(उमेश बागरेचा) 22 सितंबर 4 दिन शेष पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ के आगमन को लेकर तैयारी में लगे कांग्रेसजन। लेकिन गुटबाजी भी अच्छी खासी चल रही, शह और मात का खेल जिला पंचायत के चुनाव के समय से जो शुरू हुआ वह बदस्तूर जारी है, जारी तो क्या बल्कि बढ़ गया है। कमलनाथ के सामने अपना नंबर बढ़ाने और दूसरे को हासिये में डालने के पुरजोर प्रयास हो रहे हैं ताकि इस दूसरे के नंबर कमलनाथ के समक्ष बढ़ ना पाए। इस प्रयास में आग में घी डालने का काम पूर्व खजांची बहुत बेहतर तरीके से कर रहे हैं, जिला पंचायत में अध्यक्ष के चुनाव में भी इन्होंने यही किया था या ये कहा जाए तो अतिशयोक्ति नहीं होगी कि जिले में इनके पदार्पण के पश्चात से गुटबाजी का गंदा खेल चल रहा है। ऐसा नहीं है कि पहले गुटबाजी नहीं थी, पहले भी थी ,लेकिन आपस में इतनी वैमनस्यता या कड़वाहट नहीं थी जितनी आज पैदा कर दी गई है आज यह वैमनस्यता सार्वजनिक हो गई है। यही खेला एक बार फिर 22 सितंबर के प्रोग्राम के लिए खेला जा रहा है। कमलनाथ का वारासिवनी विधानसभा क्षेत्र के दो स्थानों खैरलांजी तथा मुख्यालय वारासिवनी में प्रोग्राम है। खैरलांजी में आयोजन की कमान हाल ही में बसपा से कांग्रेस में आए लोधी समाज के रामकुमार नगपुरे के कंधों पर है, जो निजी और सामाजिक तौर पर कार्यक्रम को सफल बनाने प्रयासरत है, यहां के प्रोग्राम से जिले के जवाबदेह कांग्रेसियों ने ना केवल दूरी बना के रखी हुई है, बल्कि इन कांग्रेसियों का पूरा प्रयास यह चल रहा है कि कमलनाथ का पूर्व निर्धारित कार्यक्रमानुसार हेलीकाप्टर सीधे खैरलांजी में न उतरे बल्कि वारासिवनी में उतरे और कमलनाथ सड़क मार्ग से खैरलांजी जाएं, ताकि कमलनाथ के साथ खैरलांजी से वारासिवनी रामकुमार नगपुरे की हेलीकाप्टर से आने की संभावना समाप्त हो सके। इन कांग्रेसियों का मानना है कि रामकुमार यदि हेलीकाप्टर में खैरलांजी से कमलनाथ के साथ वारासिवनी आ गया तो क्षेत्र में आगामी चुनाव को देखते हुए संदेश उसके पक्ष में चला जायेगा। इसी बात से डरकर बालाघाट निवासी वरिष्ठ इंका नेत्री ने बारिश के बहाने एसडीएम वारासिवनी पर दबाव भी बनाने की कोशिश की कि हेलीकाप्टर वारासिवनी में उतरे । अब बात कर लेते हैं वारासिवनी की यहां एक अनार सौ बीमार वाली कहावत चरीतार्थ हो रही है, आगामी विधानसभा की टिकिट के अनेक दावेदार है लेकिन इन दावेदारों में लगभग सभी पवार समाज से हैं। पूर्व सांसद विश्वेश्वर भगत की इस क्षेत्र से लडऩे की मंशा ने पूर्व से लाईन में लगे उन्ही के समाज के दावेदार इस समय सकते में है और ऐसे वक्त में रामकुमार नगपुरे की इंट्री ने इन सामाजिक बंधुत्व के दावेदारों को दिखावे के लिए एक जुट कर दिया है। इस कारण कमलनाथ का यह 22 सितंबर का प्रवास पूरी तरह दो समाज लोधी 1/ह्य पंवार के रूप में सामने आ गया है। एक बात और वारासिवनी के प्रोग्राम के प्रबंधन में खर्च कौन करे ये भी दिक्कत आ रही है। जेब में हाथ डालने लायक कोई दृष्टिगत नहीं हो रहा है। हालांकि चंदा तो होने लगा है, वारासिवनी क्षेत्र में उद्योग अच्छे खासे है, बालाघाट में भी उद्योग और व्यापार घराने है, कमलनाथ की फोटो वाले चेहरे भी है उन्हें फिर कमी कैसे हो सकती है। फिलहाल तो वारासिवनी में जैसा उत्साह दिखाई देना था वह नदारत है, उसका एक कारण प्रदीप जायसवाल का कांग्रेस से दूर चले जाना भी प्रमुख है, यदि वे आज कांग्रेस में होते तो जो नीरसता आज है वह नहीं रह पाती। ऐसे में भीड़ बढ़ाने के लिए समीपी क्षेत्र कटंगी, बालाघाट पर निर्भर होना पड़ेगा। लेकिन एक दिक्कत और है जो ग्रुपबाजी हो रही है जिसका उल्लेख यहां शुरुवात में हुआ है तदानुसार एक गुट जो स्वार्थवश बना है उसके द्वारा पूर्व खजांची के संरक्षण में जिले के कद्दावर कांग्रेसी जननेताओं की जो उपेक्षा की जा रही है इसमें इन गुटबाज नेताओं का कहीं कोई नुकसान नहीं होने वाला है नुकसान होना है या छवि का क्षरण होना है तो वह 22 तारीख को आने वाले मेहमान का होना है।