सप्रीम कोर्ट (Supreme Court) से फिल्म निर्देश संजय लीला भंसाली (Sanjay Leela Bhansali) को बड़ी राहत मिली है। गुरुवार को अदालत ने मूवी गंगूबाई काठियावाड़ी (Gangubai Kathiawadi) की रिलीज पर रोक लगाने की मांग खारिज कर दी। गंगूबाई के दत्तक पुत्र होने का दावा करने वाले एक शख्स ने लीव पिटिशन दाखिल की थी। जिसमें फिल्म के प्रमोशन और रोकने की मांग की गई थी।
फिल्म रिलीज से एक दिन पहले आया फैसला
जस्टिस इंदिरा बनर्जी (Indira Banerjee) और जेके माहेश्वरी (JK Maheshwari) की बेंच ने याचिका खारिज की। सुप्रीम कोर्ट का फैसला फिल्म रिलीज से एक दिन पहले आया है। गंगूबाई काठियावाड़ी फिल्म शुक्रवार, 25 फरवरी को बड़े पर्दे पर आ रही है। ऐसे में अदालत के फैसले के बाद फिल्म निर्मताओं को राहत मिली है। संजय लीला भंसाली की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता आर्यमा सुंदरम (Aryama Sundaram) ने कहा कि अदालत एक ऐसे मामले से निपट रही है। जहां फिल्म अभी तक नहीं देखी गई है। जबकि मूवी को सेंसर सर्टिफिकेट दिया गया है।
बुक माफिया क्वींस का किया जिक्र
सुंदरम ने याचिकाकर्ता से यह साबित करने के लिए भी कहा कि वह वास्तव में गंगूबाई का दत्तक पुत्र है। उन्होंने कहा, हम इसे शर्मनाक नहीं मानते हैं। अगर कोई महिला इस पृष्ठभूमि से ऊपर उठती है। वह समाज के लिए कुछ करती है, तो इसमें शर्म की बात नहीं है। अधिवक्ता आर्यमा सुंदरम ने मानहानि के दावों का भी खंडन किया। कहा कि गंगूबाई का कथित दत्तक बेटा 11 साल पहले प्रकाशित हुई बुक ‘माफिया क्वींस’ (Book Mafia Queens) से अनजान था। अब जब फिल्म आ रही है, तो उसे इसकी जानकारी हो गई।
इसमें कुछ भी अपमानजनक नहीं
पुस्तक का जिक्र करते हुए वरिष्ठ अधिवक्ता मुकुल रोहतगी (Mukul Rohatgi) ने कहा कि कुछ भी अपमानजनक नहीं था। उन्होंने कहा, चरित्र वास्तव में महिमा किया गया था। कैसे वह एक पृष्ठभूमि से उठी और एक कार्यकर्ता बन गई। रोहतगी ने फिल्म ‘पद्मावत’ मामले का भी हवाला दिया। जिसमें सुप्रीम कोर्ट ने बैन लगाने से मना कर दिया था। वहीं बुधवार को सर्वोच्च न्यायालय ने निर्देशक भंसाली को सुझाव दिया था कि अपनी फिल्म का नाम बदल दें।