मुलताई । नगर से लगभग डेढ़ किलोमीटर दूर मासोद मार्ग पर विगत 36 वर्ष से नगर पालिका द्वारा पांच एकड़ के क्षेत्र में कचरा एकत्र किया जा रहा है। वर्ष 1985 से नगर पालिका उक्त स्थल को कचरा खंती के तौर पर इस्तेमाल करना प्रारंभ किया था। वर्तमान में कचरा खंती एक हरे भरे पार्क के रूप में नजर आने लगी है इसका कारण खंती में पौधारोपण के साथ ही पुराने पड़े सामान से सुंदरीकरण करना है, जिससे खंती आकर्षक नजर आती है। रंग बिरंगी नजर आने वाली कचरा खंती को देखने पूरे जिले सहित बाहर से भी लोग आते हैं। वर्तमान में नगर पालिका ने सुरक्षा की दृष्टि से चारों तरफ बाऊंड्रीवाल का निर्माण किया गया है ताकि कचरा उड़कर खेतों में नहीं पहुंचे। इसके साथ सतत पौधारोपण से खंती अब हरी-भरी नजर आ रही है तथा वर्षों पहले लगाए पौधे अब पेड़ बन चुके हैं। नगर पालिका ने इसे इसलिए आकर्षक रूप दिया है ताकि खंती के बारे में लोगों की धारणा बदल सके एवं लोग यह समझ सकें कि कूड़ा करकट को भी आकर्षक रूप दिया जा सकता है। खंती को आकर्षक रूप देने कदम पूरे जिले में सबसे पहले मुलताई नगर पालिका ने उठाया जिससे आज कचरा खंती को अन्य जिलों सहित दूर दूर से अधिकारी देखने आते हैं।Ads by Jagran.TV
पुराने बेकार सामान का खूबसूरती से उपयोगः
खंती में पुराने टायर, कांच की बाटल, प्लास्टिक की बाटल, सूखी लकड़ियां, सायकल की खराब रिंग सहित मटकों को जगह-जगह खूबसूरती से सेट किया गया है। इस पर इन्हें आकर्षक रंगों में रंगा गया है जिससे एक पल को यह समझ ही नहीं आता कि ये सामान कभी बेकार पड़े हुए थे।
तीन यूनिट से हो रहा कचरे का सदुपयोगः
नगर पालिका द्वारा कचरा खंती में तीन यूनिट डाली गई हैं जिससे कचरे का पूरा सदुपयोग हो रहा है। इस संबंध में नपा के एइ आरसी गव्हाड़े ने बताया कि जैविक कंपोस्टिंग यूनिट में कचरे की अलग-अलग कैटेगिरी में रखकर खाद बनाई जा रही है जिसकी बिक्री भी की जाती है। एमआरएफ यूनिट सेन्टर में प्लास्टिक का सामान एकत्रित कर चूरा बनाया जाता है जो सड़क निर्माण में काम आता है। इसके अलावा फीकल सलज यूनिट के माध्यम से से सैप्टिक टैंक से निकले लिक्विड का उपयोग कर उसका खाद बनाया जाता है तथा निकला हुआ पानी पौधों को सिंचित करने के काम आता है।