लालबर्रा (पद्मेश न्यूज)। नगर मुख्यालय से लगभग ८ किमी. दूर ग्राम पंचायत चिचगांव से नवेगांव पहुंच मार्ग के सर्राटी नदी के ऊपर आने-जाने के लिए राष्ट्रीय श्रम विकास योजना मद ५१.८५ लाख रूपयों की लागत से बना पुल का निर्माण कार्य गुणवत्तापूर्ण नही होने के कारण पुल क्षतिग्रस्त हो चुका है एवं नीचे की मिट्टी व पत्थर धसकने लगी है। साथ ही पुल के समीप से गुजरी नल-जल योजना की पाइपलाईन भी क्षतिग्रस्त हो चुकी है जिसके कारण नवेगांव के ग्रामीणजनों को नल-जल योजना का पानी नही मिल रहा है जिससे ग्रामीणजनों को पानी के लिए परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। साथ ही एक वर्ष पूर्व सडक़ विभाग के अधिकारियों ने पुल का निरीक्षण कर मरम्मत कार्य करवाने ग्रामीणजनों को आश्वास्त भी किया था। लेकिन अधिकारियों के निरीक्षण को एक वर्ष होने लगे है किन्तु अब तक किसी प्रकार कर मरम्मत कार्य तक नही करवाया गया है। जिसके कारण धीरे-धीरे पुल कमजोर होने लगा है। इस वर्ष की बरसात के दिनों में सर्राटी नदी में बाढ़ आती है तो पानी के तेज बहाव में पुल ढह सकता है। वहीं पुल के ऊपर से ओवरलोड वाहन के गुजरते समय वह कंपन करने लगता है क्योंकि पुल के नीचे की मिट्टी, सीमेन्ट की क्रांकीट व पत्थर धसकने लगी है। बरसात के पूर्व क्षतिग्रस्त पुल का मरम्मत कार्य नही करवाया गया तो किसी भी समय पुल ढह सकता है जिससे बहुत बड़ी दुर्घटना होने की संभावना बनी हुई है। साथ ही पंचायत के द्वारा लाखों रूपयों की लागत से बनाई गई रिटर्निंग वाल भी क्षतिग्रस्त हो चुकी है जिसके कारण खेतों का कटाव भी हो रहा है। इस तरह से प्रशासन की लापरवाही (उदासीनता) के चलते लाखों रूपयों की लागत से चिचगांव एवं नवेगांव मार्ग सर्राटी नदी पर बना पुल ढहने की कगार पर पहुंच चुका है। जिसका मरम्मत कार्य की ओर कोई ध्यान नही दिया जा रहा है जिससे ग्रामीणजनों एवं राहगीरों में शासन-प्रशासन के प्रति भारी आक्रोश व्याप्त है।
आपकों बता दे कि चिचगांव से नवेगांव पहुंच मार्ग के बीच से सर्राटी नदी गुजरी है जिसके ऊपर से आने-जाने के लिए विगत वर्ष पूर्व
राष्ट्रीय श्रम विकास योजना मद ५१.८५ लाख रूपयों की लागत से पुल का निर्माण करवाया गया था। जिससे वनग्रामों के ग्रामीणजन, राहगीर एवं सोनेवानी अभ्यारण केन्द्र घुमने जाने वाले पर्यटक इस पुल से आवागमन करते है। लेकिन पिछले वर्ष सर्राटी नदी में बाढ़ आने पर पुल एवं मिट्टी कटाव के लिए बनाये गये रिटर्निगवॉल क्षतिग्रस्त हो चुकी है। साथ ही धीरे-धीरे पुल के नीचे की मिट्टी, पत्थर धकसने लगा है। जिसके कारण इस बारिश तक पुल रह सके यह कहना असंभव है क्योंकि पुल नीचे से पुरी तरह से कमजोर हो चुका है और भारी वाहनों के आवागमन एवं नदी में बाढ़ आने पर वह किसी भी समय ढह सकता है। जबकि यह मार्ग वन्यजीव एवं वन अनुभव क्षेत्र सोनेवानी जाने का प्रमुख रास्ता है। जहां से रोजाना दर्जन भर से ज्यादा जिप्सियो के माध्यम से पर्यटको को वन्यप्राणियों का दीदार करवाया जाता है। साथ ही जंगलो से बड़े वाहनों के माध्यम मे बॉस व लकडिय़ों का परिवहन होता है। अगर मार्ग पर बने पुल के ढह जाने से सभी को भारी परेशानियों का सामना करना पड़ेगा और सबसे अधिक परेशानी वन ग्रामों के आदिवासियों व चिचगांव के किसानों को होगी। साथ ही ग्रामीणजन व स्थानीय जनप्रतिनिधियों ने कई बार शासन-प्रशासन को अवगत करवा चुके है किन्तु कोई ध्यान नही दिया जा रहा है जिससे सभी में भारी आक्रोश व्याप्त है। वहीं ग्रामीणजन एवं राहगीरों ने शासन-प्रशासन से क्षतिग्रस्त पुल का वर्तमान में मरम्मत कार्य एवं बरसात के बाद नवीन पुल का निर्माण करवाने की मांग की है।










































