संक्रमितों की तिमारदारी में लगा हर व्यक्ति था भय की गिरफ्त में

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कोरोना संक्रमण ने न केवल उनके मन पर प्रभाव डाला जो संक्रमित हुए थे बल्कि उन्हें भी विचलित किया जो संक्रमितों के उपचार में तैनात थे। फिर चाहे वे डाक्टर, नर्स, वार्ड बाय, एंबुलेंस चालक या संक्रमितों के परिजन ही क्यों न हों। सभी के मन में कहीं न कहीं यह भय-चिंता थी कि कहीं हम भी संक्रमित न हो जाएं। हाल ही में हुए शोध में यह बात सामने आई कि संक्रमितों के उपचार आदि में तैनात हर व्यक्ति एंजायटी का शिकार हुआ। 10 से 15 प्रतिशत लोगों को यह एंजायटी ज्यादा थी और करीब सात प्रतिशत लोगों को सीवियर एंजायटी रही। यही नहीं 20 प्रतिशत मामले ऐसे भी आए जो एंजायटी के साथ-साथ डिप्रेशन के भी शिकार थे। शोध में प्राप्त चौंकाने वाले आंकड़ों के बाद टीम ने इन सभी की काउंसलिंग का निर्णय लिया जो सतत जारी है।

शहर के मनोरोग विशेषज्ञ और इंडेक्स मेडिकल कॉलेज के असिस्टेंट प्रोफेसर डा. वैभव चतुर्वेदी व पोस्ट ग्रेजुएशन कर रही डा. रिचा त्रिवेदी ने विगत छह माह में यह शोध किया। यह शोध मेडपल्स इंटरनेशनल जरनल आफ फिजियोलाजी में भी प्रकाशित हुआ है। शहर में 500 लोगों पर किए गए इस शोध में शत-प्रतिशत लोगों में एंजायटी पाई गई। 70 से 75 प्रतिशत लोगों में यह एंजायटी कम थी। 10 से 15 प्रतिशत लोग ऐसे थे जिनमें माडरेट सिवियरिटी थी, जबकि करीब सात प्रतिशत लोगों में यह गंभीर थी। यही नहीं 20 प्रतिशत लोग तो अवसाद के भी शिकार पाए गए।

डा. चतुर्वेदी बताते हैं कि उपचार करने और मरीज की तिमारदारी करने वाले सभी के मन में कहीं न कहीं यह बात थी कि कहीं हम भी संक्रमित न हो जाएं। जबकि वे इस बात को भी जानते थे कि वे पूरी सतर्कता बरत रहे हैं। ऐसे में हमने निर्णय लिया कि इन सभी की काउंसलिंग की जाए ताकि भय और अवसाद जैसे मनोरोग पर विजय प्राप्त की जा सके। तब हमने प्रति सप्ताह निशुल्क काउंसलिंग देना शुरू किया जो सतत जारी है। वेबिनार और फोन के जरिए काउंसलिंग की जाती है। जिसके अब सकारात्मक परिणाम भी दिखने लगे हैं।

भय और अवसाद के ये थे लक्षण

– अनिद्रा

– घबराहट

– सांस लेने में परेशानी होना

इस तरह दूर करें मन का भय

– सोच सकारात्मक रखें

– परिस्थिति से डरें नहीं

– कोरोना प्रोटोकाल का पालन करने के साथ-साथ उस पर विश्वास करें

– पीपीई किट सही ढंग से पहनें

– भूखे न रहें और शरीर में पानी की कमी न होने दें

– 6 से 7 घंटे की गहरी नींद लें

– पोषणयुक्त भोजन लें

– नियमित व्यायाम करें

– क्षमता से अधिक कार्य न करें

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