जम्मू-कश्मीर में 149 साल पुरानी ‘दरबार मूव’ परंपरा को खत्म कर दिया गया है। इससे राज्य सरकार को हर साल 200 करोड़ रुपए का फायदा होगा। परंपरा खत्म करने के बाद 10 हजार कर्मचारियों को सरकार की तरफ से मिले जम्मू या कश्मीर में से किसी एक घर को खाली करना होगा। ये कर्मचारी अब एक जगह पर रहकर कई कामों को ऑनलाइन करेंगे।
क्या है दरबार मूव?
हर 6 महीने में जम्मू-कश्मीर की राजधानी बदल जाती रही है। गर्मी में श्रीनगर, तो ठंड में जम्मू से सरकार चलती है। राजधानी की यह अदला-बदली ‘दरबार मूव’ कहलाती है। दरबार मूव के तहत पहले हर 6 महीने में राज्य के कर्मचारियों को भी इधर से उधर किया जाता था। ट्रकों में भरकर फाइल और दूसरे सामान भी यहां-वहां होते थे। इसमें पैसे तो खर्च होते ही थे, साथ ही सामानों की टूट-फूट भी होती थी। राज्य के अधिकारियों के मुताबिक इस प्रक्रिया में हर साल 200 करोड़ रुपए खर्च होते थे। अब कर्मचारी अपनी नियुक्ति वाले स्थान पर ही रहेंगे और जरूरी कामों को ऑनलाइन करेंगे। जम्मू और श्रीनगर में मुख्यालयों वाले सिविल सचिवालयों में करीब 10 हजार कर्मचारी हैं।
परंपरा खत्म होने से कर्मचारियों पर क्या प्रभाव पड़ेगा?
1. संपदा विभाग के आयुक्त सचिव एम राजू ने बताया कि 21 दिनों के अंदर किसी एक जगह के सरकारी घर को खाली करना होगा।
2. केंद्र शासित प्रदेश J&K में संपदा विभाग की 4,678 यूनिट हैं। इनमें से 3,200 जम्मू और 1,478 कश्मीर में हैं।
3. दरबार परंपरा खत्म करने के बाद जो पैसा बचेगा, उसे वंचित वर्गों के लिए खर्च किया जाएगा।
कब लागू हुई थी दरबार प्रथा?
दरबार प्रथा की शुरुआत महाराजा गुलाब सिंह ने 1872 में की थी। परंपरा को 1947 के बाद से जम्मू-कश्मीर के राजनीतिक वर्ग ने जारी रखा था। उनका मानना था कि ये प्रथा कश्मीर और जम्मू के अलग भाषा और सांस्कृतिक वाले इलाकों में बातचीत के लिए पुल का काम करती है। पूर्व मुख्य सचिव बी.वी.आर सुब्रह्मण्यम ने 31 मार्च को कहा था कि सरकार ने विभागों में ई-ऑफिस शुरू करके कागज रहित ऑफिस में स्विच करने के लिए ठोस कदम उठाए हैं।
2020 में तत्कालीन मुख्य न्यायाधीश गीता मित्तल और जम्मू-कश्मीर उच्च न्यायालय के न्यायमूर्ति रजनीश ओसवाल ने परंपरा को बंद करने का सुझाव देते हुए कहा था यह राजकोष पर बोझ है। हालांकि, जम्मू-कश्मीर के लोगों ने कभी इस परंपरा का विरोध नहीं किया। इससे दोनों राजधानियों में आर्थिक सुधार हुए।
उपराज्यपाल ने की ई-ऑफिस की शुरुआत
दरबार मूव खत्म करने से पहले जम्मू-कश्मीर के उपराज्यपाल मनोज सिन्हा ने पहले अपने ऑफिस को पूरी तरह से ई-ऑफिस में शिफ्ट किया। इसकी घोषणा उन्होंने 20 जून को की। इसके बाद ही कर्मचारियों से घर खाली करने के लिए कहा गया। प्रशासन ने आधिकारिक रिकॉर्ड ई-ऑफिस पर अपलोड कर दिए हैं।