२५ से अध्यादेश के विरोध में मंडी कर्मचारियों की अनिश्चितकालीन हड़ताल

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वारासिवनी(पद्मेश न्यूज)। नगर में स्थित कृषि उपज मण्डी में २३ सितंबर को मंडी कर्मचारी एवं हम्मालों , तुलावटियों की बैठक संपन्न हुई। यह बैठक मंडी निरीक्षक देवकरण सहारे, सहायक निरीक्षक नगेन्द्र रंगारे, निवृतमान नपाध्यक्ष विवेक पटेल, जनपद सदस्य छोटू ठाकरे सहित अन्य मंडी अधिकारियों व हमाल, तुलावटों की मौजूदगी में प्रारंभ हुई। इस बैठक में केन्द्र सरकार द्वारा जो अध्यादेश जारी किया गया है उसके संबंध में विस्तार से चर्चा कर यह बताया कि सरकार ने जो तीन अध्यादेश लागू की है जिसमें मंडियों को बंद करने सहित किसान विरोधी है जिससे मंडी के कर्मचारी-अधिकारी व मंडी में काम करने वाले रेंजा, हम्माल , तौलकों को खासा परेशानियों का सामना करना पड़ेगा क्योंकि मंडी में व्यापारी धान खरीदी करने आते है लेकिन वे जब खरीदी करने आयेगें तो उनसे टैक्स लिया जायेगा और बाहर खरीदने पर नही लिया जायेगा ऐसी स्थिति में वे मंडी नही आयेगे । जब मंडी में खरीदी ही नही होगी तो मंडी की आय समाप्त हो जायेगी ऐसी स्थिति में मंडी कर्मचारियों-अधिकारियों को वेतन नही होगा साथ ही हजारों मजदूरों को रोजगार नही मिलेगा सभी को भारी दिक्कतों का सामना करना पड़ेगा इसलिए जो केन्द्र सरकार ने अध्यादेश यानि कृषि बिल लेकर आई है उसका पूरे देश में विरोध किया जा रहा है इसी कड़ी में हम लोग भी २५ सितंबर से अनिश्चितकालीन हड़ताल कर सरकार के इस अध्यादेश का विरोध करने की बात कही। २५ सितंबर से पूरे प्रदेशभर के २५९ मंडियां बंद रहेगी एवं कार्यरत कर्मचारियों के द्वारा अनिश्चितकालीन हड़ताल की जायेगी जिसकी बैठक में रणनीति तैयार कर हड़ताल को समर्थन देने की बात कही गई।
मंडी में खरीदी करने पर व्यापारी को लगेगा टैक्स
केन्द्र सरकार के द्वारा कृषि के क्षेत्र में तीन अध्यादेश जारी किये गये है। इन तीन अध्योदेशे ने देशभर के कृषि क्षेत्र से संबंधित सभी वर्गों के किसान, व्यापारी, हम्माल, तुलैया और मंडी कर्मचारी खासा परेशान है जिसमें प्रथम अध्यादेश आवश्यक वस्तु अधिनियम १९५५ को संसोधित कर २०२० कर दिया गया है जिससे माल का स्टाक रखा जायेगा ऐसी स्थिति में कृषि उत्पादों की जमाखोरी और कालाबाजारी बढऩे की आंशका, दूसरा अध्यादेश मूल्य आश्वासन व कृषि सेवाओं के करारों के लिए किसानों का सशक्तिकरण और संरक्षण अध्यादेश २०२० जिससे कृषकों को यह आशंका है कि वे अपनी ही जमीन पर मजदूर न बन ये, तीसरा अध्यादेश किसान उत्पाद व्यापार और वाणिज्य अध्यादेश २०२० है इससे कृषि उपज मण्डी में किसान की उपज खरीदने व्यापारी मंडी आता है तो उसे टैक्स लगेगा, बाहर खरीदने पर नही ऐसी स्थिति में मंडी की आय कम होने के साथ ही किसानों को उसकी उपज का अच्छा दाम नही मिल पायेगा जिससे किसानों के साथ मंडी के कर्मचारियों को सबसे ज्यादा नुकसान होगा। जबकि भारत एक कृषि प्रधान देश है और देश व प्रदेश का सामाजिक-आर्थिक ढांचा प्रमुखता कृषि पर आधारित है इसलिए किसानों को उनकी उपज का उचित दाम मिलना चाहिए। पदमेश से चर्चा में कृषि उपज मण्डी वारासिवनी के सहायक उपनिरीक्षक नगेन्द्र रंगारे ने बताया कि सरकार ने तीन जो अध्यादेश लागू की है जिससे मंडी कर्मचारी के साथ मंडी में कार्यरत हजारों रेंजा, हम्माल, तौलक रोजगारविहीन हो जायेगे इसलिए सरकार से मांग है कि अध्यादेश को वापस ले यह फिर मंडी कर्मचारियों को राज्य कर्मचारी घोषित करे। निवर्तमान नपाध्यक्ष विवेक पटेल ने बताया कि कृषि उपज मण्डी में किसानों को उनकी उपज का अच्छा दाम मिल जाता है किन्तु केन्द्र सरकार के द्वारा जो अध्यादेश जारी किया है किसानों को सबसे ज्यादा नुकसान होगा साथ ही यह भी बताया कि करोड़ों रूपयों की लागत से मंडी का निर्माण किया गया है उसे बंद करने में लगी है सरकार जिससे हजारों लोग बेरोजगार हो जायेगें और यह सरकार की किसान विरोधी अध्यादेश है। संयुक्त मोर्चा मंडी बोर्ड जिलाध्यक्ष मनोज पटले ने बताया कि लोकसभा, राज्यसभा में कृषि बिल अध्यादेश जारी किया गया है जिसके विरोध में २५ सितंबर को पूरा भारत बंद है, किसानों, मंडी कर्मचारियों व हम्मालों को एकजुट करने के लिए बैठक आयोजित की गई थी, सरकार जो अध्यादेश लाई है जिससे किसानों को नुकसान होगा उन्हे उनकी उपज का अच्छा दाम नही मिल पायेगा।

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