स्कूल शिक्षा विभाग से सेवानिवृत शिक्षक ओपी दीक्षित जीवन की दूसरी पारी में कुछ ऐसा कर रहे हैं, जो उनके हमउम्र लोगों के लिए प्रेरणा बन गया है। कोरोना काल से पहले उन्होंने रेल पटरियों के आसपास की मलिन बस्तियों में रहने वाले मजदूरों के बच्चों में शिक्षा की अलख जगाई। उन्होंने बेटियों के साथ होने वाले अपराधों को करीब से देखा, तो इन बेटियो को आत्मरक्षा के गुर सिखाने का बीड़ा भी उठाया है। वह युवाओं के एक संगठन मन की उड़ान के साथ मिलकर बालिकाओं को आत्मरक्षा के लिए मार्शल आर्ट का प्रशिक्षण दे रहे हैं।
ओपी दीक्षित के कहने पर संगठन के जय अग्रवाल (ब्लैक बेल्ट) और पायल पंजवानी (ग्रीन बेल्ट) 140 बच्चों को मार्शल आर्ट की ट्रेनिंग दे रहे हैं, जिनमें 90 बालिकाएं हैं। इस प्रशिक्षण में बच्चों को भावनात्मक रूप से मजबूत बनाने के लिए रिटायर्ड पुलिस अफसरों के व्याख्यान भी कराए जाते हैं। समय-समय पर स्वास्थ्य परीक्षण भी कराया जाता है।
बंद कर रहे थे प्रशिक्षण: मार्शल आर्ट की ट्रेनिंग ले रहीं बच्चियां भी आत्मरक्षा सीखने के लिए काफी संजीदा हैं। ट्रेनर जय अग्रवाल व पायल पंजवानी ने बताया कि करीब डेढ़ माह पहले वे जगह के अभाव में प्रशिक्षण बंद कर रहे थे, तो लड़कियां निराश हो गईं। उन्होंने आग्रह किया कि ट्रेनिंग बंद न करें, क्योंकि वे आगे और सीखना चाहती हैं। उनकी इस गंभीरता को देखते हुए कुछ दिन किसी अन्य स्थान पर ट्रेनिंग कराई, अब फिर से विवेकानंद नीडम में ही प्रशिक्षण शुरू कर दिया है। कुछ लड़कियों में इतना परफेक्शन आ रहा है कि अगर 2-3 माह ट्रेनिंग दी जाए, तो वे स्टेट व नेशनल गेम तक खेल सकती हैं।
वर्जन-
कक्षा नौ से 12वीं तक के बच्चे पढ़ाई के साथ आत्मरक्षा के गुर भी सीख रहे हैं, कालेज की लड़कियां भी अब ट्रेनिंग के लिए आ रही हैं। केवल शारीरिक रूप से ही नहीं, मानसिक व भावनात्मक मजबूती देने की कोशिश ट्रेनिंग में रहती हैं।
ओपी दीक्षित, सेवानिवृत वरिष्ठ व्याख्याता डाइट
वर्जन-
बच्चियाें को पढ़ाने के साथ ही उन्हें आत्मरक्षा के गुर सिखाने का सराहनीय कार्य हो रहा है। मैं खुद दो बार यहां गया हूं। बच्चों से संवाद किया, कई बच्चियों ने कहा वे पुलिस में जाना चाहती हैं। यह सिलसिला जारी रहे, इसके लिए प्रोत्साहन व मदद दी जाएगी। पुलिस विभाग की महिला अधिकारियों को भी यहां जल्द भेजूंगा।










































