41 साल पहले मध्य प्रदेश से लुप्त हुए जंगली भैंसों को फिर बसाने की तैयारी

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चीता के बाद मध्य प्रदेश की धरती पर जंगली भैंसे को भी फिर से बसाने की तैयारी शुरू हो गई है। इसके लिए कान्हा टाइगर रिजर्व में भैंसों के अनुकूल वातावरण का पता लगाया जाना है। यह जिम्मा वाइल्ड लाइफ इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया (डब्ल्यूआइआइ) देहरादून को सौंपा गया है। संस्था कान्हा पार्क के विभिन्न् हिस्सों में अध्ययन करेगी और एक साल में अपनी रिपोर्ट देगी। इसके आधार पर असम से जंगली भैंसे लाए जाएंगे।

वन विभाग ने इस संबंध में केंद्रीय पर्यावरण, वन एवं जलवायु परितर्वन मंत्रालय को प्रस्ताव भेज दिया है। ज्ञात हो कि प्रदेश में वर्ष 1979 के बाद जंगली भैंसे नहीं देखे गए हैं। आखिरी भैंसा पन्ना के रैपुरा क्षेत्र के रूपझिर गांव के पास दिखाई देने की बात सामने आती है।

कान्हा टाइगर रिजर्व में कई दशक पहले जंगली भैंसों की उपस्थिति के प्रमाण मिले हैं। इसलिए पूरी संभावना जताई जा रही है कि भैंसे इस पार्क में जीवित रहने में सफल रहेंगे। इसी कारण कान्हा पार्क में ही अध्ययन करने का निर्णय लिया गया है। पार्क का सुपखार क्षेत्र उनके अनुकूल बताया जा रहा है। इसमें चारे और पानी की पर्याप्त व्यवस्था है। क्षेत्र में करीब तीन किमी की परिधि में छोटी झाड़ियों के जंगल के साथ घास के मैदान हैं।

सूत्र बताते हैं कि संस्था ने अध्ययन शुरू कर दिया है। इसी के साथ विभाग ने भैंसे लाने की तैयारी भी शुरू कर दी है। छत्तीसगढ़ के उदयंती पार्क में 11 भैंसे हैं और वहां की सरकार भैंसे देने के लिए पहले तैयार भी थी, पर वहां भी भैंसे कम हैं। इसलिए मध्य प्रदेश असम से लाने की कोशिश कर रहा है।

अपने गौरव को वापस लाने के प्रयास

जंगली भैंसे को मध्य प्रदेश की धरती पर फिर से बसाने की कोशिशों के पीछे दो कारण है। पहला तो प्रदेश अपने स्टेटस सिंबल (गौरव) को वापस लाने की कोशिश कर रहा है। दक्षिण अफ्रीका से चीता लाने का भी यही कारण है, तो दूसरा विलुप्त वन्यप्राणियों की श्रेणी में शामिल इन जीवों को किसी महामारी से बचाने का सोच भी है। इसी सोच के चलते गुजरात के गीर अभयारण्य से एशियाटिक लायन (बब्बर शेर) मध्य प्रदेश लाए जाने थे, पर गुजरात सरकार शेर देने को तैयार नहीं है।

इनका कहना है

कान्हा में जंगली भैंसे के लिए अध्ययन करा रहे हैं। वहीं असम से भैंसे लाने की तैयारी भी शुरू कर दी है। केंद्र सरकार को प्रस्ताव भेज दिया है।

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