बाघों के लिए विश्व प्रसिद्ध दो राष्ट्रीय पार्क के कॉरिडोर के रूप में पहचाने जाने वाला बालाघाट जिले के भीतर लगातार वन्य प्राणियों की संख्या में वृद्धि होती जा रही है ऐसे में वन विभाग आज भी अपने वर्षों पुराने अतिक्रमण के मामले को पूरी तरह सुलझा नहीं पा रहा है।
बालाघाट जिले की एक और कान्हा राष्ट्रीय पार्क तो दूसरी और सिवनी स्थित पेच राष्ट्रीय पार्क होने की वजह से जब-जब इन पार्क में वन्य प्राणियों का दबाव बढ़ता जाता है वह बालाघाट जिले के सामान्य जंगलों में आ जाते हैं बीते कुछ वर्षों में लगातार इस बात के प्रमाण मिलते गए हैं।
पद्मेश न्यूज़ खास चर्चा के दौरान मुख्य वन संरक्षक एनके सनोडिया ने बताया कि बालाघाट जिले में जंगल का रकबा कुल उत्तर और दक्षिण सामान्य बन मंडल के तहत 3 लाख 42 हजार हैक्टेयर है जिसमें वर्षों पुराना अतिक्रमण लगभग 1 हजार हेक्टेयर भूमि पर आज भी है अतिक्रमण हटाने के लिए सतत प्रयास किए जा रहे हैं।
इस दौरान सीसीएफपी सनोडिया बताते हैं कि जिले के भीतर आगामी दिनों में लालबर्रा क्षेत्र के कुछ गांव का विस्थापन किया जाना है हालांकि अभी उनके विस्थापन के लिए वरिष्ठ स्तर से आदेश नहीं आए हैं निश्चित ही शासन ने महंगाई को देखते हुए विस्थापन होने वाले गांव के 18 वर्ष से अधिक आयु के व्यक्ति को परिवार का मुखिया मानते हुए पहले 10 लाख रुपया दिया जाता था अब शासन ने यह राशि बढ़ाकर 15 लाख कर दी है।