नई दिल्ली: भारत इस साल के अंत में इंडिया-रूस शिखर सम्मेलन की मेजबानी करेगा। रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन इस समिट में हिस्सा लेने भारत आ रहे। 2021 के बाद पहली बार पुतिल दिल्ली आएंगे। इस सम्मेलन में रक्षा सहयोग, ऊर्जा संबंध, परमाणु ऊर्जा में साझेदारी, आर्कटिक क्षेत्र में सहयोग और हाई-टेक सेक्टर में साथ काम करने की योजना पर बात होगी। यूरोपीय संघ (EU) की ओर से लगाए गए नए प्रतिबंधों के बीच यह सम्मेलन बेहद महत्वपूर्ण है। पीएम मोदी और रूसी राष्ट्रपति पुतिन की ये मुलाकात कब होगी अभी ये तय नहीं हुई है।
भारत-रूस समिट के लिए दिल्ली आ रहे पुतिन
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने बताया कि भारत-रूस शिखर सम्मेलन महत्वपूर्ण है। पिछला सम्मेलन मॉस्को में हुआ था। अब हमें दिल्ली में इसकी मेजबानी करनी है। तारीखें आपसी सहमति से तय की जाएंगी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और पुतिन ने आखिरी बार ऑपरेशन सिंदूर से पहले बात की थी।
ऑपरेशन सिंदूर से पहले पीएम मोदी-पुतिन की हुई थी बात
उस समय रूसी राष्ट्रपति ने भारत के आतंकवाद विरोधी कदमों का समर्थन किया था। उस समय रूस के S-400 मिसाइल डिफेंस सिस्टम और भारत-रूस के संयुक्त उद्यम ब्रह्मोस ने पाकिस्तानी सैन्य हथियारों को नष्ट करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। ये हथियार ज्यादातर चीन से आए थी।
SCO समिट के दौरान भी हो सकती है मुलाकात
अगर प्रधानमंत्री मोदी SCO शिखर सम्मेलन में चीन जाते हैं, तो दोनों नेता वहां भी मिल सकते हैं। यूक्रेन युद्ध के बाद से पुतिन ने विदेश यात्राएं कम कर दी हैं। हालांकि, वह 2025 के आखिरी तीन महीनों में भारत आ सकते हैं। भारत-रूस सम्मेलन में खाद्य सुरक्षा भी एक महत्वपूर्ण मुद्दा हो सकता है। पुतिन ने हाल ही में कहा था कि पीएम मोदी के अनुरोध पर रूस ने भारत को उर्वरक निर्यात बढ़ा दिया है। उर्वरक का मतलब खाद है, जो खेती के लिए जरूरी है।
भारत-रूस के बीच इन मुद्दों पर बातचीत के आसार
भारत और रूस के बीच वार्ता के दौरान अन्य महत्वपूर्ण मुद्दों की बात करें तो आर्कटिक क्षेत्र में भारत की मौजूदगी बढ़ाना और रूस द्वारा बनाए जा रहे परमाणु ऊर्जा संयंत्र के लिए दूसरी जगह तय करना। आर्कटिक क्षेत्र में बहुत सारे प्राकृतिक संसाधन हैं। भारत वहां अपनी भूमिका बढ़ाना चाहता है।
इस बीच, भारत ने ऊर्जा सुरक्षा पर अपना रुख दोहराया है। भारत ने रोसनेफ्ट (Rosneft) की भारतीय रिफाइनरी पर यूरोपियन यूनियन के प्रतिबंधों को मानने से इनकार कर दिया है। भारत का कहना है कि वह ऊर्जा के मामले में किसी भी तरह के एकतरफा प्रतिबंधों का समर्थन नहीं करता है।
क्यों अहम है पुतिन का ये भारत दौरा
भारत और रूस के बीच यह शिखर सम्मेलन कई मायनों में महत्वपूर्ण है। इससे दोनों देशों के बीच संबंध और मजबूत होंगे। साथ ही, कई क्षेत्रों में सहयोग के नए रास्ते खुलेंगे। ऊर्जा, रक्षा और तकनीक के क्षेत्र में दोनों देशों के बीच साझेदारी बढ़ने की उम्मीद है। यह सम्मेलन भारत और रूस दोनों के लिए फायदेमंद साबित हो सकता है।










































