हाई कोर्ट ने बक्सवाहा के जंगल में खनन पर लगाई रोक, केंद्र व राज्य सरकार और पुरातत्व विभाग से मांगा जवाब

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मध्य प्रदेश हाई कोर्ट ने बक्सवाहा के जंगल में खनन पर रोक लगा दी है। मुख्य न्यायाधीश रवि विजय कुमार मलिमथ व जस्टिस विजय कुमार शुक्ला की युगलपीठ ने इस मामले में केन्द्र एवं राज्य सरकार व पुरातत्व विभाग को जवाब प्रस्तुत करने का निर्देश दिया है। हाई कोर्ट ने कहा है कि हाई कोर्ट के निर्देश के बिना खनन की कार्रवाई नहीं की जाए। मामले की अगली सुनवाई आठ नवंबर को निर्धारित की गई है।

382 हेक्टेयर जमीन में होना है खनन : नागरिक उपभोक्ता मार्गदर्शक मंच के अध्यक्ष पीजी नाजपांडे की ओर से दायर याचिका में कहा गया है कि बक्सवाहा के जंगल की 382 हेक्टेयर जमीन हीरा खनन के लिए आदित्य बिड़ला ग्रुप की एस्सेल माइनिंग कंपनी को दी गई है। याचिका में कहा गया है कि बक्सवाहा के जंगल में 25 हजार वर्ष पुरानी रॉक पेंटिंग मिली है। इसके साथ ही चंदेल और कल्चुरी युग की मूर्तियां और स्तम्भ मिले हैं। वहीं दिल्ली निवासी रमित वसु की ओर से दायर याचिका में कहा गया कि बक्सवाहा का जंगल नौरादेही और पन्ना टाइगर रिजर्व के बीच का टाइगर कारीडोर है। अधिवक्ता अंशुमन सिंह ने दलील दी कि टाइगर कारीडोर में खनन के लिए नेशनल टाइगर कंजरवेशन अथॉरिटी की अनुमति नहीं ली गई है। अधिवक्ता सुरेन्द्र वर्मा ने तर्क दिया कि पुरातत्व विभाग जबलपुर द्वारा 10 से 12 जुलाई के दौरान किए गए सर्वे रॉक पेंटिंग मिली है। यदि बक्सवाहा के जंगल में हीरा खनन किया जाता है तो पुरातात्विक महत्व की संपदा को नुकसान पहुंच सकता है। हीरा खनन के लिए लगभग 2.15 लाख पेड़ काटे जाने की भी संभावना है। सुनवाई के बाद हाई कोर्ट ने बक्सवाहा के जंगल में खनन पर रोक लगा दी है।

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