शिप्रा नदी के त्रिवेणी घाट क्षेत्र में हो रहे धमाकों की जांच करने के लिए रविवार को तेल एवं प्राकृतिक गैस निगम (ओएनजीसी), देहरादून का घटनास्थल पर पहुंचा। यहां नदी के पानी, मिट्टी, गाद के नमूने लिए। विशेषज्ञों ने कहा कि नदी से गैस उत्सर्जन होना नहीं पाया गया है। धमाके क्यों हो रहे हैं, इसको लेकर अभी कुछ नहीं कहा जा सकता है। सैंपलों की जांच 15 दिन में पूरी हो जाएगी। इसके बाद किसी नतीजे पर पहुंचा जा सकता है।
बता दें कि शिप्रा के त्रिवेणी घाट क्षेत्र में 28 फरवरी को पहली बार धमाका हुआ था। ग्रामीणों ने स्थानीय प्रशासन को इसकी सूचना दी गई। अधिकारियों ने मौके पर पीएचई के कर्मचारियों को तैनात किया था। 5 मार्च की शाम को एक बार फिर धमाके हुए। इसका वीडियो भी ग्रामीणों द्वारा बनाया गया। इसके बाद कलेक्टर आशीष सिंह ने जीएसआइ और ओएनजीसी को ईमेल किया था। 8 मार्च को भोपाल से भारतीय भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण (जीएसआइ) के दल ने उज्जैन आकर जांच की थी। जीएसआइ ने अपनी प्राथमिक रिपोर्ट में संभावना जताई थी कि नदी की चट्टानों से मीथेन/इथेन गैस के उत्सर्जन अथवा घाट क्षेत्र में निर्माल्य से बन रही प्राकृतिक गैस के कारण धमाके हो रहे हैं। हालांकि जीएसआइ ने भी अभी अपनी अंतिम रिपोर्ट नहीं सौंपी है।
100 मीटर के दायरे से लिए आठ सैंपल
ओनजीसी का दल रविवार सुबह त्रिवेणी घाट क्षेत्र पहुंचा था। इसमें ओनजीसी, देहरादून के उप महाप्रबंधक (केमिस्ट्री) अमित कुमार सक्सेना और वरिष्ठ भूविज्ञानी अजय एम. लाल शामिल थे। विशेषज्ञों ने घटनास्थल पर रसायनिक प्रभाव और भूवैज्ञानिक बिंदुओं पर जांच की। त्रिवेणी घाट क्षेत्र के 100 मीटर के दायरे से मिट्टी, पानी और गाद के आठ नमूने लिए। इसकी जांच देहरादून में ओनजीसी की लैब में होगी। ओएनजीसी के उप महाप्रबंधक (केमिस्ट्री) अमित कुमार सक्सेना ने बताया कि नदी से किसी तरह का गैस उत्सर्जन नहीं मिला। गैस होती तो बुलबुले दिखते, मगर ऐसा कुछ नहीं दिखा। अभी कुछ कह नहीं सकते। जांच पूरी होने के बाद किसी निष्कर्ष पर पहुंचेंगे।
प्रदूषण को लेकर की चर्चा
ओएनजीसी ने नदी के प्रदूषण को लेकर भी स्थानीय अधिकारियों से चर्चा की। बताया की पानी प्रदूषित है। इस पर स्थानीय अधिकारियों ने बताया कि इंदौर की ओर से आ रही खान नदी का गंदा पानी नदी में मिलता है। इसे रोकने के लिए विभिन्न योजनाओं पर काम जारी है। इसके अलावा शिप्रा शुद्धिकरण के लिए सीवरेज प्रोजेक्ट पर भी काम चल रहा है।