विश्वयुद्ध परेड में इतिहास बदलने उतरेगा चीन, जापान के सरेंडर को बताएगा अपनी जीत, हाइपरसोनिक मिसाइल से भारत-US को संदेश

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बीजिंग: चीन की राजधानी बीजिंग में इन दिनों सुरक्षा के इतने पुख्ता इंतजान किए गये हैं कि कोई परिंदा भी पर नहीं मार सकता। एयरपोर्ट पर दर्जनों स्कैनर लगे हुए हैं, आधी रात होते ही सड़कों पर रिहर्सल शुरू हो जाता है, सभी ओवरपास पर दर्जनों गार्ड 24 घंटे मौजूद रहते हैं। एक तरह से कहा जाए तो बीजिंग की तेज रफ्तार पर ब्रेक लगा दिया गया है। इसकी वजह है कि चीन अपनी सैन्य ताकत का प्रदर्शन करने वाला है। 3 सितंबर को करीब 70 मिनट में चीन दुनिया को दिखाने वाला है कि उसकी सैन्य ताकत किस स्तर तक जा चुकी है।

चीन की सेना हर साल मिलिट्री परेड का आयोजन करती है। चीन दावा करता है कि दूसरे विश्वयुद्ध के अंत में उसने जापान की सेना को पराजित कर दिया था और उसी का जश्न मनाने और अपनी शक्ति का प्रदर्शन करने के लिए वो परेड का आयोजन करता है, ताकि अब किसी भी देश की हिम्मत चीन पर हमला करने की और उसके नागरिकों से क्रूरता करने की ना हो। दूसरे विश्वयुद्ध के समय जापानी सैनिकों ने चीन में इतिहास की सबसे खतरनाक क्रूरता की थी। जापानी सैनिकों ने चीनी नागरिकों के साथ जानवरों से भी ज्यादा क्रूर व्यवहार किया था।

चीन का परेड में शक्ति प्रदर्शन
दूसरे विश्वयुद्ध के समय दुनिया में अगर किसी देश को सबसे ज्यादा अपमानित होना पड़ा था तो वो चीन था। लेकिन अब वही चीन शक्तिशाली हो चुका है और इतिहास को अपने हिसाब से लिखने की कोशिश कर रहा है। इस परेड का आयोजन ऐसे समय में हो रहा है जब पश्चिमी देशों के साथ चीन का अविश्वास काफी गहरा हो चुका है, अमेरिका के साथ जियो-पॉलिटिकल टेशन लगातार बना हुआ है और हालिया दो महीनों को छोड़ दें, तो भारत के साथ भी रिश्ते तनावपूर्ण ही रहे हैं। मई महीने में ही चीन ने भारत के खिलाफ पाकिस्तान का समर्थन किया था।

रिपोर्ट्स के मुताबिक यह परेड पिछले कई सालों में चीन की सबसे बड़ी और सुव्यवस्थित परेडों में से एक होगी, जिसमें अत्याधुनिक लड़ाकू विमानों, मिसाइल रक्षा प्रणालियों और हाइपरसोनिक हथियारों को दिखाया जाएगा। ये हथियार पीपुल्स लिबरेशन आर्मी के लंबे समय से चल रहे आधुनिकीकरण की कोशिशों का नतीजा हैं, जो हाल ही में भ्रष्टाचार घोटालों और कर्मियों की छंटनी जैसी चुनौतियों का सामना कर रहा है। इस मौके पर चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग, तियानमेन स्क्वायर में मौजूद रहेंगे। इस दौरान रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन भी उनके साथ मौजूद रहेंगे।

इतिहास को फिर से लिखने की तैयारी में चीन
बीजिंग में तीन सितंबर को करीब 70 मिनट तक चलने वाले इस परेड से पहले दूसरे विश्वयुद्ध के दौरान चीन अपनी भूमिका को नये सिरे से बताने की कोशिश कर रहा है। चीन बता रहा है कि कैसे उसने रूस के साथ मिलकर फासीवादी ताकतों के खिलाफ लड़ाई लड़ी थी। चीनी मीडिया और एक्सपर्ट्स इस बात पर जोर दे रहे हैं कि चीन के योगदान को पश्चिमी देशों की मीडिया ने हमेशा कमजोर करके आंका है। परेड से पहले चीनी गृह युद्ध और कम्युनिस्ट पार्टी की भूमिका को भी युद्ध की स्मृति में बढ़ा-चढ़ाकर पेश किया जा रहा है। इस परेड में चीन और रूस की साझेदारी का प्रदर्शन किया जाएगा। माना जा रहा है कि ग्लोबल साउथ के देशों का लीडर बनने में कोशिश में लगा चीन यह दिखाना चाह रहा है कि रूस अब उसकी छतरी के नीचे आ चुका है। परेड के दिन स्वागत समारोह और सांस्कृतिक कार्यक्रम भी आयोजित किए जाएंगे, जो चीन के युद्धकालीन बलिदानों और इतिहास के सम्मान का प्रतीक होगा।

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