राफेल, तेजस के आगे नहीं टिकता KF-21 फाइटर जेट, फिर क्यों खरीदने पर विचार? दक्षिण कोरियाई विमान की चर्चा क्‍यों?

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सियोल/नई दिल्ली: अमेरिकी एफ-35 स्टील्थ फाइटर जेट या रूसी एसयू-57 लड़ाकू विमान… भारत में पिछले कई महीनों से इन्हीं दोनों लड़ाकू विमानों की चर्चा चल रही थी। लेकिन अचानक से एक नया दावेदार सामने आया है। रिपोर्ट्स में दावे किए जा रहे हैं कि भारत ना तो रूसी और ना ही अमेरिकी लड़ाकू विमान खरीदेगा, बल्कि भारतीय अधिकारी अब दक्षिण कोरिया के KF-21 लड़ाकू विमान खरीदने की संभावनाओं पर विचार कर रहे हैं। बताया जा रहा है कि भारत का मल्टी रोल फाइटर एयरक्राफ्ट (MRFA) प्रोजेक्ट, जिसके तहत 114 लड़ाकू विमान खरीदे जाने हैं, उस कैटेगिरी में KF-21 खरीदने की बात चल रही है। हालांकि MRFA प्रोग्राम के तहत अभी तक राफेल लड़ाकू विमान खरीदे जाने की योजना थी। लेकिन बाद में विचार दिया गया कि MRFA को दो हिस्सों में बांट दिया गया है। इसके तहत 60 राफेल खरीदे जाएंगे और बाकी पांचवीं पीढ़ी के लड़ाकू विमान एफ-35 या एसयू-57।

कुछ मीडिया रिपोर्ट्स में KF-21 लड़ाकू विमान पर विचार करने का दावा किया जा रहा है। लेकिन सवाल ये हैं कि KF-21 लड़ाकू विमान में ऐसी क्या खासियत है जो भारतीय वायुसेना के लिए ये सही साबित होगा? राफेल की तुलना में ये कमजोर है और ये पूरी तरह से 4.5 जेनरेशन का जेट भी नहीं है। राफेल इसके मुकाबले कई गुना ज्यादा अच्छा है। स्पीड से लेकर इंजन क्षमता, पेलोड क्षमता, रडार क्षमता और वास्तविक युद्ध अनुभव… हर एक मोर्चे पर राफेल, दक्षिण कोरियाई फाइटर जेट के मुकाबले ज्यादा बेहतर है।

KF-21 लड़ाकू विमान के बारे में जानिए
KF-21 लड़ाकू विमान को दक्षिण कोरिया की कोरिया एयरोस्पेस इंडस्ट्रीज (KAI) ने डेवलप किया है। यह एक डबल इंजन 4.5 जेनरेशन का मल्टी-रोल फाइटर है, जिसमें AESA रडार, IRST, इलेक्ट्रॉनिक वॉरफेयर सिस्टम और आधुनिक हथियारों को इंटीग्रेट किया गया है। इसके अलावा ये फाइटर जेट दो GE F414 इंजन से ऑपरेट होता है, जिसे भारत भी अपने स्वदेशी लड़ाकू विमान तेजस MK-2 में लगाने की योजना बना रहा है। इसके अलावा AMCA पांचवीं पीढ़ी के लड़ाकू विमान में भी इस इंजन को शामिल करने पर भारत में बातचीत चल रही है। लिहाजा सवाल ये हैं कि जब भारत पहले ही इस इंजन के साथ तेजस MK-2 बना ही रहा है तो फिर उसी इंजन वाले KF-21 लड़ाकू विमान को खरीदने की क्या जरूरत है?

