8 माह की मासूम बच्ची के साथ दुष्कर्म करने के मामले में- आरोपी को आजीवन कारावास

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8 माह की मासूम बच्ची के साथ दुष्कर्म और लैंगिक हमला करने के आरोप में एक आरोपी को मरते दम तक कारावास की सजा सुनाई। यह आरोपी आशीष पिता कामता प्रसाद बिसेन 22 वर्ष वार्ड नंबर 12 नेवर गांव थाना वारासिवनी निवासी है। लैंगिक अपराधों से बालकों का संरक्षण अधिनियम की विशेष न्यायाधीश श्रीमती नौशीन खान की अदालत ने इस आरोपी को प्राकृत जीवन काल के लिए कारावास की सजा सुनाते हुए उसे आठ हजार रुपए और अर्थदंड से भी दंडित किए हैं। अभियोजन की ओर से इस मामले की पैरवी विशेष लोक अभियोजक/ सहायक जिला अभियोजन अधिकारी श्रीमती आरती कपले द्वारा की गई थी।

अभियोजन के अनुसार यह घटना 9 जुलाई 2023 को 11:30 बजेवारासिवनी थाना क्षेत्र में आने वाले ग्राम नेवरगांव में घटित हुई थी। जब इस 8 माह की मासूम बच्ची को उसकी मां घर में पलंग पर खेलने के लिए छोड़ कर, वह इस बच्ची के शौच किये हुये कपड़े घोने के लिए घर के पीछे चली गई थी। कपड़े को तार पर डालकर जब उसने बाजू वाली गली से सामने दोनो बेटियों को आवाज दी। उसकी बेटियां नही दिखी तब वह सामने कमरे से अंदर वाले कमरे में पहुंची। तब उसने कमरे के अंदर आशीष बिसेन द्वारा बच्ची के साथ उक्त कृत्य करते देखी और चिल्लाई, हल्ला करने पर मोहल्ले के लोग घर से बाहर निकले। तब आशीष घर से भाग गया। वारासिवनी पुलिस थाने में इस बच्ची की मां के द्वारा की गई रिपोर्ट पर आशीष बिसेन के विरुद्ध धारा 450 376(ए-बी)भादवि, धारा 5(एम)/6 लैंगिक अपराधों से बालकों का संरक्षण अधिनियम 2012 तथा धारा 3(2)V, 3(1)W(i) अनुसूचित जाति जनजाति अत्याचार निवारण अधिनियम 1989 के तहत अपराध दर्ज कर इस अपराध में आशीष बिसेन को गिरफ्तार किया गया और विवेचना अनुसंधान उपरांत विशेष अदालत में अभियोग पत्र पेश किया गया था। यह मामला लैंगिक अपराधों से बालकों का संरक्षण अधिनियम की विशेष न्यायाधीश श्रीमती नौशीन खान की अदालत में चला जहां अभियोजन पक्ष आरोपी आशीष बिसेन के विरुद्ध आरोपित अपराध सिद्ध करने में सफल रहा।

अभियुक्त किसी सहानुभूति का पात्र नहीं- विद्वान अदालत

सजा के प्रश्न पर अभियुक्त एवं उसके विद्वान अभिभाषक को सुना गया। उनके द्वारा यह व्यक्त किया गया कि अभियुक्त का यह प्रथम अपराध है। वह नवयुवक होकर निर्धन व्यक्ति है। अतः दंड के प्रश्न पर सहानुभूति पूर्वक विचार किया जाए। इसके विपरीत अभियोजन की ओर से यह तर्क किया गया कि समाज में छोटी बालिकाओं के प्रति बढ़ते अपराधों को देखते हुए अभियुक्त को अधिकतम सजा से दंडित किया जाए। जिससे समाज में ऐसे अपराधों के प्रति अपराधियों में भय उत्पन्न हो। दोनों पक्षों का तर्क सुनकर विद्वान अदालत ने कहा कि अभियुक्त द्वारा 8 माह की अभियोक्त्रि के साथ बलात्संग करने एवं लैंगिक हमला कारित करने का अपराध किया गया है। उपरोक्त तथ्यों को दृष्टिगत रखते हुए अभियुक्त किसी सहानुभूति का पात्र नहीं है अतः विद्वान अदालत ने आरोपी आशीष बिसेन पिता कामता प्रसाद बिसेन को धारा 450 भादवि के तहत अपराध में 7 वर्ष का कठोर कारावास और 2000 रुपये अर्थदड, धारा 3(2)V अनुसूचित जाति जनजाति अत्याचार निवारण अधिनियम के तहत अपराध में आजीवन कारावास और 2000 रुपये अर्थदंड, धारा 3(1)W(i) अनुसूचित जाति जनजाति अत्याचार निवारण अधिनियम के तहत अपराध में 1 वर्ष का कठोर कारावास और 2000 रूपये अर्थदड, और धारा 5(M)/6 लैंगिक अपराधों से बालकों का संरक्षण अधिनियम के तहत अपराघ में आजीवन कारावास(जिसका अभिप्राय आरोपी के प्राकृत जीवनकाल के लिए कारावास) और 2000 रुपये अर्थदंड से दंडित किये।

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