जबलपुर: आर्थिक अपराध शाखा ने विनोद सहाय उर्फ एनके खरे के नेतृत्व में चल रहे एक बड़े GST चोरी के मामले में 512 करोड़ रुपए की फर्जी बिलिंग का खुलासा किया है। आरोपी को रांची से गिरफ्तार किया गया और ट्रांजिट रिमांड पर जबलपुर लाया गया। वह 2 जुलाई तक हिरासत में है। EOW ने अपराध क्रमांक 102/25 के तहत मामला दर्ज किया है। इसमें 130 करोड़ रुपए के इनपुट टैक्स क्रेडिट का गलत दावा किया गया है। इससे सरकार को भारी नुकसान हुआ है।
2009 से आर्थिक अपराध में शामिल
शुरुआती जांच में पता चला है कि सहाय 2009 से आर्थिक अपराधों में शामिल है। वह एनके खरे और नी इन सोनकर सहित कई फर्जी पहचानों के तहत काम कर रहा था। उसने जाली दस्तावेजों और डिजिटल पहचान का उपयोग करके कई शेल कंपनियां स्थापित कीं और घोटाले को अंजाम दिया। EOW ने अब तक आरोपी से जुड़ी 23 फर्जी कंपनियों की पहचान की है। इनमें से 14 उसके नाम पर और 9 सहयोगियों के नाम पर हैं। इन कंपनियों ने बिना किसी सामान या सेवा की आपूर्ति के फर्जी बिल जारी किए।
इसका मुख्य उद्देश्य खरीदारों को इनपुट टैक्स क्रेडिट को धोखाधड़ी से पास करना, GST से बचना और झूठे दस्तावेजों, डमी मालिकों और हेरफेर किए गए बैंक लेनदेन का उपयोग करके पैसे को इधर-उधर करना था। अधिकारियों को दावा किए गए बिल मूल्य का समर्थन करने के लिए भौतिक स्टॉक, गोदामों, माल ढुलाई या बैंकिंग ट्रेल्स का कोई सबूत नहीं मिला।
512 करोड़ की फर्जी बिलिंग की
ईओडब्ल्यू ने GST चोरी के एक बड़े मामले का पर्दाफाश किया है। इस मामले में विनोद सहाय नाम का एक आदमी मुख्य आरोपी है। उसने 512 करोड़ रुपए की फर्जी बिलिंग की है। EOW ने उसे रांची से गिरफ्तार किया है और वह 2 जुलाई तक पुलिस हिरासत में रहेगा।