बालाघाट(पदमेश न्यूज़)।लालबर्रा के सोनवानी अभ्यारण केंद्र में पिछले दिनों हुई बाघ की मौत वाले मामले ने वन विभाग की कार्य प्रणाली पर गंभीर सवाल उठाए हैं।तो वही आए दिनों वन्य प्राणियों के हो रहे शिकार के बावजूद भी वन विभाग अपनी कार्यप्रणाली में सुधार लाने के लिए तैयार नहीं है। जहां बालाघाट का वन विभाग जिले का सबसे ज्यादा लाभ लापरवाह विभाग साबित हो रहा है। शायद यही वजह है कि आए दिन वन्य प्राणियों के शिकार की घटनाएं सामने आती रहती है। वन विभाग की भारी लापरवाही से जुड़ा एक ऐसा ही मामला मंगलवार को नगर के वार्ड नंबर 10 में सामने आया। जहां जंगल से भटक कर एक वन्य प्राणी चीतल नगर रिहायशी इलाके वार्ड नंबर 10 में आ गया।जो वार्ड नं 10 ममता कॉलोनी के पीछे स्थित झाड़ियो में वार्ड वासियों को दिखाई दिया।जिसकी सूचना मिलने पर वह वार्डवासियो की भीड़ सी लग गई और हर कोई वन विभाग को मामले की सूचना देने के लिए फोन घूमता हुआ नजर आया। हद तो तब हो गई ,जब वार्डवासी अधिकारियों कर्मचारियों को फोन घुमाते रहे लेकिन किसी भी अधिकारी कर्मचारी ने सुबह 08 बजे से लेकर 11 बजे तक किसी का फोन उठाया।
रेंजर से सीसीएफ तक के अधिकारियों ने नही उठाई कॉल
बताया गया कि वार्डवासी इस घटना की जानकारी देने के लिए सुबह से ही अधिकारियों कर्मचारियों को फोन लगाते रहे लेकिन रेंजर से लेकर एसडीओ, डीएफओ यहां तक कि सीसीएफ तक ने वार्ड वासियों के फोन कॉल रिसीव नहीं किया।जिस पर वार्ड वासियों द्वारा वन्यजीव प्रेमी अभय कोचर से संपर्क कर उन्हें वस्तु स्थिति बताई गई। जिन्होंने मामले की सूचना वन विभाग के कर्मचारियों को दी।जिनकी सूचना करीब 11:30 बजे तीन कर्मचारी चीतल को देखने के लिए मौके पर तो पहुंचे, लेकिन उन्होंने चीतल का रेस्क्यू नही किया।बैरंग लौट आए।
सुबह कहा था, शाम को करेंगे रेस्क्यू, रात हो गई पर किया रेस्क्यू
बताया गया कि वन्यजीव प्रेमी से सूचना मिलने पर मौके पर पहुचे वनकर्मियों द्वारा सुबहा 11,30 बजे वार्डवासियों से कहा गया था कि वे शाम को आकर चीतल का रेस्क्यू करेंगे। लेकिन सुबह से दोपहर और दोपहर से शाम व रात होने के बावजूद भी कोई भी कर्मचारी चीतल का रेस्क्यू करने के लिए नहीं पहुंचा।जिसमें वन विभाग के कर्मचारियों से लेकर अधिकारियों तक की लापरवाही साफ देखने को मिल रही है। शायद यही वजह है कि आए दिन वन्य प्राणियों के शिकार हो जाते हैं।यदि समय रहते उस चीतल का रेस्क्यू नहीं किया गया, तो हो सकता है कि उसका कोई शिकार कर ले या वहा चीतल आवारा श्वानों का निवाला बन जाए। विभाग को चाहिए कि वह अपनी नींद से बेदार हो और यथाशीघ्र झुंड से भटककर आए चीतल का रेस्क्यू कर उसे सुरक्षित जंगल में छोड़े। ताकि वन्य प्राणी चीतल के साथ कोई अनहोनी ना हो सके।
अक्सर रिहायशी इलाकों में आते हैं चीतल
