बिशप चाको बताते हैं कि कोरोना संक्रमण से लोगों को बचाने के लिए इस बार सीमित संख्या में भक्तों को गिरजाघर आने की अनुमति दी गई है। शहर के सभी 9 कैथोलिक गिरजाघरों में जन्मोत्सव की आराधना शाम को ही कर ली गई और 25 दिसंबर की सुबह पवित्र मिस्सा अर्पित करने के बाद गिरजाघर बंद कर दिए जाएंगे। 26 से भक्तों के लिए गिरजाघर के दरवाजे खोल दिए जाएंगे जिससे बाद में लोग दर्शन कर सकें।गुरुवार को शहर के तमाम गिरजाघरों का नजारा हर वर्ष से अलग था। भक्तों से भरे रहने वाले गिरजाघर तुलनात्मक रूप से इस दिन सूने से रहे। प्रत्येक गिरजाघर में भक्त पहुंचे, लेकिन उनकी संख्या सीमित थी। यही नहीं, मध्यरात्रि को होने वाली प्रभु यीशु की आराधना इस बार सूरज ढलने के साथ ही हो गई। घंटियों की कर्णप्रिय ध्वनि के बीच मिस्सा अर्पित किया गया। फिर चाहे वह शहर का सबसे पुराना व्हाइट चर्च हो या रेड चर्च, सभी जगह शाम को ही कैरोल गायन के साथ पवित्र मिस्सा अर्पित किया गया। कोरोना संक्रमण के कारण कैथोलिक और नॉन कैथोलिक गिरजाघर की बदली प्रार्थना व दर्शन व्यवस्था के बाद भी भक्तों को ज्यादा निराश नहीं होना पड़ा क्योंकि शहर के प्रमुख गिरजाघरों ने ऑनलाइन प्रार्थना और दर्शन की व्यवस्था की थी। इसका लाभ भक्तों ने उठाया।