जिला पंचायत बालाघाट में स्थाई समितियों के निर्वाचन की प्रक्रिया 3 सितंबर को की गई यह निर्वाचन प्रक्रिया काफी हंगामेदार और विवादों में रही। जिला पंचायत में देर शाम को स्थाई समितियों के निर्वाचन की प्रक्रिया को लेकर जिला पंचायत सदस्यों द्वारा आपत्ति जताई गई। इसमें आपत्ति तीन जिला पंचायत सदस्यों द्वारा दर्शाई गई, जिला पंचायत सदस्य का कहना है कि वे लोग समिति के निर्वाचन के दौरान मौजूद ही नहीं थे फिर उनका नाम समितियों में कैसे डाल दिया गया।
जिला पंचायत अध्यक्ष सम्राट सिंह सरस्वार के निवास पर पत्रकार वार्ता का आयोजन किया गया, जिसमें जिला पंचायत सदस्य डाली कावरे, प्रियंका परते और रविकांता बोरकर द्वारा बताया गया कि वे लोग स्थाई समितियों के निर्वाचन के दौरान मौजूद ही नहीं थे, फिर भी उनका नाम उनकी बगैर सहमति के समितियों में डाल दिया गया।
अपनी बात रखते हुए जिला पंचायत सदस्य सुश्री डाली कावरे ने बताया कि 3 सितंबर को जिला पंचायत में स्थाई समितियों का गठन हुआ। सभापति समिति के लिए वोट किए जिसमें कांग्रेस को 12 और भाजपा को 14 से 15 वोट मिले, उसको देखते हुए हमें समझ आ गया। हमारा कोरम तैयार नहीं होने वाला है हमारी समिति नहीं बनने वाली है इसलिए कांग्रेस के सभी 12 सदस्य वहां से चले गए। जिसके बाद वहां मौजूद भाजपा के लोगों द्वारा बारी-बारी से अपनी समिति का गठन किया गया। हमारी बिना सहमति के बिना किसी रायशुमारी के जैव विविधता प्रबंधन समिति में डाली कावरे और प्रियंका परते का नाम डाला गया, उसी प्रकार शिक्षा समिति में रविकांता बोरकर का भी नाम डाला गया। पहली बार ऐसा देखने मिला सदस्य की बिना सहमति के समिति बनाई गई हो, समिति बनाने के लिए कोरम पूरा होना चाहिए तभी समिति गठित होती है। सदस्यों की कमी होने पर हमारा नाम शामिल किया गया, हम यही चाहते हैं चुनाव स्थगित किया जाए ताकि दो सभापति का दोबारा चुनाव हो। यह हमारा आरोप है पीठासीन अधिकारी श्री मरकाम ने सदस्यों की बिना रायशुमारी के इतना बड़ा कदम कैसे उठाया है, ऐसा लगता है भाजपा ने पहले से ही फील्डिंग तैयार कर ली थी कांग्रेस के लोगों को शामिल कर अपना कोरम तैयार कर लिया था।