
बाघों के खौफ पर भगवान विष्णु की शेष शैया के प्रति श्रद्धालुओं की आस्था ज्यादा भारी है। यही कारण है कि बांधवगढ़ में बाघ देखने आने वाले पर्यटक पहाड़ के ऊपर क्षीर सागर में स्थित भगवान विष्णु की शेष शैया का दर्शन किए बिना वापस नहीं जाते। श्रद्धालु सावन के महीने में भी यहां पहुंचते हैं। बांधवगढ़ के किले से पहले स्थित यह प्रतिमा इसलिए अनोखी है क्योंकि यह हजारों साल पुरानी है। बांधवगढ़ के पहाड़ के विभिन्न हिस्सों में भगवान के 12 अवतारों की छवियां पत्थरों पर उकेरी गई थीं, लेकिन भगवान की यह शेष शैया पर्यटकों को विशेष आकर्षण में बांध देती है। यहां कच्छप स्वरूप और शेष शैया पर आराम की मुद्रा में भी भगवान विष्णु के दर्शन होते हैं।बाघों के खौफ पर भगवान विष्णु की शेष शैया के प्रति श्रद्धालुओं की आस्था ज्यादा भारी है। यही कारण है कि बांधवगढ़ में बाघ देखने आने वाले पर्यटक पहाड़ के ऊपर क्षीर सागर में स्थित भगवान विष्णु की शेष शैया का दर्शन किए बिना वापस नहीं जाते। श्रद्धालु सावन के महीने में भी यहां पहुंचते हैं। बांधवगढ़ के किले से पहले स्थित यह प्रतिमा इसलिए अनोखी है क्योंकि यह हजारों साल पुरानी है। बांधवगढ़ के पहाड़ के विभिन्न हिस्सों में भगवान के 12 अवतारों की छवियां पत्थरों पर उकेरी गई थीं, लेकिन भगवान की यह शेष शैया पर्यटकों को विशेष आकर्षण में बांध देती है। यहां कच्छप स्वरूप और शेष शैया पर आराम की मुद्रा में भी भगवान विष्णु के दर्शन होते हैं।