२ वर्ष बाद भी दुर्गा तालाब का नहीं हुआ सुधार कार्य

0

वारासिवनी(पद्मेश न्यूज)।   वारासिवनी जनपद पंचायत अंतर्गत ग्राम पंचायत कोचेवाही में स्थित दुर्गा तालाब २ वर्ष पहले छोटे से सुराग को सफ लता पूर्वक बंद ना करने के कारण तालाब की पार फूट गई थी। जिसके कारण तालाब का पूरा पानी लोगों के खेतों में घुस गया था इसके बाद वर्तमान तक उक्त क्षतिग्रस्त तालाब का सुधार कार्य नहीं किया गया है। जिसके कारण तालाब में पानी एकत्रित नहीं हो पा रहा है इसका असर आस पड़ोस के किसानों एवं जंगली जानवर सहित पालतू जानवरों पर पढ़ रहा है कि उन्हें पानी के लिए इधर उधर भटकना पड़ रहा है। यह तालाब १० एकड़ से अधिक का तालाब है जो कई वर्षों पूर्व इसका निर्माण किया गया था जिसका उद्देश्य ग्राम के जल स्तर को बनाए रखने के साथ किसानों को सुविधा उपलब्ध कराना था। परंतु २ वर्ष से किसान और मवेशी को संघर्ष करना पड़ रहा है तो वहीं ग्राम का जल स्तर भी घटता जा रहा है। जहां ग्रामीणों के द्वारा उक्त तालाब का जल्द सुधार कार्य करने की मांग की जा रही है ताकि होने वाली समस्या से निजात मिल सके।

पानी नही मिलने से किसान फ सल से हो रहे वंचित

यह तालाब के कारण किसानों को रबी की फ सल लगाने में बहुत ज्यादा मदद मिलती थी क्योंकि उक्त क्षेत्र तक नहर का पर्याप्त पानी नहीं पहुंच पाता है। जहां पर नदी भी बहुत दूर पड़ती है इस परिस्थिति में इकलौता तालाब ही सिंचाई का साधन था। परंतु इसके क्षतिग्रस्त होने के बाद से कई किसानों के द्वारा फ सल लगाई जा रही है परंतु उन्हें उत्पादन नहीं मिल रहा है तो वहीं कई किसान रबी की फ सल लगाने के लिए भी सोच रहे हैं कि समय रहते पानी नहीं मिला तो क्या होगा। जिस पर पंचायत से लगातार मांग की जा रही है परंतु पंचायत द्वारा वर्तमान तक कोई ध्यान नहीं दिया गया है जिसका कारण है कि यह तालाब यथा स्थिति में पड़ा हुआ है। वहीं पंचायत के द्वारा तालाब के पानी निकासी के लिए उल्टा पाईप पुलिया बना दिया गया है की पानी किसानों के खेतों मेंं फ सल को खराब ना करें। यदि पंचायत के द्वारा मनरेगा या किसी भी प्रकार से प्रयास कर यदि तालाब का सुधार कार्य किया जाता तो उसमें थोड़ा बहुत पानी जमा हो सकता था। जो किसानों के तो नहीं परंतु मवेशियों के काम आता परंतु वह भी अब परेशान हो रहे हैं।

तालाब की पार टूटने किसानों को भारी परेशानी का सामना करना पड़ता है-गौरीशंकर ठाकरे

उपसरपंच गौरीशंकर ठाकरे ने बताया कि २ वर्ष पहले इस तालाब में एक छोटा सा सुराग था जिससे यह टूट गया है। इसके माध्यम से हमारे किसानों को दिक्कत है जो चाह रहे हैं कि जल्द तालाब बने यदि यह इस सत्र बन जाएगा तो पानी की समस्या से राहत मिलेगी। इस पर सरपंच के द्वारा भी प्रयास किया गया है किंतु अभी तक कुछ हुआ नहीं है कोई आदेश जारी नहीं हुआ। समस्या किसानों के सामने रबी लगाने की है गेहूं ,चना ,धान को दिक्कत है यदि तालाब भरा रहता तो उससे आसपास के किसानों को सहूलियत होती है गांव का वाटर लेवल बना रहता है। किंतु टूटने से किसान बराबर उत्पादन भी नहीं ले रहा है जलस्तर भी नीचे जा रहा है यह करीब १० एकड़ का तालाब है। इस पर बहुत कुछ निर्भर करता है और पूर्वजों के द्वारा बनाया गया तालाब है जो आसपास के कुएं और हैंडपंप का जलस्तर बनाकर रखना है और सिंचाई भी करता है। वर्तमान में पानी की कमी है मवेशियों को भी यहां पर पानी नहीं मिल पा रहा है।

तालाब में पानी नही होना किसानों के लिए आफ त बन गई है-हेमेंद्र मार्वे

ग्रामीण हेमेंद्र मार्वे ने बताया कि करीब २ वर्ष से यह नहीं बना है जिसके कारण बहुत ज्यादा इस क्षेत्र में समस्या बन गई है। यहां पर मवेशी जो चरने के लिए आते हैं या जंगल के मवेशी है उन्हें समस्या तो बनी हुई है। परंतु किसानों के लिए यह आफ त बन गई है किसी को भी पानी नहीं मिल पा रहा है। यहां पहले एक छोटा सा सुराग था जिसे भरने का कार्य ठीक तरीके से नहीं किया गया जो बराबर पैक नहीं हुआ जिससे एक दिन अचानक  टूट कर पूरा पानी निकल गया। वर्तमान में पूरे ग्राम का वाटर लेवल कम हो गया है और इसके साथ पास में जो गांव लगे हैं उनका भी जलस्तर इसी पर निर्भर है। अभी बोटेझरी का एक तालाब है इसके ऊपर इसका जलस्तर कम होने लगा है। यहां पर किसान पानी के लिए तरस रहे हैं इसे जल्द बनाना चाहिए अभी आप देख तो यह पूरा सूखा पड़ा हुआ है। क्योंकि थोड़ा भी पानी रुकने के लिए यहां व्यवस्था नहीं है पूरा तालाब खाली है।

एसडीओ और इंजीनियर के द्वारा मौका निरीक्षण किया गया सुधार कार्य किया जायेगा-मंजय सोनेकर

सरपंच प्रतिनिधि मंजय सोनेकर ने बताया कि पिछले वर्ष अधिक वर्षा से तालाब टूट गया था वह पुराना तालाब है वहां पर मवेशी और किसान दोनों लाभान्वित होते हैं। इसके लिए शासन को अवगत करवा दिया गया है एसडीओ और इंजीनियर के द्वारा मौका निरीक्षण किया गया था। तो उन्होंने कहा है कि यहां पर कंाक्रीट वॉल बनाएंगे तभी पानी रुकेगा वरना मिट्टी डालेंगे तो वह बह जाएगी और उसका कोई फ ायदा भी नहीं है। हमारे द्वारा स्थानीय स्तर पर इसे बांधने का भी प्रयास किया गया मिट्टी डाली गई चार से पांच फ ीट पानी रोकने के लिए परंतु वह पूरी मिट्टी बह गई। इसलिए किसानों को दिक्कत ना हो पाईप पुलिया बना दिया गया है कि पानी निकासी होती रहे।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here