बालाघाट जिले में नक्शा बंदोबस्त का कार्य हुए करीब 110 वर्ष बीत चुके हैं। ऐसे में दोबारा नक्शा बंदोबस्त किए बगैर ही पटवारी को नक्शा तरमीम करने का कार्य सॉफ्टवेयर में किए जाने का आदेश मप्र शासन द्वारा दिया गया है।जिसको लेकर पटवारी को व्यावहारिक और तकनीकी समस्याएं आ रही हैं।जिसपर अपना एतराज जताते हुए प्रांतीय पटवारी संघ बालाघाट इकाई द्वारा कलेक्टर कार्यालय में एक ज्ञापन सौंपा गया है।गुरुवार को सौपे गए इस ज्ञापन में उन्होंने नक्शा तरमीम कार्य के पूर्व नक्शा बंदोबस्त का कार्य कराए जाने की मांग की है। संघ से जुड़े पटवारियो का आरोप है कि यदि 110 वर्ष पुराने नक्शा बंदोबस्त के आधार पर वर्तमान समय में नक्शा तरमीम व बटांकन का कार्य किया जाएगा तो नक्शा तरमीम, बटांकन व सीमांकन कार्य में परेशानी होगी। वही सॉफ्टवेयर में गलत नक्शे कटेंगे।जिससे आगामी समय में किसानों को भारी परेशानियों का सामना करना पड़ेगा।जहां सीमांकन कार्य सहित अन्य कार्य करने में पटवारी के साथ-साथ किसानों को भी दिक्कतें आएगी वही न्यायालय प्रकरण बढ़ेंगे। जिन्होंने ज्ञापन के माध्यम से वर्तमान समय में नक्शा तरमीम कार्य में 80 से 90% कार्य गलत होने का अंदेशा जताते हुए नक्शा तरमीम बटांकन कार्य के पूर्व नक्शा बंदोबस्त का कार्य किए जाने की मांग की है।
नक्शा तरमीम में आएगी व्यवहारिक एवं तकनीकी समस्या आएगी।
कलेक्टर कार्यालय में सौपे गए इस ज्ञापन में प्रांतीय पटवारी संघ द्वारा इस बात का उल्लेख किया गया कि शासन के आदेशानुसार वर्तमान राजस्व महाभियान 2.0 अंतर्गत नक्शा तरमीम का कार्य प्रचलन में है जिसमे नक्शा तरमीम को छोड़कर शासन की मंशानुसार समस्त कार्य पटवारियों द्वारा अपनी पूर्ण क्षमता अनुसार सम्पादित किए जा रहे है परन्तु नक्शा तरमीम के अंतर्गत आने वाली व्यवहारिक समस्याएं आ रही है।उन्होंने बताया कि बालाघाट जिले में वर्ष 1914-15 में बंदोबस्त हुआ था तथा उसके पश्चात वर्ष 1960-65 के आसपास कुछ ग्रामों में चकबंदी का कार्य हुआ है। बालाघाट जिले में लगभग 110 वर्षो से बंदोबस्त का कार्य नही हुआ है। नवीन बंदोबस्त / भू-सर्वेक्षण नही होने से नक्शो की स्थिति बहुत खराब है।नक्शा के कम्प्यूटरीकरण के दौरान भी जीर्ण-शीर्ण नक्शा का उपयोग होने से कम्प्यूटीकृत नक्शा स्पष्ट नही है, साथ ही बालाघाट जिले की भौगोलिक परिस्थितियां अन्य जिलो से अलग है जिसमें धान की छोटी-छोटी डोलियां निर्मित है।जिले मे बंदोबस्त नही होने से 80 प्रतिशत नक्शा पार्सल का मिलान खसरे में दर्ज रकबे के क्षेत्रफल से नही होता है। जिसका स्पष्ट उदाहरण शासन द्वारा संचालित स्वामित्व योजना है, बालाघाट जिले में स्वामित्व योजनान्तर्गत पूर्ण ग्रामो मे से लगभग 80 प्रतिशत गांव का आबादी का रकबा खसरे में दर्ज रकबे से कम या ज्यादा हो गया है क्योंकि स्वामित्व योजना अंतर्गत नक्शा अनुसार ड्रोन फ्लॉय एवं ग्राउंड टूथिंग हुई है जो कि स्पष्ट रूप से दर्शाता है कि बालाघाट जिले में नवीन बंदोबस्त / भू-सर्वेक्षण नही होने से खसरा तथा नक्शा पार्सल का मिलान नहीं होता है।उन्होंने बताया कि नक्शा तरमीम हेतु वेबजीआईएस साफ्टवेयर का उपयोग किया जा रहा है उक्त साफ्टवेयर में अंदाजे से नक्शा काटने की प्रक्रिया है, बालाघाट जिला में जोत का आकार छोटा है एवं छोटी-छोटी डोलियों के रूप मे होता है। वेबजीआईएस साफ्टवेयर में खेत की डोलियों की लंबाई चौड़ाई के अनुसार नक्शे नही कटते है। इसीलिए हम मांग कर रहे हैं कि पहले नक्शा बंदोबस्त का कार्य कराया जाए। उसके बाद ही नक्शा तरमीम बटांकन का कार्य हो इसी मांग को लेकर ज्ञापन सौपा गया है
जब तक बंदोबस्त का कार्य नहीं होता, नक्शा व बटांकन का कार्य नहीं करेंगे- भगत
ज्ञापन को लेकर की गई चर्चा के दौरान प्रांतीय पटवारी संघ जिला अध्यक्ष जिला अध्यक्ष गिरधारी भगत ने बताया कि हमारे पटवारी साथियों की कई सारी समस्याएं हैं।जिसका निराकरण नही हो रहा है। मध्य प्रदेश सरकार अभी एक महा अभियान चल रहा है जिसमें नक्शा सुधार कार्य पर जोर दिया जा रहा है। लेकिन बालाघाट में 1914-15 से लेकर 1919 -20 में नक्शा बंदोबस्त हुआ था। उसके बाद करीब 110 साल बीतने के बाद भी नक्शा बंदोबस्त नहीं हुआ है। ऐसे में किसी नक्शा को काटना या उनका बंटाकन करना काफी मुश्किल हो रहा है। वर्तमान समय में जिस सॉफ्टवेयर में काम कराया जा रहा है उसमें यह कार्य 90% गलत हो रहे हैं। ऐसे में अगर नक्शा काट देंगे तो भविष्य में नक्श के आधार पर कई सारी दिक्कतें आएंगी। यदि किसान सीमांकन कराएगा तो उसे दिक्कत होगी।कृषक का सीमांकन गलत होगा इससे न्यायालय में प्रकरण बढेंगे।यह हमारी पीड़ा नहीं बल्कि किसानों की पीड़ा है इसीलिए हम ज्ञापन सौपने आए हैं। हमारी मांग है कि जब तक नक्शा बंदोबस्त नहीं हो जाता।तब तक हम नक्शा तरमीम बंटाकन का कार्य नहीं करेंगे।