हुकमचंद मिल के 5895 मजदूर और उनके स्वजन को उम्मीद है कि इस बार की दीपावली उनके 32 वर्षों के अंधेरे को खत्म कर देगी। शासन इस सबसे बड़े त्यौहार से पहले उन्हें राहत देगा और उनके खातों में वह राहत पहुंच जाएगी। इस बार मिल के गेट पर हुई साप्ताहिक बैठक में हर बार की तरह मजदूरों के मुरझाए और आशाहीन रूआसा चेहरे नहीं बल्कि उम्मीद और चमक से भरे चेहरे नजर आए।
हालांकि मंजिल अब भी दूर है। मजदूरों का कहना है कि जितना वे खो चुके हैं उसके मुकाबले शासन द्वारा दी जा रही राहत कुछ भी नहीं है, लेकिन उन्हें संतोष इस बात का है कि आखिर 32 वर्ष का उनका संघर्ष रंग लाया और शासन को उनकी बात मानने के लिए मजबूर होना ही पड़ा। हुकमचंद मिल मामले में शुक्रवार 13 अक्टूबर को सुनवाई होना है। मजदूरों को विश्वास है कि इस बार शासन मजदूरों के भुगतान की कार्ययोजना प्रस्तुत कर ही देगा।
कहीं आश्वासन ही न रह जाए
साप्ताहिक बैठक में इस बार हर बार के मुकाबले ज्यादा संख्या में मजदूर पहुंचे। मजदूर नेता हरनाम धालीवाल, नरेंद्र श्रीवंश, किशनलाल बोकर ने उन्हें जानकारी दी कि सरकारी वकील ने उच्च न्यायालय को बताया है कि सरकार मंत्री परिषद की बैठक में मजदूरों के हक में फैसला ले चुकी है लेकिन इसकी प्रतिलिपी हमें उपलब्ध नहीं हो सकी है। इस पर न्यायालय ने दस्तावेज प्रस्तुत करने के लिए एक सप्ताह का समय दे दिया है।