2018 से फाइल में अटकी एलएडी लाइन

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शासन आम जनता को भले ही लाख समझाइश दे कि,  बिजली है शक्ति उसकी बचत करें, जितनी जरूरत हो उतना जलाए, लेकिन स्वयं इस नियम का पालन करते दिखाई नहीं दे रही है।  तभी तो वर्ष 2018 से शहर के विद्युत पोलो में एलइडी लगाने का प्रस्ताव नगरपालिका बालाघाट में पास हुआ लेकिन 4 वर्ष बीत जाने के बाद भी यह प्रोजेक्ट अमल में नहीं आ सका।
11 हजार पोल की योजना
 आज भी शहर के 33 वार्ड स्थित 11 हजार से अधिक विद्युत पोल पर वर्षों पुरानी बल्ब प्रणाली की लाइट लगे हुए हैं। जिससे हर महीने नगर पालिका बालाघाट को अतरिक्त में लाखों रुपए का बिजली का बिल जमा करना पड़ता है।
पीपीपी मोड़ पर अटकी योजना
योजना के अनुसार 31 मार्च 2018 को शहर के सभी विद्युत पोल पर एलईडी लाइट लगाने का प्रस्ताव पारित हो गया था उसके बाद प्रदेश शासन ने पीपीपी मोड मतलब ठेकेदारी प्रथा के अंतर्गत लाइट लगाने का प्रस्ताव भेजा जिसके लिए बकायदा वरिष्ठ स्तर से भेजे गए इंजीनियरों ने शहर का सर्वे भी कर लिया मगर इन सब को 4 साल बीत जाने के बाद भी एलईडी लाइट नहीं लगाए गए।
हर महीने बिजली के बिल
आज भी शहर के अधिकांश विद्युत पोल में पुराने बल्ब और उसी पद्धति के लाइट रोशनी कर रहे हैं। शासन बार-बार आम जनता से अपील करती है कि वे एलईडी लाइट का उपयोग करें।  कम वाट में अधिक रोशनी प्राप्त करें,  लेकिन स्वयं पर यह नियम लागू नहीं करती, नतीजा बल्ब अधिक वोट लेते हैं,  कम रोशनी देते हैं और बिजली के बिल की अधिक चपत भी देते हैं।
किया गया पत्राचार- जे एल पारधी
नगर पालिका के विद्युत शाखा प्रभारी  जे एल पारधी ने बताया कि उनके द्वारा समय-समय पर शहर की सभी 11,000 उन पर एलईडी लाइट लगाए जाने के लिए पत्राचार किया जा रहा है।  लेकिन पहले पीपीपी मोड पर लाइट लगाए जाने की योजना की वजह से प्रोजेक्ट अटक गया उसके बाद कोरोना की वजह से प्रोजेक्ट आगे नहीं बढ़ पाया अब नई परिषद में उनके द्वारा पुन: एक बार इस बात का ध्यान आकर्षण किया जाएगा।  जिससे शहर के सभी विद्युत पोल में एलईडी लाइट जल्द से जल्द लग सके।

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