2014 के बाद गायब हो गई कतर महिला फुटबॉल टीम:पूर्व खिलाड़ी इंश्योरेंस एजेंट का काम कर रहीं

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कतर में फुटबॉल वर्ल्ड कप चल रहा है। सभी लोग इसके सफल आयोजन की तारीफ भी कर रहे हैं, पर अभी भी कुछ ऐसी बातें हैं जिनका कतर के पास जवाब नहीं हैं। साल 2010 में कतर ने जब वर्ल्ड कप की मेजबानी हासिल की थी तो उसने देश में महिला और पुरुष दोनों की फुटबॉल टीम होने की बात कही थी।

कतर ने दावा किया था कि वह देश में महिला फुटबॉल को बढ़ावा देना चाहता है। योजना के मुताबिक मौजूदा वर्ल्ड कप में इस्तेमाल किए जा रहे एजुकेशन सिटी स्टेडियम को वर्ल्ड कप के बाद महिला टीम द्वारा इस्तेमाल किया जाना है, पर पिछले कुछ सालों के आंकड़ों पर नजर डालकर देखें तो कतर की महिला फुटबॉल टीम का अस्तित्व नदारद है।

टीम ने अप्रैल 2014 के बाद से कोई ऑफिशियल इंटरनेशनल मैच नहीं खेला है। नेशनल टीम होने के बावजूद सोशल मीडिया पर टीम के महज 116 फॉलोअर्स हैं। एसोसिएशन की ऑफिशियल वेबसाइट पर भी टीम का जिक्र नहीं है। हालात ये हैं कि कभी इस टीम से खेलने वाली शाइमा और सुआद सलीम जैसी खिलाड़ियों को इंश्योरेंस एजेंट के रूप में काम करना पड़ रहा है।

कतर की महिला फुटबॉल टीम 2009 में अस्तित्व में आई। इसी समय कतर 2022 वर्ल्ड कप की मेजबानी का दावा पेश करने की तैयारी कर रहा था। 2010 में कतर की महिला टीम ने बहरीन से पहला इंटरनेशनल मैच अरेबिया वीमेंस कप में खेला, जहां उसे 17-0 से करारी हार मिली। इसके बाद फिलीस्तीन और सीरिया से भी टीम को शिकस्त मिली।

दिसंबर 2010 में कतर को वर्ल्ड कप की मेजबानी मिली। 2013-14 के बीच जर्मनी की पूर्व खिलाड़ी मोनिका स्टाब की कोचिंग में टीम के प्रदर्शन में सुधार हुआ। टीम ने एक भी मैच जीता तो नहीं, पर हार के अंतर को कम करते हुए मालदीव जैसे मजबूत विरोधी को कड़ी टक्कर दी।

हालांकि, 2014 में स्टाब को ये कहकर हटा दिया गया कि टीम के लिकए किसी पुरुष और अरबी भाषा बोलने वाले कोच की आवश्यकता थी। स्टाब के अनुसार उन्हें अंदाजा नहीं है कि पिछले 8 सालों में कतर की महिला टीम कहां गायब हो गई। पूर्व खिलाड़ी शाइमा के मुताबिक शायद खराब प्रदर्शन की वजह से एसोसिएशन ने उन पर ध्यान देना छोड़ दिया। वहीं, 15 साल की उम्र में टीम से खेलने वाली सलेह 23 साल की हो चुकी हैं और लॉ की पढ़ाई कर रही हैं।

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