यूक्रेन में तबाही के बाद जापान सागर में सैन्य तैयारी… चीन और रूस का सीक्रेट मिलिट्री रिहर्सल शुरू, खतरे में भारत का दोस्त!

0

टोक्यो: यूक्रेन में तबाही मचाने के बाद रूस ने चीन के साथ मिलकर जापान सागर में भीषण युद्धाभ्यास शुरू कर दिया है। अलजजीरा के मुताबिक चीन और रूस ने जापान सागर में संयुक्त नौसैनिक अभ्यास शुरू कर दिया है। इस मिलिट्री ड्रिल का मकसद आपसी साझेदारी को मजबूत करना है और संयुक्त राज्य अमेरिका के नेतृत्व वाली वैश्विक व्यवस्था को संतुलित करना है। चीन और रूस की सरकारों ने हाल के वर्षों में अपने संबंधों को काफी मजबूत किया है और यूक्रेन पर मास्को के आक्रमण की वजह से पश्चिमी देशों के प्रतिबंधों के बीच, चीन ने रूस को आर्थिक जीवन रेखा प्रदान की है।

चीनी रक्षा मंत्रालय ने रविवार को अपने बयान में कहा है कि यह अभ्यास रूस के व्लादिवोस्तोक बंदरगाह के नजदीक समुद्री क्षेत्र में शुरू हुआ है। इसमें पनडुब्बी बचाव, एंटी-सबमरीन, एयर डिफेंस, एंटी-मिसाइल अभियान और समुद्री युद्ध शामिल हैं। युद्धाभ्यास के बाद दोनों देश “प्रशांत महासागर के जलक्षेत्र” में नौसैनिक गश्त करेंगे।

जापान सागर में चीन-रूस का युद्धाभ्यास
चीन और रूस पिछले कई सालों संयुक्त अभ्यास करते आ रहे हैं। दोनों देशों के बीच “संयुक्त समुद्री” अभ्यास 2012 में शुरू हुआ था। पिछले साल के अभ्यास चीन के दक्षिणी तट पर आयोजित किए गए थे। युद्धाभ्यास में चीन की तरफ से चार जहाज शामिल हैं, जिनमें गाइडेड-मिसाइल डेस्ट्रॉयर प्रमुख हैं। रूस की प्रशांत बेड़ा के जहाज भी इस अभ्यास में भाग ले रहे हैं। लेकिन जापान और पश्चिमी देश, चीन और रूस के बीच होने वाले इस युद्धाभ्यास को सिर्फ सैन्य प्रशिक्षण नहीं, बल्कि जियो-पॉलिटिकल संकेत के रूप में देख रहे हैं। पिछले महीने जापान रक्षा मंत्रालय की रिपोर्ट में चेतावनी देते हुए कहा गया था कि रूस और चीन के बीच बढ़ता सैन्य सहयोग जापान के लिए गंभीर सुरक्षा खतरे पैदा कर रहे हैं। चीनी खतरों का मुकाबला करने के लिए जापान ने चीन से लगती सीमाओं पर एडवांस बैलिस्टिक मिसाइलों की तैनाती करना शुरू कर दिया है।

अमेरिकी नौसेना संस्थान के ऑनलाइन समाचार और एनालिसिस पोर्टल की एक रिपोर्ट में कहा गया है कि रूसी नौसेना के प्रशांत बेड़े ने इस सप्ताह की शुरुआत में कहा था कि “यह अभ्यास रक्षात्मक प्रकृति का है और किसी अन्य देश के खिलाफ नहीं है।” हालांकि, चीन यूक्रेन युद्ध में तटस्थ होने का दावा करता है, लेकिन अब तक उसने रूस की आक्रामकता की निंदा नहीं की है। अमेरिका और यूरोपीय देशों का मानना है कि चीन ने रूस को तकनीकी और आर्थिक सहायता प्रदान की है, जिसने युद्ध को लम्बा खींचा है। सैन्य एक्सपर्ट्स का मानना है कि यह अभ्यास न सिर्फ पूर्वी एशिया, बल्कि प्रशांत महासागर में अमेरिकी सैन्य दबदबे के खिलाफ बढ़ते खतरे का संकेत है।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here