अखिल विश्व गायत्री परिवार द्वारा राष्ट्र जागरण अभियान के तहत गायत्री शक्ति पीठ बालाघाट के तत्वाधान में आगामी 30 नवंबर से 4 दिसंबर तक बालाघाट में 251 कुंडीय महायज्ञ और विराट संस्कार महोत्सव का आयोजन किया जा रहा है। जिसमें सभी सामाजिक और धार्मिक संगठनों की सहभागिता को लेकर गायत्री परिवार ने तैयारी प्रारंभ कर दी है। इसी कड़ी में रविवार को संस्कृति संस्कार हॉल गायत्री शक्तिपीठ प्रेमनगर में महिला संगोष्ठी का आयोजन किया गया। जिसमें सभी सामाजिक, धार्मिक, शैक्षणिक संगठनों की महिलाओं को आमंत्रित कर आयोजन को लेकर चर्चा की गई। खासकर आयोजन से पूर्व निकलने वाली कलश यात्रा पर विशेष जोर दिया गया। सामाजिक महिला लता हरिनखेड़े ने बताया कि यह जिले का सौभाग्य है कि गायत्री परिवार का इतना बड़ा आयोजन बालाघाट में हो रहा है।जिसमें जिले की अधिकाधिक महिलाओं की भूमिका, इसमें हो, इसके लिए महिलाओं को आगे आना होगा।संगोष्ठी के दौरान दिव्य शक्ति कलश पूजन के साथ ही सामाजिक, धार्मिक, शैक्षणिक की महिलाओं की समिति का गठन किया गया। गायत्री शक्तिपीठ की महिला प्रकोष्ठ द्वारा आयोजित संगोष्ठी में वरिष्ठ संरक्षक महेश खजांची, मुख्य प्रबंध ट्रस्टी डॉ. चारूदत्त जोशी, जिला अभियान प्रभारी महिला प्रकोष्ठ श्रीमती अमिता चौधरी, व्यवस्था लिखीराम भगत सहित सामाजिक, धार्मिक एवं शैक्षणिक संस्थाओं की महिला प्रतिनिधि मौजूद थी।
जिले के लिए स्वर्णिम अवसर आया है-अमिता
संगोष्ठी में राष्ट्र जागरण अभियान श्रृंखला के तहत 251 कुंडीय महायज्ञ और विराट संस्कार महोत्सव में मातृशक्ति की भूमिका पर सभी महिला प्रतिनिधियों ने अपने-अपने विचार रखे। जिला अभियान प्रभारी महिला प्रकोष्ठ अमिता चौधरी ने बताया कि गायत्री परिवार व्यक्ति, परिवार और समाज निर्माण का काम करता है, अखिल विश्व गायत्री परिवार द्वारा आगामी 30 नवंबर से 04 दिसंबर तक बालाघाट में राष्ट्र जागरण अभियान के तहत 251 कुंडीय महायज्ञ और विराट संस्कार महोत्सव का आयोजन किया जा रहा है। यह बड़े हर्ष की बात है कि बालाघाट में ऐसा स्वर्णिम अवसर आया है। उन्होंने बताया कि महिला संगोष्ठी का उद्देश्य, आयोजन के पूर्व निकलने वाली कलश यात्रा में महिलाओं की भूमिका पर चर्चा की गई। जिसमें सभी संगठन के प्रतिनिधियों से अपेक्षा की गई कि वह अपने संगठनों की महिलाओं की कलश यात्रा में सहयोगी के रूप में साथ लेकर आए, ताकि कलाश यात्रा, विराट और भव्य रूप से निकाली जा सके।










































