महाकाल मंदिर के समीप खोदाई में फिर मिली एक हजार साल पुरानी पुरा संपदा

0

ज्योतिर्लिंग महाकाल मंदिर के समीप चल रहे नवनिर्माण की खोदाई में एक बार फिर करीब एक हजार साल पुरानी पुरा संपदा मिली है। पुराविदों के अनुसार सतत मिल रहे पुरावशेष से जाहिर है महाकाल मंदिर का गौरवशाली इतिहास रहा होगा। मुख्य द्वार पर भव्य शिव मंदिर और राजप्रासाद मौजूद होगा। गत वर्ष दिसंबर में भी यहां एक मंदिर के अवशेष मिले थे। उसके निरीक्षण के लिए दिल्ली से भारतीय पुरात्तव सर्वेक्षण की टीम भी उज्जैन आई थी।

पुराविद् डा. रमण सोलंकी ने बताया दिसंबर में जिस मंदिर के अवशेष मिले थे, वह भी करीब एक हजार साल पुराना था। ताजा पुरावशेष भी उसके समीप ही मिले हैं। मंदिर के मुख्य द्वार के समीप इस स्थान पर मिले पुरावशेष परमारकालीन मंदिर के स्थापत्य खंड हैं। इसमें स्तंभ और उस पर भारवाही कीचक प्रमुख है। उज्जैन विकास प्राधिकरण के इंजीनियर प्रमोद जोशी और प्रवीण दुबे ने इन स्थापत्य खंडों को एक स्थान पर एकत्रित किया है।

उच्चकोटि का शिल्पांकन

डा. सोलंकी ने बताया भारवाही कीचक (मुख्य स्तंभ) की चारों मुखाकृति लगभग 75 डिग्री के आकार में मौजूद हैं। मुखाकृति का कुछ हिस्सा भग्न हो गया है, लेकिन जिस प्रकार इसका शिल्पांकन व कार्विंग की गई है उससे प्रतीत होता है परमार शासक के उच्चकोटि के शिल्पी ने इसका शिल्पांकन किया होगा। पाषण स्तंभों पर की गई बेल बूटों की नक्काशी भी बेजोड़ है। उत्खनन स्थल का निरीक्षण करने वालों में ललितकला के छात्र तिलकराजसिंह सोलंकी भी शामिल थे।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here