हाई कोर्ट ने कोरोना संकट के बीच रेमडेसिविर की कालाबाजारी पर जताई चिंता, आज सुनाया जाएगा आदेश

0

मध्य प्रदेश हाई कोर्ट ने कोरोना संकट के बीच रेमडेसिविर इंजेक्शन की कालाबाजारी बदस्तूर जारी होने को लेकर चिंता जताई। साथ ही मामले में गुरुवार को आदेश सुनाए जाने की व्यवस्था दे दी।Ads by Jagran.TV

बुधवार को मुख्य न्यायाधीश मोहम्मद रफीक व जस्टिस अतुल श्रीधरन की युगलपीठ के समक्ष मामला सुनवाई के लिए लगा। इस दौरान पूर्व निर्देश के पालन में राज्य शासन की ओर से जवाब पेश किया गया। जिसमें बताया गया कि केंद्र सरकार ने मध्य प्रदेश में कोरोना संकट को गंभीरता से लेते हुए ठोस कदम उठाया है। इसके तहत 643 मीट्रिक टन आक्सीजन प्रतिदिन आपूर्ति किए जाने की व्यवस्था दी गई है। इस स्वीकृति के साथ ही मध्य प्रदेश में आक्सीजन की अापूर्ति सुनिश्चित की जाने लगी है। कहीं से किसी तरह की कमी की कोई शिकायत फिलहाल सामने नहीं आई है। इसके अलावा केंद्र ने मध्य प्रदेश के सभी शहरों में आक्सीजन प्लांट लगाने के लिए 56 करोड़ रुपये स्वीकृत किए हैं। यही नहीं रेमडेसिविर इंजेक्शन की कालाबाजारी पर ठोस अंकुश लगाने की दिशा में भी पर्याप्त गंभीरता बरती जा रही है। आरोपितों की धरपकड़ तेज कर दी गई है। रेमडेसिविर की समुचित आपूर्ति जरूरतमंदों तक करने को लेकर सरकार ने आवश्यक प्रयास किए हैं। कालाबाजारी करने वालों के खिलाफ एनएसए की कार्रवाई तक की जा रही है।

राज्य का जवाब असंतोषजनक : राज्य शासन की ओर से प्रस्तुत उक्त जवाब को लेकर कोर्ट मित्र वरिष्ठ अधिवक्ता नमन नागरथ ने आपत्ति दर्ज कराते हुए कहा कि कोविड संकट के बीच राज्य शासन आक्सीजन के लिए केंद्र की तरह क्यों निहार रही है? कायदे से राज्य का खुद का आक्सीजन प्लांट होना चाहिए। इसी तरह रेमडेसिविर की कालाबाजारी बेहद चिंताजनक है। यह तमाम प्रयासों के बावजूद रुकने का नाम नहीं ले रही है। मुनााफाखोर आपदा में अवसर तलाशकर पैसे बनाने में जुटे हैं। लिहाजा, वक्त का तकाजा यही है? कि रेमेडेसिविर के वितरण का कार्य रेडक्रॉस को सौंप दिया जाए। ऐसा होने पर कालाबाजारी पर अपेक्षाकृत बेहतर अंकुश सुनिश्चित होगा। जहां तक केंद्र की ओर से आक्सीजन प्लांट के लिए 56 करोड स्वीकृत होने का मामला है, तो सवाल उठता है? कि क्या? यह राशि मुहैया करा दी गई है? या सिर्फ कागजी स्तर पर सीमित है? मध्य प्रदेश के सभी जिलों में इस राशि से आक्सीजन प्लांट कितने दिनों में निर्मित हो जाएंगे, इसका ठोस जवाब चाहिए।

वरिष्ठ अधिवक्ता आनंद मोहन माथुर ने कहा कि मध्य प्रदेश के सभी निजी अस्पतालों में ऑक्सीजन प्लांट अनिवार्य कर दिया जाना चाहिए। वरिष्ठ अधिवक्ता शशांक शेखर ने जोर देकर कहा कि 36 घंटे के भीतर रिपोर्ट अब भी मुहैया नहीं कराई जा रही है। इससे कोविड मरीज संकट में फंस रहे हैं। वरिष्ठ अधिवक्ता मनोज शर्मा ने कहा कि केंद्र सरकार की ओर से मध्य प्रदेश में आक्सीजन आपूर्ति की स्थिति चिंताजनक है। ऐसा इसलिए क्योंकि आक्सीजन भेजी कहीं जाती है और पहुंच कहीं जाती है।

हाई कोर्ट ने सभी बिंदुओं पर गौर करने के बाद नाराजगी जताई। साथ ही रेमडेसिविर इंजेक्शन की कालाबाजारी न रुकने को लेकर चिंता व्यक्त की। इस संबंध में गुरुवार को आवश्यक आदेश पारित करने की व्यवस्था दे दी।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here