अगर इस विमान को लेकर दलील ये दी जा रही है कि भारत में इसका प्रोडक्शन हो रहा है तो ये इतना आसान नहीं है। दक्षिण कोरिया भी टेक्नोलॉजी ट्रांसफर और सोर्स कोड देने के मामले में यूरोपीय देशों से एक कदम भी पीछे नहीं है। बात अगर कीमत की करें तो KF-21 की कीमत अन्य प्रतिस्पर्धियों के मुकाबले तुलनात्मक रूप से जरूर कम है, लेकिन इसके बावजूद इसकी प्रति यूनिट कीमत 87 से 110 मिलियन डॉलर के बीच हो सकती है, जो फ्रांसीसी राफेल, रूसी Su-57 और अमेरिका के F-35 जैसे विमानों से थोड़ा ही कम है। लेकिन सवाल ये है कि भारत के सामने जो खतरे हैं (चीनी लड़ाकू विमान), उससे मुकाबला करने के लिए हमें लड़ाकू विमान चाहिए। बात यहां कम कीमत की है ही नहीं, बात यहां चीनी खतरों से मुकाबला करने की है। अगर कम कीमत पर ही विमान खरीदना है तो दुनिया में कई और फाइटर जेट हैं, जिनकी कीमत इससे भी कम है।

राफेल के मुकाबले कहां टिकता है KF-21?
दक्षिण कोरियाई KF-21, फ्रांसीसी राफेल और भारतीय तेजस-2, तीनों ही 4.5 जेनरेशन के मल्टी रोल लड़ाकू विमान हैं। लेकिन इनकी डिजाइन, कीमत, टेक्नोलॉजी और ऑपरेशनल भूमिकाएं अलग अलग हैं। KF-21, दो इंजन वाला मल्टीरोल लड़ाकू विमान है, जिसमें AESA रडार, IRST, इलेक्ट्रॉनिक वारफेयर सिस्टम जैसे आधुनिक फीचर्स हैं और इसका मकसद कोरिया के पुराने F-4/F-5 बेड़े को बदलना है। इसकी स्पीड Mach 1.8 तक है और पेलोड क्षमता 7,700 किलोग्राम है। फिलहाल इस लड़ाकू विमान का परीक्षण किया जा रहा है और इसके Block-III वैरिएंट में सीमित स्टील्थ टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल होगा। जबकि राफेल लड़ाकू विमान पहले से ही ऑपरेशनल है और युद्ध में ये अपने आप को साबित कर चुका है। राफेल की स्पीड Mach 1.8 है और पेलोड क्षमता 9500 किलो है। इसमें अत्यधिक एडवांस सेंसर, SPECTRA इलेक्ट्रॉनिक वारफेयर सिस्टम और स्टील्थ डिजाइन शामिल है। भारतीय वायुसेना पहले से ही इसका इस्तेमाल करती है। ऐसे में अगर राफेल ही खरीदे जाएं तो इंटीग्रेशन में दिक्कतें नहीं आएंगी। हालांकि कीमत के मामले में राफेल काफी महंगा है और इसकी एक यूनिट की कीमत करीब 120 से 140 मिलियन डॉलर तक जाती है।

तेजस-Mk-2 तो पहले से ही बना रहा भारत
वहीं अगर बात भारत के स्वदेशी तेजस Mk-2 लड़ाकू विमान की करें तो इसे HAL डेवलप कर रहा है और इसकी क्षमता राफेल के बराबर होने की संभावना है। हालांकि यह एक सिंगल इंजन वाला मिड-वेट फाइटर है, जिसकी पेलोड क्षमता 6,500 किलो और स्पीड करीब Mach 1.8 है। भारत के लिए सबसे बड़ा फायदा ये है कि ये एक स्वदेशी लड़ाकू विमान है, यानि सप्लाई चेन के लिए हमें किसी और पर निर्भर रहने की जरूरत नहीं होगी। इसके अलावा इसमें भारता का स्वदेशी उत्तम AESA रडार, Astra-3 एयर टू एयर मिसाइल और दूसरे स्वदेशी हथियारों को इंटीग्रेट किया जाएगा। इसमें ब्रह्मोस नेक्स्ट जेनरेशन मिसाइल को भी इंटीग्रेट किया जाएगा। ऐसे में तेजस Mk-2 भारत की दीर्घकालिक रणनीतिक आत्मनिर्भरता का प्रतीक है। इसीलिए क्या वास्तव में भारत दक्षिण कोरियाई लड़ाकू विमान KF-21 खरीद सकता है, इसकी उम्मीद कम लग रही है।

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