By : Umesh Bagrecha
पिछले कुछ दिनों से अखबार की सुर्खियां बने स्वास्थ्य विभाग से संबंधित समाचारों को लेकर कल संपन्न हुई पत्रकार वार्ता में जिले के कलेक्टर महोदय काफी भडक़े हुए नजर आए। महोदयजी का कहना था कि प्रकाशित समाचार भ्रामक तथा मनगढ़ंत है, इससे लोगों में भ्रम फैलता है, पहले पूरी जानकारी ले लेनी चाहिए, या आर.टी.आई के मार्फत जानकारी लेना चाहिए उसके बाद ही समाचार का प्रकाशन करना चाहिए। इसका सीधा मतलब ये है कि अब हमें पत्रकारिता की ए. बी. सी. डी. महोदयजी से सीखकर, उनके द्वारा जो दिशा-निर्देश होंगे वैसा चलना होगा अन्यथा उनकी नाराजगी का सामना करना होगा, कल की पत्रकार वार्ता का शायद यही संदेश था। खैर अब हम आगे उन प्रकाशित समाचारों पर चर्चा कर लेते हैं जिन्हें महोदय जी ने भ्रामक बताया है । सबसे पहले उन 25 ऑक्सीजन सिलेंडरों की बात कर लेते हैं जिनके चोरी होने की बात मीडिया ने नहीं अस्पताल प्रबंधन ने की थी और बकायदा स्थानीय कोतवाली में प्रकरण दर्ज कराकर 3 व्यक्तियों को जेल भेजा गया था। इस मामले में अधिकारियों ने बार-बार बयान बदले, पहले कहा चोरी हुआ, फिर बयान आया गुम हो गए, फिर तीसरा बयान आया जरूरमंद को दे दिए गए होंगे, अब वापस आ गए और अंत में आ गया कि यहां-वहां रखा गए थे जो मिल गए हंै। क्या सिर्फ यहां-वहां रखा गए बोल देने से मामला रफा-दफा हो गया या अभी भी ये जांच का विषय होना चाहिए कि जो 24 सिलेंडर वापस जमा हुए हैं वे चोरी या गुम हुए सिलेंडर हैं या आरोपों से बचने के लिए कही और के सिलेंडर लाकर जमा कर दिए गए हैं। क्योंकि प्रबंधन ने पुलिस को अभी तक चोरी गए सिलेंडरों के सीरियल नंबर की जानकारी उपलब्ध नहीं कराया है, जिनसे तस्दीक हो सके कि ये वही सिलेंडर है जो चोरी हुए थे। अब दूसरे मुद्दे पर आते हंै सरदार पटेल मल्टीस्पेशलिटी हॉस्पिटल कहें या कोविड सेंटर? हम तो इसे कोविड सेंटर ही कहेंगे क्योंकि मल्टीस्पेशलिटी हॉस्पिटल रातों-रात शुरू होकर चार दिन में ही बंद नहीं हो जाता है। इस सरदार पटेल कोविड सेंटर को तैयार करवाने में हमारे महोदयजी ने भी बहुत मेहनत की, जब तक शुरू नहीं हो गया लगभग प्रतिदिन निरीक्षण किया गया, बकायदा प्रभारी सचिव तथा मंत्रीजी से भी निरीक्षण करवाया गया, तब तक कोविड सेंटर बनाए जाने की ही चर्चा थी, जहां मरीजों को नि:शुल्क रखा जाना था। चूंकि जनसहयोग से निर्मित कोविड सेंटर नि:शुल्क ही रखने का प्रावधान है। लेकिन एक दिन अचानक यह तथाकथित कोविड सेंटर मल्टीस्पेशलिटी हॉस्पिटल बन जाता है, तथा भारी भरकम शुल्क की राशि का चार्ट भी सोशल मीडिया में घूमने लगता है। सवाल यहां यह उठता है कि मल्टीस्पेशलिटी हॉस्पिटल के लिए आवश्यक नियमों का क्या पालन हुआ है? अस्पताल का पंजीयन क्या आई. एन. सी. तथा एस. एम. सी. से हुआ है? क्या यहां विभिन्न रोगों के उपचार के संसाधन उपलब्ध थे? क्या विशेषज्ञ डॉक्टरों की फौज थी? क्या तकनीकी आवश्यक संसाधन उपलब्ध थे? हमें जो जानकारी है उसके अनुसार यहां नियमों की धज्जियां उड़ाई गई और तो और आयुष्यमान योजना में भी इसे शामिल करा दिया गया। तीसरी बात आती है अधिक दर पर सामग्री खरीदी करने की, तो कुछ तो महोदयजी ने भी स्वीकारा कि समय की आवश्यकता को देखते हुए मांग के अनुरूप सप्लाई की कमी के चलते अधिक दर पर सिलेंडर खरीदे गए। लेकिन अखबार में प्रकाशित सर्जिकल आइटम की खरीदी जो दो, तीन, चार, पांच, गुना तक अधिक दर पर हुई थी पर कोई खुलासा नहीं किया गया। अब बात आती है जांच टीम की तो ये बात भी सच्ची है कि जांच टीम आई थी । एक सदस्य निजी होटल में ठहरा था। बाद में टीम के और लोग आए जिन्हे मॉयल के रेस्ट हाउस में रुकवाया गया था। ऐसा होता नहीं है कि विभाग की जांच टीम आए और विभाग प्रमुख को तथा जिला प्रमुख को जानकारी ना हो। खैर हमने जानकारी लेनी चाही मगर विभाग प्रमुख ने किसी जांच टीम के आने की बात को नकार दिया। महोदयजी भी जांच टीम के आने की जानकारी को नकार रहे हैं। तब क्या इस बात की पुष्टि भी आर.टी. आई. के माध्यम से करनी पड़ेगी ?










































