BJP विधायक दल की मीटिंग में आज चुना जाएगा नया नेता, केंद्रीय पर्यवेक्षक के तौर पर नरेंद्र सिंह तोमर देहरादून पहुंचे

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उत्तराखंड में नए मुख्यमंत्री के नाम की घोषणा में अब कुछ ही समय रह गया है। देहरादून में आज 3 बजे BJP विधायक दल की बैठक होगी। इस मीटिंग में नए मुख्यमंत्री के नाम पर मुहर लगेगी। इसके लिए केंद्र की तरफ से कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर को पर्यवेक्षक बनाया गया है और वे देहरादून पहुंच चुके हैं।

नए CM की दौड़ में सतपाल महाराज को सबसे आगे बताया जा रहा है, लेकिन उनकी कांग्रेसी पृष्ठभूमि उनके चयन में एक बार फिर बाधा बन सकती है। हालांकि, अगले साल होने वाले चुनाव के नजरिए से देखें तो सतपाल व्यक्तिगत दम पर BJP के चुनाव का खर्च उठाने में सक्षम हैं।

BJP के सामने ब्राह्मणों की नाराजगी की चुनौती
BJP अगर किसी पूर्व कांग्रेसी पर दांव लगाएगी तो उसमें पूर्व मुख्यमंत्री विजय बहुगुणा की राय सबसे अहम होगी और बहुगुणा कभी भी सतपाल का नाम आगे नहीं करेंगे। उत्तराखंड में BJP के सामने इस समय ब्राह्मणों की नाराजगी बड़ी चुनौती है। उत्तराखंड ही नहीं, उत्तर प्रदेश और हिमाचल में भी यही स्थिति है। इसलिए 2022 के विधानसभा चुनावों से पहले BJP डैमेज कंट्रोल करना चाहेगी।

अगर पार्टी उत्तराखंड की कमान किसी ब्राह्मण को देना चाहेगी तो कैबिनेट मंत्री सुबोध उनियाल सबसे मजबूत दावेदार हैं। वे विजय बहुगुणा के खेमे से हैं। अगर BJP ने संघ की पृष्ठभूमि को वरीयता दी तो ऐसे में धन सिंह रावत पहली पसंद होंगे। उन्हें पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत का भी समर्थन है। धन सिंह पिछली बार भी CM की कुर्सी के करीब जाकर पिछड़ गए थे। उनकी दूसरी खूबी उनका जमीन से जुड़े रहना भी है और पार्टी में निचले स्तर तक उनका संपर्क है। वहीं मंत्री बिशन सिंह चुफाल भी नए मुख्यमंत्री की दौड़ में हैं।

विवादित बयानों से चर्चा में रहे तीरथ
बतौर मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत का 114 दिन का कार्यकाल उनके विवादित बयानों के लिए ज्यादा जाना जाएगा। फटी जींस से लेकर 20-20 बच्चे वाले उनके बयानों को शायद ही कोई भूला हो। पद संभालते ही भावावेश में तीरथ कुछ का कुछ बोलते रहे।

कुंभ के दौरान उन्होंने संतों को खुश करने के लिए जिस तरह से कोरोना के नियमों में छूट देने का अधिकारियों को इशारा किया, उससे हिंदुओं का यह मेला कोरोना का हॉटस्पॉट बन गया। यही नहीं, कोर्ट की आंखों में धूल झोंकने के लिए BJP के करीबियों द्वारा सैंपलिंग और टेस्टिंग में जिस तरह से फर्जीवाड़ा किया गया, उससे तीरथ सरकार की छवि को बट्टा ही लगा।

तीरथ सिंह ने त्रिवेंद्र सरकार के गैरसैंण मंडल बनाने के विवादित फैसले को पलटकर कुमायूं मंडल में उपजे विरोध को जरूर शांत किया, लेकिन चारधाम देवस्थानम बोर्ड को खत्म करने के बारे में घोषणा करने के बावजूद अमल नहीं कर सके। इससे ब्राह्मण समुदाय खुद को ठगा सा महसूस करने लगा। तीरथ सिंह ने त्रिवेंद्र सरकार की तरह सिर्फ खास समुदाय के लिए कुछ किया हो ऐसा तो नहीं हुआ, लेकिन चुनावी साल में वे कुछ भी ऐसा नहीं कर सके, जिससे BJP की संभावनाओं को बल मिलता हुआ दिखे।

उपचुनाव के लिए भी तीरथ कमजोर लग रहे थे
प्रदेश में विकास कार्यों की गति तो तीरथ शासन में पहले से भी धीमी हो गई। सीधे-साधे व्यक्तित्व वाले तीरथ कहीं से भी BJP के लिए इलेक्शन मैटेरियल साबित नहीं हो सके। अगर उन्हें उपचुनाव में भी जाना पड़ता तो कोई सीट ऐसी नहीं दिख रही थी, जिस पर तीरथ की जीत की गारंटी हो। यही बात तीरथ के सबसे अधिक खिलाफ गई।

CM पद को लेकर मंत्री धन सिंह रावत के नाम की भी चर्चा है। पिछले दिनों इनकी केंद्रीय नेतृत्व से मुलाकात भी हुई थी।

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