2040 तक दुनिया में ग्लूकोमा के 11 करोड़ मरीज होंगे:तनाव से आंखों की सेहत खराब हो रही, नजर कमजोर होने का खतरा बढ़ा

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अत्यधिक तनाव लेना आपकी आंखों की सेहत के लिए नुकसानदायक है। ये आपकी आंखों की रोशनी को भी छीन सकता है। एक अध्ययन में पता चला है कि तनाव से ग्लूकोमा (मोतियाबिंद), विजन लॉस के अलावा आंखों से जुड़ी कई समस्याओं का खतरा बढ़ जाता है। सबसे ज्यादा नजर कमजोर होने का जोखिम होता है।

2040 तक ग्लूकोमा के 11 करोड़ मरीज होंगे
हाल ही में हुई एक रिसर्च में सामने आया कि 2040 तक दुनियाभर में ग्लूकोमा के मरीजों की संख्या बढ़कर 11 करोड़ के आसपास पहुंच जाएगी। दरअसल, लगातार तनाव से ऑटोनोमिक नर्वस सिस्टम में असंतुलन और वस्कुलर डिरेगुलेशन के कारण आंखों और दिमाग पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है।

तनाव से होती है आंखों में परेशानी
रिसर्चर्स ने यह भी पाया कि इंट्राओकुलर प्रेशर में बढ़त, एंडोथेलियल डिसफंक्शन (फ्लैमर सिंड्रोम) और सूजन तनाव के कुछ ऐसे नतीजे हैं, जिससे और नुकसान होता है। आंखों की नर्व और ब्लड वेसल्स कोर्टिसोल नाम के हॉर्मोन से प्रभावित होते हैं। यह आंखों को प्रभावित करता है। जब हम तनाव में होते हैं तब आंखों के अंदर मौजूद फ्लूइड में तनाव बढ़ने के साथ दवाब बढ़ता है, जिससे ब्लड वेसल्स के सूखने का खतरा रहता है। यह आंखों में होने वाली कई तरह की समस्या का कारण बनता है।

7-8 घंटे की नींद जरूर लें
यदि किसी व्यक्ति की आंखों का इलाज चल रहा है और इस दौरान वह व्यक्ति ज्यादा तनाव लेता है तो उसकी आंखें देर में ठीक होती हैं। हालांकि हर दिन कम से कम 7 से 8 घंटे की नींद जरूर लें। नींद पूरी न होने से भी तनाव बढ़ने की संभावना होती है। यह आंखों के लिए नुकसानदायक हो सकती है।

खर्राटे, दिन में सोने से ग्लूकोमा का जोखिम 11% ज्यादा
नींद पैटर्न वाले लोगों की तुलना में खर्राटे और दिन की नींद में ग्लूकोमा का जोखिम 11% बढ़ जाता है। अनिद्रा और छोटी या लंबी नींद लेने वालों में यह खतरा 13% तक बढ़ जाता है। स्वभाव, सीखने की क्षमता व याददाश्त पर भी असर पड़ता है।

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