यदि 7दिनों मे नहीं बनी वैकल्पिक पुलिया तो बैहर मार्ग पर डालेंगे डेरा?जलाशय से घिरे गांव, गांगुलपारा के ग्रामीणों ने सौपा ज्ञापन

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बालाघाट(पदमेश न्यूज़)।भले ही देश को आजाद हुए 75 वर्ष बीत गए हो,लेकिन जिले के कई इलाके आज भी विकास से कोसों दूर है।खास तौर पर वन ग्राम के लोग बरसात के दिनों में आज भी गांव में कैद रहने को मजबूर हैं।ताजा मामला गांगुलपरा जलाशय के निकट बसे वन ग्राम गांगुलपरा का है।कहने को यह इको पर्यटन क्षेत्र, लेकिन जहां, ग्रामीणों के आवागमन के लिए आज तक शासन प्रशासन द्वारा पक्की सड़क व पुलिया का निर्माण नहीं कराया गया है। जिससे गांव के लगभग 200 परिवार के लोगों को खास कर बरसात के दिनों में भारी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है।वहीं आवागमन की सुविधा ना होने के चलते आज भी ग्रामवासी शहर की मुख्यधारा से नहीं जुड़ पाए हैं।जिन्होंने बिरसा बिग्रेड के बैनर तले मंगलवार को कलेक्ट्रेट कार्यालय में आयोजित जनसुनवाई में ज्ञापन सौंपकर गांगुलपारा वन ग्राम तक पक्का पहुंच मार्ग, व पुलिया बनाए जाने की मांग की है।वही वर्तमान समय मे नालो से आवागमन के लिए तत्काल वैकल्पिक पुलियों का निर्माण कराए जाने की गुहार लगाई है।जिसके लिए उन्होंने प्रशासन को 7 दिनों की मोहलत दी है।जिन्होंने तय समय सीमा में वैकल्पिक व्यवस्था के तौर पर पुलिया ना बनाने पर समस्त ग्रामीणों, बच्चो व अपने मवेशियों को साथ लेकर बैहर मार्ग पर डेरा डालने की चेतावनी दी है।जिन्होंने उनके डेरा डालने से भविष्य में बैहर मार्ग से आवागमन करने पर रहागिरो को होने वाली परेशानियों के लिए शासन प्रशासन को जिम्मेदार ठहराया है।

आवगमन ना होने से कई मुसीबतों का सामना कर रहे ग्रामीण
ग्रामीणों के अनुसार उनका वन ग्राम गांगुलपारा, जलाशय, पहाड़ों और जंगलों से घिरा है जहां गांव में लगभग 200 परिवार रहते हैं गांव तक आवागमन मार्ग ना होने के चलते ग्रामीणों को अनेक परेशानियों का सामना करना पड़ता है। यदि कोई गर्भवती महिला या वन्य प्राणियों के हमले में घायल किसी व्यक्ति को अस्पताल पहुंचाना हो तो सड़क ना होने के चलते वहां एंबुलेंस नहीं पहुंच पाती। जिसके चलते ग्रामीण चादर और बास का डोला बनाकर उन्हें उपचार के लिए बालाघाट लाते हैं। वही पढाई करने के लिए बच्चे नदी ,नाला व जंगल के भय से स्कूल नही जा पा रहे है। वही बरसात के दिनों में जल भराव होने पर गांव के लोग गांव में ही कैद हो जाते हैं वही बच्चे तक गांव से बाहर नहीं निकल पाते।

कई बार सौंप चुके हैं ज्ञापन, मिला सिर्फ आश्वासन
ग्रामीणों ने बताया कि अपनी प्रमुख मांग को लेकर वे पिछले कई वर्षों से जिला पंचायत, जनपद पंचायत, कलेक्टर कार्यालय, डीएफओ कार्यालय सहित अन्य शासकीय कार्यालयों में ज्ञापन सौंप चुके हैं वहीं स्थानीय जनप्रतिनिधियों से लेकर विधायक ,सांसद और मंत्री तक को कई बार ज्ञापन सौंपा जा चुका है उसके बाद भी उनकी यह मांग पूरी नहीं हुई है।उन्हें हर बार सिर्फ और सिर्फ आश्वासन ही मिलता है।जिसके चलते उन्होंने अपनी इसी मांग को लेकर अंतिम बार ज्ञापन सौंपा है यदि उनकी यह मांग पूरी नहीं होती तो समस्त ग्रामीण बैहर मार्ग पर जाकर डेरा डाल देंगे।

बरसात में ग्रामीण गांव में हो जाते है कैद
ग्रामीणो ने बताया कि ग्रामवासी आदिवासी सामाजिक सांस्कृतिक ग्रामसभा ईको पर्यटन क्षेत्र पंचायत टेकाड़ी के गांगुलपारा गांव में चार पीढ़ियों से निवासरत है।इस ग्राम के समीप सातनारी जलाशय का पानी गांव से होते हुए तालाब में जाता है जिसके कारण बरसात में रास्ता बंद हो जाता है। जिससे बच्चो का गांव से शहर तक विद्यालय आना जाना बंद हो जाता है।वही जंगल मे जंगली जानवरों से घायल व्यक्ति व प्रसव महिला को जिला अस्पताल तक पहुचाने में घना 5 किलोमीटर का जंगल पैदल चलकर जाना पड़ता है।इस समस्या से कई बार शासन प्रशासन को अवगत करा चुके है किंतु इस ओर उन्होंने कोई ध्यान नही दिया गया है।

छाती भर पानी पार करके ज्ञापन सौपने आए है- धनीराम
ज्ञापन को लेकर की गई चर्चा के दौरान गांगुलपारा आदिवासी ग्राम सभा अध्यक्ष धनीराम मर्सकोले ने बताया कि वर्ष 2023 मे विधायक निधि से पूर्व विधायक रामकिशोर नानो कावरे द्वारा 38 लाख का सुदूर सड़क का निर्माण किया गया है आज वो सड़क नालो में तब्दील हो गई है।आदिवासी ग्रामसभा के ग्रामवासी बहुत कठिनाइयों से जीवन यापन कर रहे है।हमारा शहर से संपर्क टूट चुका है।गांगुलपारा मछुआ नाका से ग्राम तक पहुँचने के लिए सात बड़े नालो से गुजरना पड़ता है इन नालो पर तत्काल वैकल्पिक पुलों का निर्माण कर आवाजाही प्रारंभ करानी चाहिए। उन्होंने बताया कि आज इसी मांग को लेकर समस्त ग्रामीण छाती भर पानी पार करके जिला मुख्यालय में ज्ञापन सौपने आए हैं।

तो बैहर मार्ग पर समस्त ग्रामीण डालेंगे डेरा- सत्येंद्र
ज्ञापन को लेकर की गई चर्चा के दौरान बिरसा बिग्रेड अध्यक्ष सत्येंद्र इनवाती ने उक्त जानकारी से अवगत कराते हुए बताया कि यदि प्रशासन द्वारा वैकल्पिक पुलों का
‘निर्माण एक सप्ताह के अंदर नही करते तो हम ग्रामवासी अपने परिवार व पशुओं के साथ बैहर मार्ग गांगुलपारा हाइवे मे मकान बनाकर रहना प्रारंभ कर देंगे।जिससे आवाजाही बाधित होगी।जिसकी सम्पूर्ण जिम्मेदारी शासन प्रशासन की होंगी।

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