आपको बताएं कि यह कोई पहला मामला नहीं है जब वन्य प्राणी चीतल जंगल से या झुंड से भटक कर रिहायशी इलाके में आया हो, बल्कि अक्सर नगर में ऐसे नजारे देखने को मिलते ही रहते है।मंगलवार को नगर के वार्ड नंबर 10 रजा नगर, ममता कालोनी में भी कुछ ऐसा नजारा देखा गया।जहा सुबह उस वक्त लोगों की भीड़ जमा होनी शुरू हो गई, जब उन्हें ममता कालोनी की बाउंड्रीवाल के पीछे एक बिल्डिंग के समीप खाली प्लाट में उगी झाड़ियो में एक वन प्राणी चीतल दिखाई दिया।जिसकी जानकारी लगते ही वहां चीतल को देखने के लिए लोगों का हुजूम जमा हो गया।हालांकि वार्ड नंबर 10 रेलवे लाइन के समीप झाड़ियो में चीतल कहां से आया और कैसे पहुंच गया फिलहाल इसकी पुष्टि नहीं हो पाई है।लेकिन बताया जा रहा है कि वन्य प्राणी चीतल झुंड से भटक वार्ड नं 10 के रिहायसी इलाके में आ गया था।जहां संभवत श्वानों द्वारा दौडाए जाने पर चीतल अपनी जान बचाने के लिए वार्ड नंबर 10 रेलवे पटरी के नजदीक झाड़ियो में घुसा होगा।
तो असामाजिक तत्वो व आवारा श्वानों का चीतल हो सकता है शिकार
सुबह से लेकर रात हो जाने पर भी वन कर्मियों द्वारा शीतल का रेस्क्यू नहीं किया गया। जिसको लेकर विभाग की भारी लापरवाही देखने को मिल रही है। ऐसे चीतल के साथ कोई अप्रिय घटना होने की भी आशंका बनी हुई है। हो सकता है कि कोई असामाजिक तत्व या आवारा श्वानों द्वारा चीतल का शिकार कर लिया जाए।
हम इंतेजार करते रहे, शाम तक रेस्क्यू करने कोई नही आया- नजीर
स्थानीय निवासी मो. नजीर ने बताया कि सुबह के वक्त एक चीतल कालोनी बाउंड्री वॉल के पास झाड़ियां के नीचे बैठा हुआ दिखाई दिया था। जिसकी सूचना वन विभाग को दे दी गई थी। लेकिन सुबह 11 बजे तक वन कर्मचारी नहीं आए। अन्य लोगों ने भी विभाग वालों को फोन लगाया लेकिन किसी ने फोन कॉल रिसीव नहीं की। विभाग ने इस पर ध्यान देना चाहिए। वही रात करीब 8:15 बजे दूरभाष पर की गई चर्चा के दौरान वार्डवासी मो. नजीर ने बताया कि सुबह करीब 11:30 बजे 3 वनकर्मी आए थे। जिन्होंने शाम को आकर चीतल का रेस्क्यू करने की बात कही थी। लेकिन हम शाम 6 बजे तक इंतजार करते रहे, रेस्क्यू करने के लिए कोई नहीं आया। यह वन विभाग की भारी लापरवाही है।
डिप्टी रेंजर सहीत सम्बधितों पर होनी चाहिए कार्यवाही – अभय कोचर
वही मामले को लेकर दूरभाष पर की गई चर्चा के दौरान वन्य जीव प्रेमी अभय कोचर ने बताया कि यह घोर लापरवाही का मामला है।हमारे द्वारा सुबह जानकारी दिए जाने टीम कर्मचारी आए और देखकर चले गए, उन्होंने चीतल का रेस्क्यू नहीं किया। यह दर्शाता है कि वन विभाग किस तरह से काम कर रहा है। हमारी मांग है कि इस मामले में डिप्टी रेंजर सहित संबंधित अन्य जिम्मेदार अधिकारियों कर्मचारियों पर कार्यवाही की जानी चाहिए। उन्होंने बताया कि वर्तमान की कुछ घटनाओं को देखा जाए तो हमें ऐसा लगने लगा है कि अब वन विभाग का काम भगवान भरोसे चल रहा है। जो घोर लापरवाही को साबित करता है।