ब्रिटेन के शोधकर्ताओं ने ऐलान किया कि उन्होंने एक इसतरह के मरीज को ठीक किया है, जो पिछले 411 दिनों से करोना से जूझ रहा था। शोधकर्ताओं को मरीज को ठीक करने के लिए इस खास वायरस के जेनेटिक कोड का विश्लेषण करना पड़ा। इस अध्ययन से शोधकर्ताओं को सही इलाज का पता चला और फिर जाकर मरीज ठीक हुआ। विशेषज्ञों के मुताबिक बहुत कम संख्या में मरीजों में कोरोना संक्रमण का लगातार बना रहना लॉन्ग कोविड या बार-बार संक्रमण से अलग है। वह भी तब जब उनका इम्यून सिस्टम कमजोर हो चुका है।
लंदन के संक्रामक रोग विशेषज्ञ डॉक्टर लूक स्नेल ने बताया कि ये मरीज कई महीने या कई वर्षों तक कोरोना पॉजिटिव आ सकते हैं। यह संक्रमण गंभीर खतरा पैदा कर सकता है, क्योंकि आधे से ज्यादा लोगों में कोरोना के संक्रमण जैसे फेफड़े में सूजन बना रहता है।
इस व्यक्ति का किडनी ट्रांसप्लांट हुआ था, जिससे इम्यून सिस्टम कमजोर था। व्यक्ति को दिसंबर 2020 में कोरोना संक्रमण हुआ था और इस साल जनवरी तक उस टेस्ट में कोरोना पॉजिटिव पाया गया। इस मरीज को कई बार कोरोना संक्रमण हुआ या यह एक ऐसा संक्रमण था जो लगातार बना रहा, इस पता लगाने के लिए शोधकर्ताओं ने रैपिड जेनेटिक विश्लेषण का इस्तेमाल किया। यह टेस्ट मात्र 24 घंटे में अपना रिजल्ट दे देता है। इसमें पाया गया कि इस व्यक्ति में शुरुआती बी.1 वेरिएंट संक्रमण हुआ था।
बी.1 वेरिएंट साल 2020 के अंतिम दिनों में बहुत प्रभावी था लेकिन बाद में उसकी जगह पर नए स्ट्रेन आ गए। शुरुआती कोविड वेरिएंट होनी की वजह से शोधकर्ताओं ने मरीज को एंटीबॉडी ट्रीटमेंट दिया जो अब प्रभावी नहीं होने की वजह से इस्तेमाल नहीं होता है। लेकिन इस एंटीबॉडी ट्रीटमेंट ने मरीज को पूरी तरह से ठीक कर दिया। इसकी वजह यह थी कि वह व्यक्ति पुराने वेरिएंट से जूझ रहा था। वैज्ञानिकों ने कहा कि नए वेरिएंट पर अब कोई भी एंटीबॉडी काम नहीं करता है। इससे पहले शोधकर्ताओं ने इस मरीज को ठीक करने के लिए कई तरह के इलाज किए लेकिन उन्हें सफलता नहीं मिली थी। उन्होंने मान लिया था कि अब मरीज की मौत निश्चित है लेकिन पुराने इलाज ने उनकी जान बचा ली।