1000 साल पुराना गोपाल मंदिर, राधा-कृष्ण का बेशकीमती गहनों से होता है श्रृंगार

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कृष्ण जन्माष्टमी 30 अगस्त को रोहणी नक्षत्र में मनाई जाएगी। यूं तो सभी मंदिरों में जन्माष्टमी पर श्री कृष्ण का विशेष श्रृंगार किया जाता है, मगर ग्वालियर के फूलबाग स्थित गोपाल मंदिर में जन्माष्टमी पर राधा-कृष्ण का विशेष श्रृंगार लोगों के आकर्षण का केंद्र रहता है। भगवान कृष्ण का बेशकीमती गहनों से श्रृंगार हर साल किया जाता है। फूलबाग स्थित गोपाल मंदिर शहर के प्राचीन मंदिरों में से एक है। यह लगभग 1000 साल पुराना बताया जाता है। 1921 में सिंधिया राज के तत्कालीन महाराज माधवराव ने इस मंदिर का जीर्णोद्धार करवाया था। भगवान के श्रृंगार के लिए सिंधिया ने ही गहने बनवाए थे। गोपाल मंदिर में स्थापित भगवान राधा-कृष्ण की प्रतिमा को इन जेवरात से सुसज्जित करने की परंपरा आजादी के पूर्व से है। उस समय सिंधिया राजपरिवार के लोग व रियासत के मंत्री, दरबारी व आम लोग जन्माष्टमी पर दर्शन को आते थे। उस समय राधा-कृष्ण को इन जेवरातों से सजाया जाता था।

आजादी के बाद मध्यभारत की सरकार बनने के बाद गोपाल मंदिर, उससे जुड़ी संपत्ति जिला प्रशासन व निगम प्रशासन के अधीन हो गई है। अब निगम प्रशासन जन्माष्टमी के दिन कड़ी सुरक्षा के बीच राधा कृष्ण का श्रृंगार करता है। जिसे दूर दूर से श्रद्धालु देखने आते है। इन जेवरातों में हीरे-जवाहरात से जड़ा स्वर्ण मुकुट, पन्ना और सोने का सात लड़ी का हार, शुद्ध मोती की मालाएं, हीरे जड़े कंगन, हीरे व सोने की बांसुरी, प्रतिमा का विशालकाय चांदी का छत्र, चांदी के बर्तन, भगवान श्रीकृष्ण व राधा के झुमके, सोने की नथ, कंठी, चूडियां, कड़े समेत अन्य बहुत सा सामान शामिल हैं।

इस दिन कड़ी सुरक्षा के बीच सीमित संख्या में श्रद्धालुओं को गोपाल मंदिर आने की इजाजत दी जाती है। भगवान के मनमोहर रूप को देखने बहुत भीड़ उमड़ती है। मंदिर परिसर की निगरानी सीसीटीवी कैमरों से भी की जाती है। जन्माष्टमी के बाद नगर निगम इन गहनों को लाकर में रखवा देता है। ज्योतिषाचार्य सुनील चोपड़ा ने बताया कि अष्टमी तिथि 29 अगस्त रविवार को रात 11:25 बजे से प्रारंभ होकर 30 अगस्त सोमवार देर रात्रि 1:59 बजे तक रहेगी। पूजा का शुभ मुहूर्त 30 अगस्त रात्रि 11:59 बजे से 12:44 तक रहेगा।

सोमवार को होगा गोपाल मंदिर में बेशकीमती जेवरातों से भगवान का श्रृंगारः सोमवार को श्रीकृष्ण जन्माष्टमी है। इस दिन सिंधिया स्टेटकाल के समय बनाए गए गोपाल मंदिर में भगवान श्रीकृष्ण एवं राधारानी का बेशकीमती जेवरातों से श्रृंगार किया जाता है। सोमवार की सुबह इन जेवरातों काे नगर निगम के प्रशासक, कलेक्टर और अन्य अधिकारी भारी सुरक्षा में बैंक से निकालकर उनसे भगवान का श्रृंगार करेंगे। राधाकृष्ण के श्रृंगार में नगर निगम द्वारा बैंक लाकर में रखे गए करोड़ों रूपये कीमत के गहनों का उपयोग किया जाएगा। इन जेवरातों की कीमत नगर निगम वर्ष 2007 में आंकी थी, हालांकि यह सभी जेवरात बेशकीमती हैं।

इन जेवरात से हाेगा श्रंगार : भगवान के जेवरातों में सफेद मोती वाला पंचगढ़ी हार लगभग आठ लाख कीमत का, सात लढ़ी हार जिसमें 62 असली मोती और 55 पन्ने होंगे सन् 2007 में इनकी अनुमानित कीमत लगभग 12 से 14 लाख रू. आंकी गई थी। इसके अलावा सोने के तोड़े तथा सोने का मुकुट कृष्ण पहनेंगे, जिनकी कीमत भी लगभग 60 लाख रूपये है। गोपाल मंदिर की राधाजी का ऐतिहासिक मुकुट जिसमें पुखराज और माणिक जणित के पंख है तथा बीच में पन्ना लगा है। तीन किलो वजन के इस मुकुट की कीमत लगभग तीन करोड़ आंकी गई है तथा इसमे लगे 16 ग्राम पन्ने की कीमत लगभग 18 लाख आंकी गई।

राधाकृष्ण के नकसिक श्रृंगार के लिए लगभग साढ़े 18 लाख रूपये के जेबर उपलब्ध हैं। जिनमें श्रीजी तथा राधा के झुमके, सोने की नथ, कंठी, चूड़ियां, कड़े इत्यादि से भगवान को सजाया जाएगा। भगवान के भोजन आदि के लिए भी प्राचीन बर्तनों की सफाई कर इस दिन भगवान का भोग लगाया जाएगा। लगभग 60 लाख रू. कीमत के चांदी के विभिन्न बर्तनों से भगवान की भोग आराधना होगी। जिनमें भगवान की समई, इत्र दान, पिचकारी, धूपदान, चलनी, सांकड़ी, छत्र, मुकुट, गिलास, कटोरी, कुंभकरिणी, निरंजनी आदि सामग्रियां भी शामिल हैं।

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