मुख्यालय में वीरांगना स्कूल को सीएम राइस का दर्जा देने का हो।
आपको बता दें कि लगभग 25 करोड़ की लागत से बनने वाले इस स्कूल में विद्यार्थियों को गुणवत्तापूर्वक और सर्वसुविधायुक्त शिक्षा का प्रावधान है, जहां लालबर्रा, लांजी और किरनापुर के स्कूलों को भाजपा जनप्रतिनिधियों के विधानसभा और गृहग्राम में परिवर्तित करने को लेकर राजनीतिक माहौल गर्म है तो सीएम राइज स्कूल को लेकर एक बड़ी प्रशासनिक लापरवाही ने बालाघाट मुख्यालय में खुलने वाले सीएम राइज स्कूल को चर्चा में ला दिया है।
इधर तत्कालीन जिला शिक्षा अधिकारी एवं अतिरिक्त जिला परियोजना समन्वयक द्वारा जो सूची सीएम राइज स्कूल के लिए भोपाल भेजी गई। उसमें एकाएक वीरांगना रानी दुर्गावती स्कूल का नाम जुड़ गया, जो अपने-आप में एक बड़ा आश्चर्य और सवाल है, जबकि निरीक्षण सूची से लेकर सूची प्रस्ताव में भी स्कूल का नाम नहीं था। जिससे प्रतित होता है कि एक सुनियोचित तरीके से सीएम राइज स्कूल जैसी बड़ी योजना को मुख्यालय में फेल करने या फिर इसकी जिम्मेदारी से बचने के लिए उन बड़ो स्कूलों को संरक्षण प्रदान किया गया, जिनका नाम इस स्कूल के निरीक्षण और प्रस्ताव सूची में शामिल था। मापदंड के अनुसार 3 एकड़ से अधिक जमीन होना अनिवार्य है, जबकि स्कूल के नाम को लेकर भेजी गई सूची में अधिकारी ही दर्शाते है कि स्कूल के पास केवल 2.5 एकड़ जमीन है, जबकि राजस्व प्रलेखो में स्कूल के पास दो एकड़ से भी कम शासकीय भूमि है।
इस बात को स्वयं बीआरसी मानते हैं कि सीएम राइज स्कूल के चयन के दौरान यह सूची में शामिल नहीं था, लेकिन वरिष्ठ स्तर के आदेश के बाद विकासखंड मुख्यालय में स्कूल का चयन किया जाना था, इसलिए वीरांगना रानी दुर्गावती का नाम चयनित किया गया होगा।